गाजियाबाद
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि जीएसटी अधिकारियों को ईमानदार करदाताओं के साथ हमेशा विनम्र और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने यह बात गाजियाबाद में सीजीएसटी भवन के उद्घाटन अवसर पर कही।
सीतारमण ने अधिकारियों से कहा कि तेजी से पंजीकरण अनुमोदन और शिकायत निवारण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाए। उन्होंने यह भी जोर दिया कि क्षेत्रीय इकाइयाँ सक्रिय रूप से व्यापारियों के लिए सुगमता लाएं। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) स्पष्ट संदेश देगा कि कदाचार, कर्तव्य की उपेक्षा या अनैतिक व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा, "आपके और व्यापारी के बीच कोई लोहे की दीवार नहीं है, बस हवा का एक झोंका है। समस्या को समझें और उसे उलझाएँ नहीं।" उन्होंने अधिकारियों से कहा कि ईमानदार करदाताओं के साथ व्यवहार में सहानुभूति और शिष्टाचार बनाए रखें और उन्हें यह भरोसा दें कि भविष्य में भी जीएसटी प्रणाली में उनका सम्मान किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, "अगर कुछ करदाता नियम तोड़ते हैं तो उन्हें पकड़ें, लेकिन हर किसी को संदेह की नजर से न देखें। विनम्रता कानून और नियमों के साथ समझौते का विकल्प नहीं है।"
सीतारमण ने कहा, "अच्छे काम करते रहें, सुधार की गति बनाए रखें और याद रखें कि हमारा अंतिम लक्ष्य ईमानदार करदाताओं का जीवन आसान बनाना है। बेईमान करदाताओं को किसी भी तरह की राहत नहीं दी जाएगी।"
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि बेईमान करदाताओं से निपटते समय व्यक्तिगत भावनाओं को प्रवेश न दें, केवल नियम और एसओपी का पालन करें।
विभागीय अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक मामलों पर चर्चा करते हुए सीतारमण ने कहा कि शीघ्र निपटारा संगठन में जवाबदेही मजबूत करता है। उन्होंने कहा, "गलत किया है तो कार्रवाई होगी, सही किया है तो सम्मान रहेगा।"
सीतारमण ने जीएसटी पंजीकरण प्रक्रिया में करदाताओं के बोझ को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी और जोखिम-आधारित मानकों के इस्तेमाल का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "करदाता पर जिम्मेदारी डालना नहीं चाहिए। अधिकारी स्थिति को समझें और जरूरत पड़ने पर ही संपर्क करें।"
वित्त मंत्री ने कहा कि लंबित जीएसटी जांचों को शीघ्र, तर्कपूर्ण और साक्ष्य-आधारित आदेशों के साथ पूरा किया जाए। अधिकारियों को प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि वे सही तरीके से जांच कर सकें और मुकदमेबाजी की लागत कम हो।