हरियाणा में वक़्फ़ सुधार के शिल्पकार: होशियार ख़ान

Story by  फिरदौस खान | Published by  [email protected] | Date 17-12-2025
The architect of Waqf reforms in Haryana: Hoshiar Khan
The architect of Waqf reforms in Haryana: Hoshiar Khan

 

होशियार ख़ान उस दौर से हिसार में समाजसेवा से जुड़े हुए हैं, जब यह क्षेत्र अविभाजित पंजाब का हिस्सा हुआ करता था। अपने पूरे जीवन में उन्होंने अपने समुदाय और समग्र समाज की प्रगति के लिए निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ कार्य किया है। आवाज द वाॅयस की खास श्रृंखला द चेंज मेकर्स के लिए हरियाणा के हिसार से होशियार ख़ान का यह विस्तृत रिपोर्ट की है हमारी सहयोगी फिरदौस खान ने।

67 वर्षीय होशियार ख़ान लंबे समय से वक़्फ़ भूमि और संपत्तियों से जुड़े मामलों में सक्रिय रहे हैं। हिसार में अनेक वक़्फ़ संपत्तियों का समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा था। ऑल इंडिया मुस्लिम वेलफेयर कमेटी के सहयोग से उन्होंने व्यवस्था सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वक़्फ़ क़ानून में वर्ष 2013 में हुए संशोधन के लिए अपने सुझाव दिए, जिसके तहत लीज़ प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया और खुली बोली के माध्यम से संपत्तियों के आवंटन का प्रावधान किया गया।

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इस संशोधन के बाद अनुमानतः वार्षिक चार सौ करोड़ रुपये तक के राजस्व की संभावना बनी। कमेटी ने प्रशासन के साथ निरंतर समन्वय स्थापित कर हिसार और पूरे हरियाणा में कई कब्रिस्तों से अवैध अतिक्रमण हटवाने में भी अहम भूमिका निभाई है।

अपने जीवन की कहानी साझा करते हुए होशियार ख़ान बताते हैं, “मेरा जन्म 15 दिसंबर 1958 को हरियाणा के हिसार ज़िले के ठुराना गाँव में हुआ। उस समय यह क्षेत्र अविभाजित पंजाब का हिस्सा था। मेरी माता निंबो एक धार्मिक और समर्पित महिला थीं और मेरे पिता अब्दुल सरल, ईमानदार और गहरी आस्था रखने वाले व्यक्ति थे। वे हमेशा यह सुनिश्चित करते थे कि उनके आसपास कोई भी दुखी न रहे।”

यद्यपि उनके माता-पिता शिक्षित नहीं थे, फिर भी उन्होंने उन्हें और उनके भाई-बहनों को अच्छी शिक्षा दिलाने का हर संभव प्रयास किया। इस्लाम में ज्ञान को अत्यंत महत्व दिया गया है और शिक्षा प्राप्त करना हर मुसलमान पर अनिवार्य माना गया है। वे कहते हैं, “उस दौर में स्नातक की डिग्री प्राप्त करना एक बड़ी उपलब्धि समझी जाती थी, और मैं इसे हासिल कर सका।”

वर्ष 1978 में होशियार ख़ान ने सिंचाई विभाग में पर्यवेक्षक (सुपरवाइज़र) के रूप में सरकारी सेवा जॉइन की। वर्ष 2016 तक उन्होंने वहाँ सेवा दी और इस दीर्घ कार्यकाल के दौरान अनेक पेशेवर और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन किया।

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dउन्होंने कर्मचारियों के अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया उचित ड्यूटी निर्धारण, समय पर वेतन और बकाया राशि के भुगतान को सुनिश्चित किया।

वे याद करते हैं, “अपनी सरकारी सेवा के दौरान मैं मैकेनिकल यूनियन का अध्यक्ष, सचिव और चेयरमैन रहा। वर्ष 1998 से 2017 तक मैं मिनी सचिवालय हाउसिंग कॉलोनी का भी अध्यक्ष रहा। मैंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा इन जिम्मेदारियों को निभाने में समर्पित किया।”

dअपने पेशेवर दायित्वों के साथ-साथ होशियार ख़ान धार्मिक और सामाजिक कार्यों में भी निरंतर सक्रिय रहे हैं।

वर्ष 2004 से वे मुस्लिम वेलफेयर कमेटी (ग्रामीण एवं शहरी) के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं और समाज तथा मुस्लिम समुदाय के उत्थान के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।

कमेटी समुदाय से जुड़े मुद्दों और मांगों को लेकर बैठकें आयोजित करती है, जैसे पिछड़ा वर्ग के अधिकार और आरक्षण से संबंधित विषय, और आवश्यकता पड़ने पर धरना-प्रदर्शन भी आयोजित किए जाते हैं।

हिसार में मुस्लिम समुदाय की सुविधा के लिए कमेटी ईद-उल-फ़ित्र और ईद-उल-अज़हा की सामूहिक नमाज़ों का आयोजन करती है।

शहर में पर्याप्त मस्जिदें न होने के कारण क्रांतिकारी पार्क में इन नमाज़ों की व्यवस्था की जाती है, जिसका समस्त खर्च कमेटी स्वयं वहन करती है।

कमेटी हिसार के बारह क्वार्टर कब्रिस्तान का भी प्रबंधन करती है। पशुओं के प्रवेश को रोकने के लिए चारदीवारी का निर्माण कराया गया है तथा नियमित रूप से घास कटाई, वर्षा के बाद मिट्टी भराई और कब्रों की सफ़ाई जैसे रखरखाव कार्य किए जाते हैं। कब्र खोदने में सुविधा और भूमि के बेहतर उपयोग के लिए अनावश्यक पेड़ों को हटाया गया।

कब्रिस्तान परिसर में एक मदरसा भी संचालित होता है, जहाँ लगभग चालीस बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी जाती है। उन्हें अरबी और उर्दू पढ़ाई जाती है तथा कुछ बच्चों के लिए आवास की भी व्यवस्था है।

उनके रहने और भोजन का समस्त खर्च कमेटी उठाती है। वहीं एक इमाम भी निवास करते हैं, जो नियमित नमाज़ों का नेतृत्व करते हैं। हाल ही में मदरसे के लिए लगभग छह लाख रुपये की लागत से दो अतिरिक्त कमरे बनाए गए हैं, जिनमें से कुछ राशि सीमित संसाधनों के कारण उधार लेकर जुटाई गई।

मदरसे के पास एक सुंदर बाग़ विकसित किया गया है, जिसमें गुलाब, चमेली, मेहंदी, अनार, अमरूद और खजूर के पेड़ लगाए गए हैं। इस शांत और सुंदर वातावरण में बच्चे खेलते हैं और पढ़ाई करते हैं। कब्रिस्तान के प्रवेश द्वार के पास नीम, सहजन और जामुन के पेड़ लगाए गए हैं, जिससे एक घरेलू और सुकून भरा माहौल बनता है, जो बच्चों के मानसिक और शैक्षिक विकास में सहायक है।

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होशियार ख़ान का जीवन आस्था, समाजसेवा और नैतिक मूल्यों के प्रति समर्पण की एक प्रेरक मिसाल है। उनका मानना है कि किसी व्यक्ति का कर्तव्य केवल व्यक्तिगत या पारिवारिक हितों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसमें समाज और समुदाय का कल्याण भी शामिल होना चाहिए। उनका जीवन-यात्रा यह दर्शाती है कि ईमानदारी, धैर्य और नेक नीयत के साथ सबसे कठिन चुनौतियों को भी पार किया जा सकता है और समाज के लिए स्थायी योगदान दिया जा सकता है।