आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
नाबार्ड के चेयरमैन शाजी केवी ने सोमवार को कहा कि 'एक राज्य एक आरआरबी' के सिद्धांत पर हाल ही में विलय पूरा कर चुके क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) का आईटी एकीकरण 15 सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है.
‘एक राज्य एक आरआरबी’ के सिद्धांत पर आरआरबी का एकीकरण एक मई से प्रभावी हो गया। इसका उद्देश्य पैमाने की दक्षता में सुधार और लागत को युक्तिसंगत बनाना था.
इसके साथ, अब 26 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में 28 आरआरबी हैं जिनकी 700 जिलों में 22,000 से अधिक शाखाएं हैं.
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाजी ने कहा कि एक मई तक राज्यस्तर पर सभी आरआरबी का एकीकरण किया गया है, और सितंबर तक आरआरबी का आईटी एकीकरण पूरा होने की उम्मीद है.
चेयरमैन ने कहा कि नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) आरआरबी के साथ मिलकर एक साझा डिजिटल बुनियादी ढांचा बनाने पर काम कर रहा है। वे ग्रामीण आबादी तक पहुंचने के लिए ऋण बुनियादी ढांचे (क्रेडिट इन्फ्रास्ट्रक्चर) और सरकारी डेटा सिस्टम शुरू कर रहे हैं.
हालांकि, कम इंटरनेट बैंडविड्थ और जागरूकता जैसी चुनौतियां मौजूद हैं, लेकिन इनसे निपटने के लिए विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर प्रयास किए जा रहे हैं.
उन्होंने कृषि मूल्य श्रृंखलाओं के डिजिटलीकरण का जिक्र किया, जिनमें से करीब 20 पहले ही डिजिटल हो चुकी हैं. नाबार्ड कई बैंकों के साथ मिलकर अधिक किसानों, खासकर भूमि रिकॉर्ड के अभाव वाले किसानों को इस प्रणाली में लाने के लिए काम कर रहा है.
साथ ही, यह ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर पहुंच के लिए ब्लॉकचेन-आधारित फसल ट्रेसेबिलिटी और बीसी (बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट) नेटवर्क के साथ काम कर रहा है.
शाजी ने कहा कि सरकार अब एग्री स्टैक (कृषि के लिए), फिशरीज स्टैक और कोऑपरेटिव स्टैक जैसे अतिरिक्त स्टैक पर काम कर रही है.
‘कोऑपरेटिव स्टैक’ से ग्रामीण क्षेत्रों में लाभ वितरित करने के लिए एक एकीकृत प्रणाली बनाने को प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के माध्यम से विभिन्न योजनाओं को एकीकृत करने की उम्मीद है.