भारत का लक्ष्य: वैश्विक चावल निर्यात में 40% से बढ़ाकर 60% हिस्सेदारी हासिल करना — आईआरईएफ अध्यक्ष प्रेम गर्ग

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 30-10-2025
India's target: To increase its share in global rice exports from 40% to 60% - IREF President Prem Garg
India's target: To increase its share in global rice exports from 40% to 60% - IREF President Prem Garg

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

 
भारतीय राइस एक्सपोर्टर्स फेडरेशन (आईआरईएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने कहा है कि भारत आने वाले वर्षों में अपने वैश्विक चावल निर्यात हिस्से को 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखता है। उन्होंने यह बात राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित ‘भारत इंटरनेशनल राइस कॉन्फ्रेंस (बीआईआरसी) 2025’ के दौरान कही।
 
गर्ग ने एएनआई से बातचीत में कहा, “इस साल हम न केवल दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक हैं, बल्कि चीन को पीछे छोड़कर सबसे बड़े उत्पादक भी बन गए हैं। अब हमें निर्यात बढ़ाना होगा ताकि हमारे किसानों को अधिक लाभ मिल सके। हमारा लक्ष्य है कि भारत की वैश्विक चावल बाजार में हिस्सेदारी 60 प्रतिशत तक पहुंचाई जाए।”
 
बीआईआरसी 2025 का आयोजन भारतीय चावल निर्यातकों की पहल पर किया गया है, जिसमें देश के 20 से अधिक राज्यों के किसान, लगभग 55 देशों के राजनयिक, और हजारों खरीदार शामिल हुए हैं। गर्ग ने बताया कि इस सम्मेलन में 3,000 से 4,000 निर्यातक और स्टार्टअप भाग ले रहे हैं। “यह न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में चावल उद्योग से जुड़ी इस तरह की पहली पहल है। हमें उम्मीद से कहीं अधिक शानदार प्रतिक्रिया मिल रही है,” उन्होंने कहा।
 
अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ पर प्रतिक्रिया देते हुए गर्ग ने कहा, “इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका मात्र 2.7 लाख टन चावल आयात करता है, जबकि हमने इस साल दो मिलियन टन का नया बाजार खोला है, जो उससे कहीं अधिक है।”
 
उन्होंने सरकार से दो प्रमुख मांगें रखीं — कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने और बंदरगाहों व लॉजिस्टिक्स में सहयोग देने की। “चावल उद्योग पूरी तरह आत्मनिर्भर है। हमें केवल इन दो मोर्चों पर मदद चाहिए,” उन्होंने जोड़ा।
 
दो दिवसीय बीआईआरसी 2025 में 80 से अधिक देशों के प्रतिनिधि, वैज्ञानिक, नीति-निर्माता और शीर्ष वैश्विक आयातक-निर्यातक शामिल हुए हैं। यह सम्मेलन भारत के बढ़ते कृषि निर्यात और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में उसकी भूमिका को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।