मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान के बाईलाज बने, विभिन्न पदों पर हो सकेंगे भर्तियां

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 10-11-2023
Maulana Azad Arabic-Persian Research Institute
Maulana Azad Arabic-Persian Research Institute

 

फरहान इसराइली / जयपुर

राजस्थान की राजधानी जयपुर से 100 किलोमीटर दूर स्थित टोंक में मौजूद मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान (एपीआरआई) में अब विभिन्न पदों पर भर्तियां हो सकेंगी.

एपीआरआई के निदेशक मुजीब अता आजाद ने बताया कि मौलाना आजाद अरबी फारसी रिसर्च इंस्टीट्यूट टोंक की स्थापना से लेकर आज तक संस्थान के लिए जो कार्य किए जाने थे, वह अधूरे पड़े हैं. इस चिंता के साथ निदेशक का कार्यभार जब उन्हें मिला, तो उनका ख्वाब और मकसद रहा कि जो कार्य स्थापना के वक्त किए जाने थे, वह अधूरे हैं.

ऐसी स्थिति में संस्थान तरक्की कैसे कर पाएगा और वह एक चुनौती पूर्ण दायित्व किस प्रकार निभा सकेंगे. उन्हें निदेशक का पदभार संभालने के बाद एक माह भी पूर्ण नहीं हुआ है और राज्य सरकार में सचिववालय स्तर पर विचाराधीन चल रहे नियमों-उप नियमों तथा संविधान को सरकार के कार्मिक विभाग ने स्वीकृति प्रदान कर दी है.

मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम 2023 नए प्रस्तावित सेवा नियमों का अनुमोदन कार्मिक विभाग के स्तर पर किया जा चुका है. इन सेवा नियमों को सरकार ने राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर को अग्रिम कार्यवाही के लिए भिजवा दिए हैं. इससे संस्थान के रुके हुए अधूरे सभी कार्य पूर्ण हो सकेंगे.

संस्थान के हित में वो सभी कार्य पूर्ण होने का रास्ता तय हो गया है, जो संस्थान के लिए अति आवश्यक है, जिनके बिना संस्थान की स्थापना मे अधूरापन चलता आ रहा है. इस अधूरेपन के पूरा होने से ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है.

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मुजीब अता आजाद ने बताया कि संस्थान के लिए निदेशक शोध अधिकारी, शोध सहायक, कैटालॉगर, अनुवादक, अरबी एवं फारसी कैलीग्राफिस्ट, कनिष्ठ तकनीकी सहायक, प्रीजर्वेशन सहायक, मेडर कम्बाइंडर, मैंनस्क्रिप्ट अटेंडेंट, माइक्रो फोटो ग्राफिस्ट्, जेरॉक्स ऑपरेटर, पुस्तकालयाध्यक्ष, सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष, सर्वेयर के पदों पर नियुक्ति का रास्ता खुल गया है.

मुजीब अता आजाद ने कहा कि टोंक से तहजीब और संस्कृति की धारा प्रवाहित होती है, जो पूरे देश को शांति का पैगाम देती है. मौलाना आजाद के व्यक्तित्व एवं मौलाना आजाद के विचारों के साथ प्रबुद्ध नागरिकों बुद्धिजीवियों के मूल्यवान सुझावों के आधार पर मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान कि तरक्की के लिए भविष्य में प्रयास किये जाएंगे. इस विषय पर भी प्रबुद्ध जनों नागरिकों से उन्होंने विचार साझा करने की मुहिम छेड़ी हुई है.

क्या है एपीआरई

अरबी-फारसी शोध संस्थान टोंक जिला, राजस्थान में स्थित है. राजस्थान सरकार ने वर्ष 1978 में इस शोध संस्थान की स्थापना की थी. इस संस्थान में टोंक के नवाबों द्वारा संग्रहीत हस्त लिखित ग्रंथों, दस्तावेज भाषायी साहित्य तथा शासकीय रिकॉर्ड में पाये गए उर्दू, फारसी पुस्तकें व दस्तावेज संग्रहीत हैं.

यहां पर मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा लिखित ‘आलमगीरी कुरान शरीफ’ तथा बादशाह शाहजहां द्वारा तैयार कराई गई ‘क़ुरआन-ए-कमाल’ रखी हुई हैं. अलगरीबेन पाण्डुलिपि में क़ुरआन के कठिन शब्दों की व्याख्या की गई है. इसे 900 वर्ष पूर्व मिस्र में मोहम्मद बिन अब्दुल्ला ने तैयार किया था.

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सन 1867 ई. के दौरान टोंक के तीसरे नवाब मोहम्मद अली ख़ां ने बनारस में अपनी नजर क़ैद के दौरान अदीबों से पुस्तकें लिखवाने का कार्य करवाया. नवाब साहब ने पश्चिम एशिया के मुल्कों, ईरान, इराक, मिस्र, अरब सल्तनतों, देश के विभिन्न शहरों से समय-समय पर विद्वानों को बुलवाया और किताबों, धार्मिक ऐतिहासिक पुस्तकों के लेखन एवं अनुवाद करवाए तथा कई पुस्तकों को संग्रहित किया.

उस संग्रह को उनके पुत्र रहीम ख़ां टोंक ले आए. 4 दिसम्बर, 1978 को राज्य सरकार के निर्णयानुसार ‘अरबी-फारसी शोध संस्थान’ की स्थापना हुई. वहां यह संग्रह आदि रखे गए. इसकी स्थापना में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत व संस्थापक निदेशक साहबजादा शोकत अली ख़ां का अहम योगदान रहा.

 

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