ऐवान-ए-सर सैयद का निर्माण, अल्पसंख्यक शिक्षा को लेकर छेड़ेगा अभियान

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 25-05-2022
ऐवान-ए-सर सैयद का निर्माण, अल्पसंख्यक शिक्षा को लेकर छेड़ेगा अभियान
ऐवान-ए-सर सैयद का निर्माण, अल्पसंख्यक शिक्षा को लेकर छेड़ेगा अभियान

 

एम मिश्रा /  लखनऊ 
 
उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक शिक्षा प्रणाली के संबंध में सरकारी और गैर-सरकारी स्तरों पर व्यक्त किए जा रहे विचारों ने संकेत दिया है कि यदि मुस्लिम समाज ने भविष्य में बेहतर शिक्षण संस्थान स्थापित नहीं किए तो इससे समस्याएं और गहराएंगी. 
 
इसके कारण भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक के लिए व्यक्तिगत पहचान की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नए मदरसों को अनुदान नहीं देने का हालिया निर्णय से लोग चिंतित है. 
 
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ओल्ड बॉयज एसोसिएशन (अमीबा) ने ऐवान-ए-सर सैयद की स्थापना की घोषणा की है ताकि लखनऊ में विभिन्न कारणों से रूके हुए शैक्षिक एवं सामाजिक आंदोलनों को फिर से शुरू किया जाए. इस मुद्दे को लकेर यहां मुस्लिम बुद्धिजीवियों की एक बैठक हुई.
 
अमीबा के अध्यक्ष, प्रसिद्ध चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. शकील कदवी के साथ कई जिम्मेदार लोगों ने कहा कि मुसलमानों की शिक्षा को लेकर उतनी शिद्दत से काम नहीं हुआ जिसकी जरूरत है.
 
दरगाह शाह मीणा के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता राशिद मीनाई और सैयद बिलाल नूरानी ने कहा, ऐवान-ए-सर सैयद किसी लालसा या भीख मांगने के लिए नहीं बनाया जाएगा.
 
उन्हांेने कहा कि हमें उसी मिशन और आंदोलन को अपनाने की जरूरत है जिसे सर सैयद ने अपनाया था. वे खर्च भी करेंगे और लोगों से चंदा भी लेंगे और साथ ही सरकारी स्तर पर रियायतें प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा. मगर किसी तरह यह मिशन पूरा होगा.
 
इस संदर्भ में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और कई मदरसों की प्रशासक ताहिरा रिजवी का कहना है कि सर सैयद के पदचिन्हों पर चलना आसान नहीं है, लेकिन वर्तमान युग में ऐवान-ए-सर सैयद के निर्माण के साथ, शिक्षण संस्थानों को खोलने की जरूरत है.
 
प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. सलमान खालिद का कहना है कि लोगों का हौंसला अभी ठंडा नहीं हुआ है और सीमित संसाधनों में भी सभी धर्मों के पिछड़े, शोषित और गरीब लोगों की मदद के लिए बहुत काम किया जाएगा.
 
लोगों को जीवन की बुनियादी और आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए, यह भी महत्वपूर्ण है कि धार्मिक मदरसों से जुड़े लोगों की निराशा और अवसाद को कम करने के साथ वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक विशेष आंदोलन चलाया जाए. इन मदरसों की एक व्यवस्थित रणनीति की भी तत्काल आवश्यकता है.