चोकर्स के चैंपियन बनने के पीछे की दास्तान

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 16-06-2025
The story behind Chokers becoming champions
The story behind Chokers becoming champions

 

mav-मंजीत ठाकुर

क्रिकेट की दुनिया में दक्षिण अफ्रीकी टीम के बारे में मशहूर है कि बड़ी प्रतिस्पर्धाओं में वह अहम मौके पर जाकर दिशा भटक जाती है. जीत के लिए महत्वपूर्ण लगने वाले मोड़ों पर उसके पांव फिसलते हुए देखे गए हैं और इसलिए इस टीम को चोकर्स कहा जाने लगा.

दक्षिण अफ्रीका की टीम के दामन पर आईसीसी इवेंट्स में महत्वपूर्ण मैचों में बारंबार पराजित होने का दाग ढाई दशकों से लगा हुआ था, पर क्रिकेट विश्व टेस्ट चैंपिशनशिप के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका ने इस धब्बे को छुड़ा लिया. 

इससे पहले दक्षिण अफ्रीका को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में पांच बार (साल 2000, 2002, 2006, 2013 और 2025) पराजय का सामना करना पड़ा था.

इसीतरह वह आईसीसी एकदिवसीय विश्वकप के सेमीफाइनल में चार बार (साल 1992, 2007, 2015, 2023) में पराजित हो चुकी है. टीम ने पिछले साल टी-20 विश्वकप का ख़िताब भारत के हाथों गंवाया था.

क्रिकेट प्रेमियों को याद होगा कि ही टी-20 विश्वकप के फाइनल में किसतरह मैच भारत के हाथ से फिसलता हुआ लग रहा था. हेनरिक क्लासेन के विस्फोटक अंदाज और डेविड मिलर के सहयोग से उस रोज ऐसा लग रहा था कि दक्षिण अफ्रीका चोकर्स वाला स्टिकर दामन से छुड़ाकर मानेगी. इस जोड़ी ने 14वें और 15वें ओवर में 38 रन बनाकर दक्षिण अफ्रीका को विश्वकप खिताब के नजदीक पहुंचा दिया था.

दक्षिण अफ्रीका को 30 गेंदों में 30 रन बनाने थे और उसके छह बल्लेबाज अभी आउट होने बाकी थे. लेकिन सूर्यकुमार यादव के सीमारेखा पर लपके डेविड मिलर के बेहतरीन कैच, बुमराह के आखिरी दो बेहतरीन ओवरों के साथ हार्दिक पांड्या के दो विकेट ने निश्चित नजर आ रही जीत को हार में बदल दिया. 

लेकिन दक्षिण अफ्रीका के लिए निराशाओं के काले बादलों का किस्सा बहुत पुराना रहा है. 1999 के वनडे विश्वकप में दक्षिण अफ्रीका को ऑस्ट्रेलिया से जीत के लिए 214 रन बनाने थे.

लांस क्लूजनर ने झन्नाटेदार बल्लेबाजी से इस काम को आसान कर दिया था. मैच की आखिरी चार गेंदों पर जीत के लिए दक्षिण अफ्रीका को सिर्फ एक रन बनाना था. लांस क्लूजनर का आखिरी बल्लेबाज के रूप में एलन डोनाल्ड साथ दे रहे थे.

आखिरी ओवर की चौथी गेंद पर क्लूजनर रन लेने के लिए दौड़े पर डोनाल्ड गलतफ़हमी की वजह से दौड़े ही नहीं और विकेटकीपर एडम गिलक्रिस्ट ने क्लूजनर को रन आउट कर दिया और मैच टाई हो गया. दक्षिण अफ्रीका ग्रुप मैच में ऑस्ट्रेलिया से हार गया था, इस कारण ऑस्ट्रेलिया फाइनल में चला गया. 

2015 के वनडे विश्वकप का ऑकलैंड में खेले जा रहे सेमीफाइनल में खेला जा रहा था. न्यूजीलैंड को आखिरी ओवर में जीत के लिए 12 रन बनाने थे. यह ओवर उस दौर के अगिया बैताल गेंदबाज डेल स्टेन फेंकने वाले थे, जिन्हें गति के साथ सटीक गेंदबाजी के लिए जाना जाता था. इस कारण इतने रन बनाने कतई आसान नहीं लग रहे थे.

लेकिन बारिश आ जाने के कारण लक्ष्य घटैकर 298 रन कर दिया गया. यानी बदले हुए लक्ष्य ने न्यूजीलैंड के लिए मैच आसान कर दिया. दक्षिण अफ्रीका महत्वपूर्ण मैचों में दुर्भाग्य तो बुरे प्रदर्शन का शिकार होती रही. लेकिन उनके नए कप्तान ने जीत का यह सूखा खत्म कर दिया.

ऐसे में अफ्रीकी जीत के नायक तेम्बा बावुमा को हो माना जाना चाहिए. हालांकि, टेस्ट चैंपिशनशिप के फाइनल में एडन मारक्रम ने योद्धा की तरह 136 रनों की पारी खेली, लेकिन तेम्बा बावुमा ने दिलेरी से 66 रन बनाए. किसी भी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में यह सबसे बड़ी कप्तानी पारी है.

दिलेरी इसलिए क्योंकि बावुमा का हैमस्ट्रिंग खिंच गया था फिर वह टीम के हित के लिए विकेट पर जमे रहे और भागकर रन बनाते रहे. अपनी पारी में 46 रन उन्होंने दौड़कर बनाए.

यह सच है कि बावुमा नायक की तरह उभरे हैं. खासकर इसलिए क्योंकि कप्तान बनने से पहले की उनकी बल्लेबाजी औसत के लिए, उनकी शारीरिक बनावट के लिए, उनके नाम से मिलती-जुलती गाली के लिए उन्हें शर्मिंदा करने की कोशिश की जाती रही. 

तेम्बा का नाम का जुल भाषा में अर्थ होता है उम्मीद. निरंतर पराजय की परछाइयों से त्रस्त दक्षिण अफ्रीका को लिए तेम्बा बावुमा ने उस उम्मीद को साकार कर दिखाया है. कभी चोकर्स कही जाने वाली टीम अब चैंपियन है.

 (लेखक आवाज द वाॅयस में सोशल मीडिया संपादक हैं)

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