जब एक फूल ने जोड़े मंदिर और दरगाह के रास्ते

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 13-06-2025
Red rose: a symbol of reverence in Hindu and Muslim traditions
Red rose: a symbol of reverence in Hindu and Muslim traditions

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली  

हर वर्ष 12 जून 2025 को नेशनल रोज़ डे मनाया जाता है. जो दुनिया के सबसे प्रिय फूलों में से एक, लाल गुलाब, की सुंदरता और प्रतीकवाद को सम्मानित करने का दिन है. जबकि गुलाब को सामान्यतः प्रेम और सुंदरता से जोड़ा जाता है, इसके भीतर गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अर्थ भी समाहित हैं, खासकर भारतीय परंपराओं में. यहाँ पर लाल गुलाब हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के बीच श्रद्धा और सम्मान का साझा प्रतीक बनकर उभरा है.

गुलाब की पंखुड़ी में बसी है आराधना,

इबादत की खुशबू में रची है साधना।
कभी पूजा की थाली में, कभी सजदे की राह में,
ये लाल गुलाब बना है इश्क़ का गवाह हर राह में।

हिंदू हो या मुसलमान, दिल की ज़ुबां एक है,
प्रेम में जो भी चढ़े, वो फूल खुदा का नेक है।
ना मंदिर देखता है, ना मस्जिद की दीवार,
गुलाब तो बस पहचानता है सच्चा प्यार।

भारत में लाल गुलाब एक पवित्र सेतु के रूप में कार्य करता है, जो हिंदू धर्म और इस्लाम के बीच एकता और समझ को प्रदर्शित करता है. यह अनोखी सांस्कृतिक संलयन—जिसे हम गंगा-जमनी तहजीब कहते हैं—हिंदू और मुस्लिम धर्मों के बीच समरसता का प्रतीक है. लाल गुलाब केवल प्रेम का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक गहरी श्रद्धा और भक्तिभाव का प्रतीक है, जो इन दोनों धर्मों में समान रूप से प्रकट होती है.

हिंदू धर्म में लाल गुलाब: श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक:

हिंदू धर्म में फूलों का महत्व अत्यधिक है, और विशेष रूप से लाल गुलाब को पूजा और आराधना के दौरान महत्वपूर्ण माना जाता है. यह भगवान शिव, कृष्ण, और गौरी (गौरी माँ या दुर्गा) को चढ़ाए जाने वाले प्रमुख फूलों में से एक है. लाल गुलाब को भक्ति (श्रद्धा) और शक्ति (आध्यात्मिक ताकत) के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.

• भगवान शिव को विशेष रूप से महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर लाल गुलाब अर्पित किया जाता है. यह फूल भक्तों के प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है, और इसे भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए चढ़ाया जाता है.

• भगवान कृष्ण, जो प्रेम और भक्ति के देवता हैं, उन्हें भी लाल गुलाब अर्पित किया जाता है, जो भगवान के प्रति भक्त की गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है.

• नवरात्रि जैसे पर्वों पर, जब माँ दुर्गा की पूजा होती है, तब लाल गुलाब को पूजा सामग्री का हिस्सा बनाया जाता है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक होता है.

इस्लाम में लाल गुलाब: प्रेम और एकता का प्रतीक

इस्लाम में भी लाल गुलाब का विशेष स्थान है, और यह मुख्यतः सूफीवाद और धार्मिक श्रद्धा में उपयोग किया जाता है. गुलाब को पारंपरिक रूप से आध्यात्मिक सुंदरता और प्रेम का प्रतीक माना जाता है, और इसे अल्लाह और प्रोफेट मुहम्मद (सल्ल.) के प्रति श्रद्धा और प्रेम का संकेत माना जाता है.

• प्रोफेट मुहम्मद के प्रति प्रेम को दर्शाने के लिए लाल गुलाब का महत्व है. गुलाब की खुशबू और उसका रंग इस्लामी परंपराओं में प्रेम और भक्तिभाव के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.

• ईद जैसे पर्वों और खास धार्मिक अवसरों पर मुसलमान गुलाब और अन्य फूलों का आदान-प्रदान करते हैं. लाल गुलाब को मित्रता और सामूहिक एकता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है.

• सूफी साहित्य में गुलाब का अक्सर प्रयोग एक रूपक के तौर पर किया जाता है, जिसमें यह प्रेम और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक बनता है. सूफी कवियों के अनुसार, प्रेमी और उसके प्रिय के बीच एक दिव्य संबंध होता है, जो गुलाब के रूप में व्यक्त होता है.

मौलाना जमालुद्दीन (फरीदाबाद) का मानना है कि "लाल गुलाब न केवल एक फूल है, बल्कि यह इंसान की दिली श्रद्धा, सच्चे प्रेम और आस्था का प्रतीक है. चाहे मुसलमान हों या हिंदू, दोनों समुदाय इस गुलाब को अपने इष्ट या अल्लाह के प्रति समर्पण और प्रेम प्रकट करने के लिए अर्पित करते हैं. यह फूल एकता, आध्यात्मिक भावनाओं और साझा मानवीय संवेदनाओं का प्रतीक बन चुका है."

गंगा-जमनी तहजीब: सांस्कृतिक संलयन

लाल गुलाब की भूमिका गंगा-जमनी तहजीब में एक साझा प्रतीक के रूप में विशेष महत्व रखती है, जो हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों के बीच समरसता और सौहार्द का प्रतीक है. यह सांस्कृतिक मिश्रण न केवल धार्मिक प्रथाओं में बल्कि भारतीय समाज के रोजमर्रा के जीवन में भी देखा जाता है. लाल गुलाब का समान आदर और श्रद्धा दोनों धर्मों में एकता और भाईचारे का संदेश देता है.

शादी समारोहों में, चाहे हिंदू हो या मुस्लिम, लाल गुलाब का महत्वपूर्ण स्थान है. यह प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक होता है, जो वैवाहिक बंधन की पवित्रता को दर्शाता है. हिंदू शादियों में यह गुलाब वर-वधू के माला या आभूषणों में शामिल होता है, जबकि मुस्लिम शादियों में भी इसे सजावट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

त्योहारों में, जैसे होली (हिंदू पर्व) और ईद (मुस्लिम पर्व), लाल गुलाब का आदान-प्रदान होता है. हिंदू समुदाय इसे प्रेम और सामूहिकता के प्रतीक के रूप में उपयोग करता है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे प्रेम और सौहार्द के रूप में प्रस्तुत करता है.

धार्मिक तीर्थयात्राओं में भी, जैसे वैष्णो देवी (हिंदू तीर्थस्थल) और अजमेर शरीफ दरगाह (मुस्लिम तीर्थस्थल), श्रद्धालु लाल गुलाब अर्पित करते हैं. यह लाल गुलाब भक्तों के दिलों की प्रार्थनाओं और आशीर्वाद के रूप में प्रस्तुत होता है.

लाल गुलाब का सार्वभौमिक आकर्षण

लाल गुलाब, जो प्रेम, श्रद्धा, और समर्पण का प्रतीक है, एक दुर्लभ उदाहरण है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं को पार करता है. हिंदू पूजा स्थलों में हो या मुस्लिम दरगाहों में, हर जगह यह गुलाब एक जैसा संदेश देता है: ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा और प्रेम.

नेशनल रोज़ डे पर लाल गुलाब के महत्व को समझते हुए हम न केवल इसके सौंदर्य को सम्मानित करते हैं, बल्कि इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में उसकी भूमिका को भी याद करते हैं. यह गुलाब गंगा-जमनी तहजीब का एक जीवित प्रमाण है, जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर की सुंदरता और विविधता को उजागर करता है.

नेशनल रोज़ डे के इस अवसर पर, जब हम लाल गुलाब के महत्व पर विचार करते हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि यह केवल एक फूल नहीं है. यह श्रद्धा, प्रेम और एकता का साझा प्रतीक है. चाहे हिंदू हो या मुस्लिम, यह गुलाब हमारे दिलों में प्रेम और भक्ति का वह संदेश भेजता है, जो हमें एक-दूसरे से जोड़ता है.

लाल गुलाब का यह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रतीक हमें यह सिखाता है कि हमारी विविधताएँ ही हमारी ताकत हैं, और यह गुलाब हमें एकता, भाईचारे और प्रेम का अहसास कराता है.