अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) प्रशासन ने हाल ही में हुई ट्यूशन और हॉस्टल शुल्क संशोधन को लेकर फैलाए जा रहे भ्रामक प्रचार पर गंभीर आपत्ति जताई है। विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि कुछ स्वार्थी तत्व अफवाह फैलाकर छात्रों और अभिभावकों में अनावश्यक आशंकाएँ उत्पन्न कर रहे हैं और परिसर का शांतिपूर्ण शैक्षणिक वातावरण बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
लगभग दो सप्ताह तक चले छात्र प्रदर्शनों — जिनमें धरना और दो छात्रों का आमरण अनशन शामिल था — के बाद कुलपति की अध्यक्षता में छात्र प्रतिनिधियों और विश्वविद्यालय अधिकारियों के बीच विस्तृत चर्चा हुई। सहमति के बाद शुल्क वृद्धि को अधिकतम 20% की सीमा तक सीमित कर दिया गया और एक संतुलित संशोधित शुल्क संरचना को मंज़ूरी दी गई।
विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि यह संशोधन लंबे अंतराल के बाद, विस्तृत विचार-विमर्श और वैधानिक मंज़ूरी के बाद ही किया गया है। वास्तविक वृद्धि विभिन्न पाठ्यक्रमों में 1.75% से 18.5% तक रही है। मासिक व्यय में प्रभाव बहुत ही मामूली है — कंटिन्यूएशन शुल्क में 100 रुपये से कम और हॉस्टल शुल्क में 30 रुपये से कम की वृद्धि हुई है। अब भी एएमयू देश के सबसे किफ़ायती विश्वविद्यालयों में शामिल है, जहाँ हॉस्टल शुल्क मात्र ₹208 प्रति माह है, जिसमें भोजन, हॉल मैगज़ीन, खेल व कॉमन रूम सुविधाएँ, हाई-स्पीड इंटरनेट और अन्य सेवाएँ शामिल हैं।
प्रशासन ने दोहराया कि शुल्क से प्राप्त हर अतिरिक्त राशि सीधे छात्र कल्याण पर खर्च की जाएगी — जैसे कि कक्षाओं व प्रयोगशालाओं का आधुनिकीकरण, छात्रावास उन्नयन और खेल व सांस्कृतिक सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण।
आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों के लिए विशेष सुरक्षा उपाय भी लागू रहेंगे। आर्थिक आधार पर स्कॉलरशिप, शुल्क माफी और वित्तीय सहायता जारी रहेगी। कुलपति द्वारा गठित एक विशेष समिति इस सहायता को और विस्तारित करने की रूपरेखा पर काम कर रही है।
एएमयू प्रशासन ने अपने बयान में कहा:“शुल्क संशोधन संतुलित, तार्किक और विश्वविद्यालय के विकास के लिए आवश्यक है। एएमयू अब भी देश के सबसे किफ़ायती विश्वविद्यालयों में रहेगा और अपनी शैक्षणिक व आवासीय सुविधाओं को लगातार बेहतर बनाएगा। कुछ स्वार्थी समूहों की अफवाहें इस प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर पाएँगी।”