सरकार चीनी निर्यात की अनुमति दे सकती है, एथनॉल के कम उपयोग से अधिशेष बढ़ा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 29-10-2025
Government may allow sugar exports, surplus increases due to reduced ethanol use
Government may allow sugar exports, surplus increases due to reduced ethanol use

 

नयी दिल्ली
 
सरकार 2025-26 विपणन वर्ष में चीनी के निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर रही है क्योंकि एथनॉल उत्पादन के लिए चीनी के अपेक्षा से कम उपयोग के कारण अधिशेष भंडार जमा हो गया है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
 
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में बताया कि देश की चीनी मिलों ने 2024-25 में एथनॉल निर्माण के लिए केवल 34 लाख टन चीनी का ही उपयोग किया, जो अनुमानित 45 लाख टन से काफी कम है।
 
उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप अक्टूबर से सितंबर तक चलने वाले चालू 2025-26 विपणन वर्ष के लिए शुरुआती भंडार अधिक है।
 
चोपड़ा ने कहा कि 2025-26 में चीनी उत्पादन 3.4 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है जबकि वार्षिक घरेलू मांग 2.85 करोड़ टन है।
 
निर्यात की अनुमति देने और एथनॉल के लिए अधिक उपयोग की अनुमति देने की उद्योग की मांगों के बारे में पूछे जाने पर चोपड़ा ने कहा, ‘‘ हमारे पास निश्चित रूप से चीनी का अधिशेष है... हम निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर रहे हैं।’’
 
उन्होंने संकेत दिया कि जल्द ही कोई निर्णय लिया जा सकता है क्योंकि सरकार उद्योग को निर्यात की योजना बनाने के लिए एक लंबा समय देना चाहती है। इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए मंत्रियों की एक समिति अगले सप्ताह बैठक कर सकती है।
 
भारत ने विपणन वर्ष 2024-25 के दौरान 10 लाख टन के आवंटन के मुकाबले लगभग 8,00,000 टन चीनी का निर्यात किया।
 
चीनी निर्यात की व्यवहार्यता पर सचिव ने कहा, ‘‘ वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय कीमतें परिष्कृत चीनी के लिए बहुत अनुकूल नहीं हैं। कच्ची चीनी के लिए कुछ निर्यात समता संभव हो सकती है।’’
 
चीनी का वर्तमान निर्यात मूल्य, ‘एक्स-मिल’ मूल्य से कम है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘ वे शायद सही समय पर निर्यात करेंगे। शायद कच्ची चीनी का निर्यात हो भी जाए क्योंकि उसमें निर्यात समता है।’’
 
परिष्कृत चीनी का वैश्विक मूल्य 3,829 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि औसत ‘एक्स-मिल’ मूल्य 3,885 रुपये प्रति क्विंटल है।
 
एथनॉल के लिए चीनी के उपयोग के संबंध में चोपड़ा ने उद्योग की अधिक मात्रा की मांग पर सवाल उठाया जबकि मिलें सभी प्रतिबंध हटा लेने के बावजूद पिछले सत्र में आवंटित 45 लाख टन का उपयोग करने में विफल रहीं।
 
सचिव ने हालांकि कहा कि यह मामला पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय से संबंधित है जो उनकी मांग पर विचार कर सकता है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘ पहले हमारा अनुमान 45 लाख टन का था लेकिन यह केवल 34 लाख टन ही हुआ और हमारे पास अधिशेष बचा है।’’
 
चोपड़ा ने बताया कि चीनी उद्योग ने अक्टूबर में समाप्त होने वाले 2024-25 एथनॉल आपूर्ति वर्ष में शीरे से 471 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति की पेशकश की थी लेकिन केवल 289 करोड़ लीटर ही आपूर्ति की गई।
 
उन्होंने कहा, ‘‘ हमने शीरे से एथनॉल उत्पादन पर सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं...लेकिन मक्का को सबसे बड़ा हिस्सा मिला है।’’
 
उन्होंने बताया कि इस सत्र के लिए अनुमानित 1,048 करोड़ लीटर की आपूर्ति में से 289 करोड़ लीटर गुड़ (28 प्रतिशत), 478 करोड़ लीटर मक्का (45 प्रतिशत) और 235 करोड़ लीटर चावल (22 प्रतिशत) से आया है।
 
चोपड़ा ने कहा, ‘‘ उपयोग की हमारी प्राथमिकता पहले घरेलू खपत, फिर एथनॉल और शेष निर्यात के लिए रही है।’’