लखनऊ के सलाउद्दीन सिद्दकी: हड्डी नक्काशी छोड़कर बने कपड़ा उद्योग के सफल कारोबारी

Story by  दयाराम वशिष्ठ | Published by  [email protected] | Date 16-02-2025
Salauddin Siddiqui of Lucknow: Left bone carving and became a successful businessman in the textile industry
Salauddin Siddiqui of Lucknow: Left bone carving and became a successful businessman in the textile industry

 

दयाराम वशिष्ठ / फरीदाबाद (हरियाणा)

भारत में हस्तशिल्प और कढ़ाई के क्षेत्र में लखनऊ का नाम विश्वभर में प्रतिष्ठित है, लेकिन इनकी एक अलग और प्रेरणादायक कहानी है—लखनऊ के शिल्पकार सलाउद्दीन सिद्दकी की.हड्डी नक्काशी के पारंपरिक काम को छोड़कर, उन्होंने कपड़ा उद्योग में न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि एक मजबूत कारोबारी भी बन गए हैं.इस सफलता का सफर उन्होंने कड़ी मेहनत और साहसिक निर्णयों के साथ तय किया.

मुगलकालीन भारत में जानवरों की हड्डी पर नक्काशी का काम एक प्रसिद्ध कला रूप था, लेकिन बदलते समय के साथ इस कला की मांग में गिरावट आ गई.ग्राहकों का रुझान इस कला से घटने लगा, और इससे जुड़े कारीगरों को संकट का सामना करना पड़ा.इसी दौरान, लखनऊ के शिल्पकार सलाउद्दीन सिद्दकी ने इस कड़ी सच्चाई को समझा और अपने पारंपरिक कारोबार को छोड़ने का साहसिक कदम उठाया.

सलाउद्दीन ने अपने दोस्त कपिल यादव के प्रेरणादायक शब्दों से प्रभावित होकर 2014 में कपड़ा व्यापार में कदम रखा और लखनऊ की प्रसिद्ध चिकनकारी कढ़ाई का कारोबार शुरू किया.शुरू में पैसों की कमी थी, लेकिन उन्होंने एक लाख रुपये का मुद्रा लोन लिया और दो लाख रुपये का उधार लेकर अपनी यात्रा शुरू की.

lucknow

शुरुआत से सफलता तक

सलाउद्दीन की मेहनत रंग लाई, और उन्होंने इस क्षेत्र में जल्दी ही सफलता हासिल की.शुरुआत में, उन्होंने शार्ट टॉप बनाने का काम शुरू किया, और धीरे-धीरे उनकी मेहनत और कड़ी नज़र से व्यवसाय में बढ़ोतरी होने लगी.आज, सलाउद्दीन सिद्दकी का कारोबार इतना बड़ा हो चुका है कि उन्होंने लखनऊ चिकनकारी के कई उत्पाद जैसे शॉल, कुर्ते, टॉप्स, दुपट्टे और शर्ट्स तैयार करने में 50 से अधिक डिज़ाइनों का संग्रह कर लिया है.

surajkund

महिलाओं और कारीगरों को मिला रोजगार

सलाउद्दीन ने न केवल खुद को सफल बनाया, बल्कि अपने साथ-साथ कई अन्य लोगों को भी रोजगार दिया.उनके कारोबार में 300 से अधिक महिलाएं कढ़ाई और सिलाई के काम में जुड़ी हुई हैं, वहीं दर्जी, धोबी और कपड़ा कटिंग करने वाले लोग भी इस व्यापार से जुड़े हुए हैं.इससे न केवल उनका कारोबार फैलता गया, बल्कि कई परिवारों का जीवनस्तर भी सुधरने लगा.

सरकार से मिले समर्थन और प्रशिक्षण

सलाउद्दीन सिद्दकी ने कभी भी गुणवत्ता में समझौता नहीं किया.वे अपने उत्पादों की डिज़ाइन और खूबसूरती पर विशेष ध्यान देते हैं, और इस कार्य में उन्हें भारत सरकार का भी पूरा सहयोग प्राप्त है.समय-समय पर उन्हें सरकार की ओर से प्रशिक्षण और नए डिज़ाइनों के बारे में जानकारी मिलती रहती है.

इसके साथ ही, वे विभिन्न मेलों और प्रदर्शनों में भाग लेकर अपने उत्पादों को प्रमोट करते हैं.इस साल 12 से 15 फरवरी तक आयोजित होने वाले 'इंडिया एक्सपोर्ट मेला' में भी सलाउद्दीन अपने डिज़ाइनों का प्रदर्शन करेंगे.

surajkund

लखनऊ में शो रूम और सफलता की नई ऊंचाइयां

सलाउद्दीन ने अपने कारोबार को और अधिक बढ़ाने के लिए लखनऊ में 'एसएस चिकन आर्ट्स' के नाम से एक शो रूम खोला है, जिसे सरकार ने उन्हें अलॉट किया है.उनका दूसरा भाई, मोहम्मद सेफ, इस शो रूम को संभालते हैं, जहां 50 से अधिक प्रकार की चिकनकारी के कपड़े उपलब्ध हैं.

इसके अलावा, उन्होंने अपना लोन चुकता कर दिया है और अब वह पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं.सलाउद्दीन का कारोबार प्रतिवर्ष 30 से 40 लाख रुपये की आय उत्पन्न करता है.सलाउद्दीन सिद्दकी की कहानी यह साबित करती है कि अगर किसी के पास मेहनत, साहस और सही दिशा में काम करने का जुनून हो, तो कोई भी चुनौती उसे सफलता की ओर ले जा सकती है.

उन्होंने हड्डी नक्काशी से निकलकर कपड़ा व्यापार में न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि समाज के अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान किया.आज, वह एक प्रेरणा बन चुके हैं, और उनका यह सफर आने वाले वक्त में दूसरों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगा.