एक नया भारत: समावेश, सम्मान और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता राष्ट्र

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 13-06-2025
A New India: A Nation Moving Towards Inclusion, Respect and Self-Reliance
A New India: A Nation Moving Towards Inclusion, Respect and Self-Reliance

 

आवाज़ द वॉयस ब्यूरो/ नई दिल्ली

जब दुनिया के कई देश युद्धों से जूझ रहे हैं, वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिर है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की चुनौतियां सामने हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है और समाज में अस्थिरता का माहौल है, ऐसे समय में अगर कोई प्रधानमंत्री अपने देश को लगातार 11 वर्षों तक मुसीबतों से निकालता हुआ आगे बढ़ा रहा हो, तो उसकी प्रशंसा निश्चित रूप से बनती है. यह प्रधानमंत्री कोई और नहीं, नरेंद्र मोदी हैं और देश है भारत.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इन वैश्विक चुनौतियों की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत में हुए परिवर्तनों और जनकल्याणकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला है. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस में अपने लेख में लिखा है कि एक नया भारत आकार ले रहा है, जहाँ तरक्की केवल जीडीपी से नहीं, बल्कि लोगों की गरिमा और उनके लिए उपलब्ध अवसरों से मापी जाती है.

modi

उनके अनुसार, कडप्पा की एक गृहिणी अन्नम लक्ष्मी भवानी ने मुद्रा लोन लेकर जूट बैग निर्माण की सफल इकाई शुरू की. हरियाणा के किसान जगदेव सिंह आज अपनी फसलों से जुड़े फैसले एआई ऐप की मदद से लेते हैं.

उज्ज्वला योजना के तहत मीरा मांझी को एलपीजी कनेक्शन मिला, जिससे उनका रसोईघर धुएँ से मुक्त हो गया और उन्हें अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिताने का अवसर मिला. ये उदाहरण आज भारत के गांवों, कस्बों और शहरों की वास्तविकता बन चुके हैं.

ये बदलाव केवल योजनाओं की वजह से नहीं, बल्कि उस नेतृत्व की वजह से संभव हुए हैं जो अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को सशक्त बनाने में विश्वास रखता है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह दृष्टि 'अंत्योदय' से प्रेरित है — यानी समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति का उत्थान.

यह सोच ऐसे चार स्तंभों पर आधारित है: जोड़ने वाला बुनियादी ढांचा, समावेशी विकास, रोजगार देने वाली विनिर्माण प्रणाली और लोगों को सशक्त करने वाली सरल व्यवस्थाएँ.पिछले 11 वर्षों में पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो 2025-26 में ₹11.2 लाख करोड़ तक पहुँच गया है.

modi

इस निवेश की झलक देश की भौतिक, डिजिटल और सामाजिक अधोसंरचना में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है. अब तक देश में 59,000 किलोमीटर से अधिक हाईवे और 37,500 किलोमीटर रेलवे ट्रैक बिछाए गए हैं.

चिनाब और अंजी पुल जैसे आधुनिक निर्माण कार्य एक विकसित होते भारत के प्रतीक हैं। कश्मीर में वंदे भारत एक्सप्रेस का आगमन लोगों के लिए एक सपने के सच होने जैसा रहा.देश की डिजिटल अवसंरचना भी एक वैश्विक मानक बन चुकी है.

आधार, यूपीआई और डिजिलॉकर जैसी प्रणालियों की सराहना पूरी दुनिया में हो रही है. 141 करोड़ आधार पंजीकरण और हर दिन होने वाले 60 करोड़ यूपीआई लेनदेन इसकी व्यापक स्वीकार्यता को दर्शाते हैं। यह पूरी सोच तकनीक को आमजन के लिए सुलभ बनाने की भावना पर आधारित है.

भारत का AI मिशन भी इसी सोच से प्रेरित है। वर्तमान में 34,000 से अधिक हाई-स्पीड कंप्यूटर चिप्स भारत में उपलब्ध हैं, वो भी वैश्विक लागत के एक-तिहाई में. नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए AI-Kosha प्लेटफॉर्म पर 370 से अधिक डेटा सेट और 200 तैयार एआई मॉडल उपलब्ध कराए गए हैं.

यह समावेशी पहुंच केवल तकनीक तक सीमित नहीं है. शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सेवाओं में भी व्यापक सुधार हुआ है. देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 780 हो चुकी है.

एम्स संस्थानों की संख्या 7 से 23 हो गई है. MBBS और पीजी सीटों की संख्या भी दोगुनी से अधिक हो गई है. 53 करोड़ से अधिक जनधन खाते खोले गए हैं, जो यूरोप की कुल आबादी से अधिक हैं.

modi

4 करोड़ घरों का निर्माण, 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण, 10 करोड़ परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी गैस कनेक्शन और 14 करोड़ घरों में नल से जल की सुविधा उपलब्ध कराई गई है.

आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 35 करोड़ लोग स्वास्थ्य बीमा का लाभ ले रहे हैं. 11 करोड़ किसानों को पीएम-किसान योजना के तहत प्रत्यक्ष आय सहायता दी जा रही है. उज्ज्वला योजना की 10 करोड़वीं लाभार्थी मीरा मांझी ने बताया कि उनके खाते में ₹2.5 लाख सीधे ट्रांसफर हुए—बिना किसी बिचौलिए के.

अब उनके घर में नल का पानी, हर महीने मुफ्त राशन और धुएं रहित रसोई उपलब्ध है. यह समावेशी विकास है—इतने बड़े पैमाने पर, जो भारत के इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया.2015 में शुरू हुई ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने देश में नौकरियाँ और औद्योगिक विकास को पुनर्जीवित किया.

आज इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन छह गुना बढ़कर ₹12 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है. निर्यात भी आठ गुना बढ़कर ₹3 लाख करोड़ हो गया है. भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन चुका है. अब भारत इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग स्कीम के तहत वैल्यू चेन को और मजबूत कर रहा है.

modi

सेमीकंडक्टर मिशन भी अब कागज़ से ज़मीनी स्तर पर उतर आया है. देश की पहली वाणिज्यिक लैब का निर्माण हो रहा है और 5 OSAT यूनिट्स की स्थापना की जा रही है. 20 से अधिक चिपसेट भारतीय छात्रों और इंजीनियरों द्वारा स्वदेशी IP के साथ डिजाइन किए गए हैं.

270 विश्वविद्यालयों को वर्ल्ड-क्लास EDA टूल्स से जोड़ा गया है ताकि एक मज़बूत सेमीकंडक्टर टैलेंट पाइपलाइन विकसित की जा सके.बीते दशक में शासन व्यवस्था में भी एक गहरी और शांत क्रांति आई है। 1,500 से अधिक पुराने कानूनों को रद्द किया गया और 40,000 से अधिक अनुपालन प्रक्रियाओं को समाप्त किया गया.

नया टेलीकॉम कानून और डिजिटल डेटा सुरक्षा अधिनियम (DPDP) नागरिकों को संदेह की नजर से नहीं, सम्मान की दृष्टि से देखते हैं. इसने निवेश, नवाचार और औपचारिक अर्थव्यवस्था को बल दिया है और एक सकारात्मक विकास चक्र की शुरुआत की है.

भारत का आतंकवाद के प्रति रवैया भी अब निर्णायक और साहसी हो गया है। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और अब ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाइयाँ इस बदले हुए दृष्टिकोण का प्रमाण हैं.

मोदी सिद्धांत पर आधारित यह नीति भारत की शर्तों पर निर्णायक जवाब देने, परमाणु ब्लैकमेल के लिए शून्य सहिष्णुता और आतंकवादियों व उनके समर्थकों के बीच कोई भेद न करने की बात पर आधारित है.

modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न अवसरों पर अलग-अलग मुद्राओं में

इस बार की कार्रवाई में स्वदेशी तकनीकों और क्षमताओं का इस्तेमाल भारत की आत्मनिर्भरता की पुष्टि करता है. एक ऐसा राष्ट्र जो विकसित बनने का सपना देखता है, उसे अपनी सुरक्षा भी आत्मनिर्भरता के साथ सुनिश्चित करनी होगी — और भारत ने यही किया.

2004 में जब अटल बिहारी वाजपेयी का कार्यकाल समाप्त हुआ, भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था. 2004 से 2014 के दौरान भारत उस पायदान पर ही रुका रहा. लेकिन पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी की सुधारवादी नीतियों ने भारत को नई गति दी है. आज भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इन 11 वर्षों का समावेशी विकास केवल सेवाएँ या सब्सिडी ही नहीं, बल्कि लोगों को आत्मविश्वास और भविष्य में आस्था भी दे रहा है. और यही अटूट विश्वास किसी राष्ट्र को आगे ले जाने वाली सबसे बड़ी शक्ति होता है.