नई दिल्ली
भारत का सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र वित्त वर्ष 2025-26 में महज़ 0 से 2 प्रतिशत की मामूली राजस्व वृद्धि दर्ज कर सकता है। यह अनुमान केयरएज रेटिंग्स की ताज़ा रिपोर्ट में जताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और लागत संबंधी दबावों के कारण विभिन्न सेक्टरों में क्लाइंट्स की खर्च करने की प्रवृत्ति प्रभावित हुई है, जिसका असर आईटी सेक्टर पर भी साफ़ दिखाई दे रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "पिछले वर्ष की तुलना में स्थिर मुद्रा के आधार पर भारतीय आईटी क्षेत्र में FY26 के दौरान केवल 0 से 2 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है।" रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि उद्योग में ग्रोथ सुस्त है, क्योंकि ग्राहक अपने गैर-आवश्यक प्रोजेक्ट्स को या तो टाल रहे हैं या स्थगित कर रहे हैं।
हालांकि रिपोर्ट में यह उम्मीद भी जताई गई है कि डील पाइपलाइन स्वस्थ बनी हुई है और अगले कुछ महीनों में कई डील्स अमल में आ सकती हैं, जिससे आगामी तिमाहियों में कुछ राजस्व स्थिरता मिल सकती है।
चुनौतियों के बावजूद, भारतीय आईटी कंपनियां खुद को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश कर रही हैं — जैसे कि क्लाउड ट्रांसफॉर्मेशन, डेटा एनालिटिक्स, जेनरेटिव एआई, साइबर सुरक्षा, इंजीनियरिंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट (ईआरएंडडी), ईएसजी पहल और मशीन लर्निंग।
रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया कि आईटी और आईटी-सक्षम सेवाएं (ITES) भारत को एक वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। डिजिटल अपनाने की रफ्तार, 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और रोबोटिक्स जैसी उभरती तकनीकों की मांग में तेज़ी के चलते, लंबे समय में आईटी सेक्टर के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है।
हालांकि रिपोर्ट में अमेरिका में बढ़ती अनिश्चितताओं को एक प्रमुख चिंता के रूप में चिह्नित किया गया है। अमेरिका भारतीय आईटी सेवाओं के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार है, और वहां की नीतियों, टैरिफ और बाज़ार में उतार-चढ़ाव का सीधा असर भारतीय कंपनियों की कमाई पर पड़ता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "अमेरिका में टैरिफ और बाज़ार के उतार-चढ़ाव से उत्पन्न अनिश्चितता आईटी उद्योग के लिए एक अहम चिंता है, क्योंकि इस क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से होने वाली आय पर निर्भर है।"
निष्कर्षतः, FY26 में भले ही भारतीय आईटी सेक्टर की ग्रोथ सुस्त रहने वाली हो, लेकिन रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि इंडस्ट्री लगातार अपने उत्पादों और सेवाओं को नई तकनीकों के अनुरूप ढाल रही है ताकि वह ग्राहकों की बदलती ज़रूरतों को बेहतर तरीके से पूरा कर सके और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रह सके