1,950 करोड़ रुपये से अधिक खर्च, फिर भी अशोधित मलजल यमुना में बहता है: आंकड़े

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 31-07-2025
Over Rs 1,950 crore spent, still untreated sewage flows into Yamuna: Data
Over Rs 1,950 crore spent, still untreated sewage flows into Yamuna: Data

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

 
 दिल्ली में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत नौ प्रमुख परियोजनाओं के पूरा होने के बावजूद, प्रतिदिन 640 मिलियन लीटर से ज्यादा अशोधित मलजल (सीवेज) यमुना नदी में बहता है। लोकसभा में बृहस्पतिवार को साझा किये गये सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है।
 
जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 3,596 मिलियन लीटर (एमएलडी) मलजल उत्पन्न होता है।
 
उन्होंने बताया कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) 3,474 एमएलडी की कुल स्थापित क्षमता वाले 37 मलजल शोधन संयंत्र (एसटीपी) संचालित करता है। उन्होंने कहा कि जून 2025 तक, 2,955 एमएलडी का शोधन किया जा रहा था।
 
हालांकि, 23 एसटीपी से शोधित केवल 2,014 एमएलडी मलजल ही दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के उत्सर्जन मानकों को पूरा करता है, जबकि 14 एसटीपी मानकों का पालन नहीं करते हैं।
 
मंत्री ने अपने उत्तर में बताया कि लगभग 641 एमएलडी मलजल अशोधित रह जाता है और यमुना या उसके जल निकासी नेटवर्क में चला जाता है।
 
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत, दिल्ली में 1,951.03 करोड़ रुपये की लागत वाली नौ परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिससे 1,268 एमएलडी की मलशोधन क्षमता सृजित हुई है।
 
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) दिल्ली में चार स्थानों - पल्ला, निजामुद्दीन, ओखला बैराज और असगरपुर- में जल गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है।
 
पल्ला में नदी में जल की गुणवत्ता अपेक्षाकृत बेहतर रही, लेकिन जनवरी से जून 2025 तक के आंकड़ों से पता चला कि नीचे की ओर ‘बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड’ (बीओडी) और ‘फीकल कोलीफॉर्म’ (मल) का स्तर गंभीर रूप से उच्च है।
 
निजामुद्दीन में बीओडी का स्तर 37 से 52 मिलीग्राम/लीटर के बीच था, जबकि ‘फीकल कोलीफॉर्म’ की मात्रा 7.9 लाख एमपीएन/100 मिलीलीटर तक पहुंच गई।
 
मंत्री ने बताया कि ओखला बैराज पर, बीओडी का स्तर 50 मिलीग्राम/लीटर तक और ‘फीकल कोलीफॉर्म’ 9.2 लाख एमपीएन/100 मिलीलीटर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
 
असगरपुर में सबसे खराब प्रदूषण दर्ज किया गया, जहां बीओडी का स्तर 72 मिलीग्राम/लीटर और ‘फीकल कोलीफॉर्म’ 1.6 करोड़ एमपीएन/100 मिलीलीटर तक पहुंच गया।
 
नदी के पानी के लिए निर्धारित सीमाएं तीन मिलीग्राम/लीटर से कम बीओडी और 2,500 एमपीएन/100 मिलीलीटर से कम ‘फीकल कोलीफॉर्म’ हैं।
 
सीपीसीबी ने दिल्ली में यमुना के किनारे स्थित अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योगों (जीपीआई) का वार्षिक निरीक्षण भी किया।
 
जल शक्ति मंत्रालय ने कहा कि यमुना की सफाई एक सतत प्रक्रिया है, जिसके लिए दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश राज्यों को वित्तीय सहायता दी गई है।