नई दिल्ली
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बुधवार को देश के उद्योग भागीदारों के साथ 12 लाइसेंसिंग समझौतों (LAToT) पर हस्ताक्षर किए। ये समझौते आठ अत्याधुनिक रक्षा उत्पादों की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Technology Transfer) से संबंधित हैं। इन उत्पादों में इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, लेजर फोटो-एकॉस्टिक स्पेक्ट्रोस्कोपी सिस्टम, और अन्य उन्नत रक्षा तकनीकें शामिल हैं।
यह कार्यक्रम ‘समन्वय 2025’ (Samnvay 2025) के उद्घाटन सत्र के दौरान आयोजित किया गया, जो डीआरडीओ के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार प्रणाली (ECS) क्लस्टर द्वारा बेंगलुरु में दो दिवसीय उद्योग तालमेल सम्मेलन (Industry Synergy Meet) के रूप में मनाया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान संस्थानों और निजी उद्योगों के बीच सहयोग को और मजबूत करना है।
डिजिटल माध्यम से सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने कहा कि “नवाचार (Innovation) और उद्योग (Industry) को एक मंच पर लाकर डीआरडीओ भारतीय रक्षा उत्पादन को आत्मनिर्भरता (Atmanirbharta) की दिशा में सशक्त बना रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि उद्योग जगत के साथ इस तरह की साझेदारियां भविष्य की जरूरतों के अनुरूप स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
डीआरडीओ की इस पहल से न केवल रक्षा उपकरणों के स्वदेशी निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि देश के तकनीकी स्टार्टअप्स और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भी मजबूती मिलेगी। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक और बड़ा प्रयास माना जा रहा है।






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