नबाब अली

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 13-06-2025
Nawab Ali: Assam's 'Nawab of Cricket' who shaped two generations of cricketers
Nawab Ali: Assam's 'Nawab of Cricket' who shaped two generations of cricketers

 

इम्तियाज अहमद /गुवाहाटी

जब भी भारत में क्रिकेट कोचिंग के इतिहास की बात होती है, तो मुंबई के रामाकांत आचरेकर का नाम आदर से लिया जाता है, जिन्होंने न सिर्फ सचिन तेंदुलकर को तराशा, बल्कि उनके बेटे अर्जुन को भी मार्गदर्शन दिया. इसी तरह असम में भी एक नाम है, जिसने दो पीढ़ियों के क्रिकेटरों को गढ़ा—नबाब अली.

गुवाहाटी के ‘नबाबदा’ के नाम से मशहूर नबाब अली ने न सिर्फ असम रणजी टीम के पूर्व कप्तान पराग दास को तैयार किया, बल्कि उनके बेटे रियान पराग को भी उस मुकाम तक पहुंचाया, जहां से उन्होंने भारत की राष्ट्रीय टीम की जर्सी पहनी.
 
 
खिलाड़ी से कोच बनने का सफर

1985 से नेहरू स्टेडियम, गुवाहाटी में संचालित गुवाहाटी क्रिकेट कोचिंग सेंटर के संस्थापक नबाब अली ने अब तक 50 से अधिक प्रथम श्रेणी क्रिकेटर और 100 से अधिक राष्ट्रीय आयु वर्ग के खिलाड़ी तैयार किए हैं. 60 साल की उम्र में भी उनकी ऊर्जा और समर्पण आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है. वे कभी एक भी ट्रेनिंग सत्र से गैरहाज़िर नहीं रहे.
 
नबाब अली ने 15 साल की उम्र में क्रिकेट की शुरुआत की थी और 1981-84 के बीच असम का प्रतिनिधित्व सीके नायडू ट्रॉफी में किया. उन्होंने नुरुद्दीन ट्रॉफी में गुवाहाटी जिला टीम से भी खेला. लेकिन उनका असली जुनून था—कोचिंग और खिलाड़ियों को गढ़ना. 1984 में विरेंद्र शर्मा (SAI कोच) से प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने अपने कोचिंग करियर की नींव रखी.
 
 
उनके सेंटर से निकले कुछ प्रमुख खिलाड़ियों के नाम कुछ इस प्रकार से हैं. इस लिस्ट में पराग दास, रियान पराग (टीम इंडिया), अबू नासचिम अहमद (India U-19), सैयद जकारिया ज़ुफरी (India B, चैलेंजर ट्रॉफी), निशांता बोर्डोलोई, गौतम दत्ता, मृगेन तकुकदार, पोलाश ज्योति दास, खानिन सैकिया, सादेक इमरान चौधरी (India U-17) जैसे कई नाम शामिल हैं.
 
 
एक कोच, एक मार्गदर्शक, एक संगठनकर्ता

नबाब अली न सिर्फ कोच हैं, बल्कि एक उत्कृष्ट खेल संगठनकर्ता भी हैं. उन्होंने गुवाहाटी स्पोर्ट्स एसोसिएशन का नेतृत्व 1992 से 2018 तक किया.उनके नेतृत्व में गुवाहाटी क्रिकेट कोचिंग सेंटर ने 25-30 खिलाड़ियों से शुरुआत करके आज 350 से अधिक खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है.
 
 
नबाब अली को अब पूरा विश्वास है कि असम के खिलाड़ियों को अब राष्ट्रीय स्तर पर अनदेखा नहीं किया जाएगा, क्योंकि उनके ही शिष्य देवजीत सैकिया, जो कभी उनके कोचिंग सेंटर में खिलाड़ी थे, अब BCCI के सचिव हैं.
 
देवजीत सैकिया कहते हैं कि 'आज असम क्रिकेट को जो अवसर मिल रहे हैं, वो देवजीत की नेतृत्व क्षमता का परिणाम है. मैं चाहता हूं कि एक दिन वह ICC के अध्यक्ष बनें'.
 
 
नबाब अली की कहानी सिर्फ एक कोच की नहीं है, बल्कि एक दृष्टा, मार्गदर्शक और निर्माता की है, जिन्होंने असम की क्रिकेट को एक पहचान दी.वे उन दुर्लभ कोचों में से हैं जिन्होंने न केवल एक, बल्कि दो पीढ़ियों के खिलाड़ियों को तैयार किया है—और उनकी कहानी आने वाले खिलाड़ियों के लिए एक मशाल की तरह है.
 
--यह तस्वीरें नबाब अली की ऊर्जा और समर्पण को दर्शाती हैं