भारत में गैस-आधारित ऊर्जा अर्थव्यवस्था की अपार संभावनाएं: विशेषज्ञ

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 27-08-2025
Huge potential for gas-based energy economy in India: Experts, discussions at Indo-American Energy Summit
Huge potential for gas-based energy economy in India: Experts, discussions at Indo-American Energy Summit

 

नई दिल्ली

नीति आयोग के ऊर्जा सलाहकार रजनाथ राम ने कहा कि भारत में गैस-आधारित ऊर्जा अर्थव्यवस्था की अपार संभावनाएं हैं और देश इस दिशा में कई नीतिगत कदम उठा रहा है।

इंडो-अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित तीसरे ऊर्जा शिखर सम्मेलन में नीति-निर्माताओं और उद्योग जगत के नेताओं ने भाग लिया। इसमें सतत विकास, ऊर्जा सुरक्षा और वहनीयता जैसे विषयों पर विशेष जोर दिया गया।

रजनाथ राम ने कहा कि भारत अपनी ऊर्जा टोकरी में गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है। फिलहाल यह लगभग 7% है। उन्होंने कहा,
"हमारा लक्ष्य 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है। कई नीतिगत सुधारों के चलते हम इस दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने अपनी गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित क्षमता का 50% लक्ष्य निर्धारित समय से पाँच साल पहले ही पूरा कर लिया है।
"हम ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और वहनीयता की चुनौतियों से निपटने के लिए मजबूत आधार तैयार कर रहे हैं," उन्होंने कहा।

राम ने यह भी ज़ोर दिया कि भारत को तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) के दीर्घकालिक आपूर्ति अनुबंध और कार्बन कैप्चर, उपयोग एवं भंडारण (CCUS) मिशन पर काम करना होगा। उन्होंने बताया कि इसके रोडमैप और वित्तीय प्रावधानों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर

सत्र में पैनलिस्ट और ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड के सदस्य विनीत नाहटा ने कहा कि भारत को स्वच्छ ऊर्जा भविष्य सुनिश्चित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को तेजी से हासिल करना होगा।

उन्होंने आरबीआई के ग्रीन बॉन्ड्स को इस दिशा में बड़ा कदम बताया और कहा कि,
"हालाँकि टैक्स इंसेंटिव जैसी कुछ चुनौतियाँ हैं, लेकिन दीर्घकालिक रूप से ब्याज लागत घटेगी और पूरा समाज इससे लाभान्वित होगा। भारत पर्यावरणीय मित्रता और ईएसजी को शीर्ष प्राथमिकता देता है, इसमें कोई संदेह नहीं कि हम दुनिया के अग्रणी बनेंगे।"

भारत की ऊर्जा उपलब्धियाँ

  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, अगले तीन वर्षों में वैश्विक बिजली मांग में होने वाली वृद्धि का 85% हिस्सा विकासशील देशों से आएगा।

  • भारत की ऊर्जा मांग प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ दर से बढ़ने की संभावना है।

  • भारत की वैश्विक प्राथमिक ऊर्जा खपत में हिस्सेदारी 2035 तक दोगुनी होने का अनुमान है।

पिछले एक दशक में भारत के ऊर्जा क्षेत्र में तेज़ी से विस्तार हुआ है—

  • बिजली उत्पादन: 2015-16 में 1,168 अरब यूनिट से बढ़कर 2024-25 में अनुमानित 1,824 अरब यूनिट।

  • स्थापित क्षमता: 2015-16 में 305 गीगावाट से बढ़कर 2024-25 में 475 गीगावाट होने का अनुमान।