नई दिल्ली
1 फरवरी को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट 2025-26 से पहले, केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को सेमीकंडक्टर कार्यक्रम और इलेक्ट्रॉनिक सामान निर्माण के लिए पीएलआई योजना के माध्यम से निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने में सरकार की नीतियों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला.
मंत्रालय ने कहा, "सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए कार्यक्रम' की योजना का उद्देश्य सेमीकंडक्टर पैकेजिंग और सेमीकंडक्टर डिजाइनिंग कंपनियों को आकर्षक प्रोत्साहन सहायता प्रदान करना है."
15 दिसंबर, 2021 को स्वीकृत सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम ने वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत की स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है. कार्यक्रम के तहत, सरकार ने पांच सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी दी है और 16 सेमीकंडक्टर डिजाइन कंपनियों को समर्थन दिया है. इन पहलों से 1.52 लाख करोड़ रुपये का संचयी निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है.
इन परियोजनाओं से लगभग 25,000 उन्नत प्रौद्योगिकी प्रत्यक्ष रोजगार और अतिरिक्त 60,000 अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है, जो भारत के तकनीकी कार्यबल को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. यह कार्यक्रम सेमीकंडक्टर पैकेजिंग और डिजाइनिंग में शामिल कंपनियों को आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसका उद्देश्य भारत को सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है. सफलता की कहानी व्यापक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र तक भी फैली हुई है.
इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत, भारत ने 6.14 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 3.12 लाख करोड़ रुपये का निर्यात दर्ज किया है. इससे इस क्षेत्र में 1.28 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं, जिससे वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पावरहाउस के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत हुई है. मंत्रालय ने इस बात पर भी जोर दिया कि कन्वर्जेंस, संचार और ब्रॉडबैंड प्रौद्योगिकी (सीसीएंडबीटी) की प्रौद्योगिकियां आने वाले वर्षों में विकसित भारत या विकसित भारत के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.
एक मजबूत नीतिगत ढांचे और महत्वपूर्ण निवेश के साथ, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर विनिर्माण में अग्रणी बनने की भारत की यात्रा गति पकड़ रही है. बयान में कहा गया है कि जैसे-जैसे देश इन महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में प्रगति को अपना रहा है, यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान देने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार है.