अफगानिस्ताननामा : होटक वंश का खात्मा और नादिरशाह का उदय

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 24-11-2021
अफगानिस्ताननामा
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हमूद होटक की फौज का सबसे खास सिपहसालार था महमूदका चचेरा भाई अशरफ होटक. वह महमूद के उन्हीं चाचा अब्दुल अजीज का बेटा था जिनकी हत्या करके महमूद नेसत्ता पर कब्जा जमाया था. जब महमूद ने ईरान की सत्ता पर हमला बोला तो अशरफ उसके अगले दस्ते का नेतृत्वकर रहा था.

यही नहीं जब तुर्की के ओटोमन साम्राज्य और रूस ने ईरान को महमूद से छीनने केलिए हमला बोला तो उनका मुकाबला करने के लिए अशरफ ही आगे आया और उसने इन दोनोंसेनाओं को पीछे खदेड़ दिया.

जल्द ही यह भी साफ हो गया कि वह महमूद की जगह लेकरहोटक वंश का अगला शाह बननाा चाहता है. महमूद को भी यह बात समझ में आ गई थी इसलिए उसने अशरफ को कारावास में डाल दिया. कहा जाता है कि सेना केबीच अशरफ की लोकप्रियता महमूद से ज्यादा थी.

कईं पख्तून कबीले भी अशरफ को ही ज्यादा पसंद करते थे. यह भी कहा जाता है किमहमूद अपना मानसिक संतुलन खोने लग गया था, इसलिए वह लगातार अलोकप्रिय होता जा रहा था.

इस तख्ता पलट के तीन दिन बाद महमूद की मृत्यु हो गई. यह मृत्यु क्यों हुई इसेलेकर कईं तरह की बातें कही जाती हैं. कुछ जगह यह कहा गया है कि महमूद की मृत्यु किसी बीमारी के कारण हुई. जबकि यह भी कहा जाता है किअशरफ ने उसकी हत्या करवा दी.

यह भी कहा जाता है कि उसे गला घोंटकर मारा गया. अगर यह सच है तो अशरफ ने नसिर्फ ईरान और अफगानिस्तान की सत्ता को हासिल किया बल्कि अपने पिता की हत्या काबदला भी ले लिया.

सत्ता में बैठने के बाद अशरफ को लगा कि अपने पुरानेदुश्मन तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य से नए रिश्ते बनाने का समय आ गया है. जल्द ही दोनों में संधि कीबातें होने लगीं. तुर्की का हित भी इसी में था इसलिए अक्तूबर 1927को दोनों ने इस संधिपर हस्ताक्षर कर दिए.

इस संधि के बाद अशरफ ने यह मान लिया कि वह काफी कुछसुरक्षित हो गया है. लेकिन वह गलत था. इस बार खतरा कहीं बाहर से नहीं बल्कि उसे ईरान के भीतर से ही था जहां का वहशाह बना बैठा था.

ईरान के सफाविद साम्राज्य का एक नया लड़ाका उभर रहाथा जो जल्द ही दुनिया के एक बहुत बड़े हिस्से में अपनी मार करने वाला था. वह था नादिर जो बाद मेंईरान की सत्ता की पर काबिज होने के बाद नादिर शाह बन गया. तैमूर की तरह ही नादिर शाहभी बाद में अत्याचार का पर्याय बना.

अक्तूबर 1929में दमघम नाम की जगह परनदिर शाह और अशरफ की सेनाओं में लड़ाई हुई जहां अशरफ की फौज की बुरी तरह हार हुई औरखुद अशरफ भागने को मजबूर हो गया. फिर भी नादिर की फौज ने उसका पीछा नहीं छोड़ा और जल्द ही उसे पकड़ कर मार डालागया.

होटक साम्राज्य अब ईरान से विदा हो चुका था लेकिनअफगानिस्तान में वह बना हुआ था.

महमूद और अशरफ जब ईरान में अपनी सत्ता चला रहे थे तोकंधार पूरी तरह से हुसैन होटक के हवाले था. हुसैन मीरवाइज होटक को छोटा बेटा थायानी महमूद होटक का भाई. हुसैन होटक के बारे में एक और बात महत्वपूर्ण थी जो उसे अपने पूरे परिवार सेअलग करती थी. हुसैन कवि भी था और पारसी में काव्य लेखन भी करता था.

अशरफ की मौत के बाद हुसैन ने पूरे नौ साल तकअफगानिस्तान का राज कंधार से चलाया. इस बीच नादिर ने ईरान की सत्ता पर कब्जा जमाया और जब अपने राज का विस्तारकरना शुरू किया तो उसके निशाने पर सबसे पहले कंधार ही था.

मध्य एशिया का इतिहास फिर से एक बड़े बदलाव की तैयारीकर रहा था.

नोट: यह लेखक के अपने विचार हैं ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )

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