सेराज अनवर/पटना
बिहार में मुस्लिम बेटियों ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से समाज को एक नया संदेश दिया है.एक कहानी पहले भी आपने पढ़ी थी, "भाई जेल में, बहन बन गई जज," अब उसी की यह दूसरी कड़ी है.इस बार की कहानी एक ऐसे परिवार की है, जिनकी बेटी ने अपनी कड़ी मेहनत से सफलता की नई मिसाल कायम की है.
यह कहानी बिहार के मुंगेर जिले की है, जहां एक मस्जिद के इमाम की बेटी ने बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में शानदार 30वां स्थान प्राप्त कर जज बनने का गौरव हासिल किया है.
हबीबा बुखारी: एक नई प्रेरणा
मुंगेर शहर के तोपखाना बाजार के निवासी क़ारी मोहम्मद अहमद बुखारी की बेटी, हबीबा बुखारी, ने हाल ही में बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की और अब वह जज की कुर्सी पर बैठने जा रही हैं.हबीबा बुखारी की सफलता ने पूरे परिवार और मुंगेर शहर को गौरवांवित किया है.उनके जज बनने की खबर ने पूरे इलाके में खुशी की लहर दौड़ा दी है, और उनके घर पर बधाई देने वालों का ताता लगा हुआ है.
हबीबा बुखारी के पिता क़ारी मोहम्मद अहमद बुखारी मुंगेर स्थित गुलजार पोखर मस्जिद के इमाम हैं, जहां वह पिछले कई सालों से इमामत की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.हबीबा की सफलता ने साबित कर दिया कि मुस्लिम समाज अब उच्च शिक्षा के प्रति जागरूक हो चुका है, और यही कारण है कि आज से एक दशक पहले जिस बात को सोचना भी मुश्किल था, वह आज हकीकत बन गई है — एक इमाम की बेटी जज बन सकती है.
हबीबा की यह सफलता उन तमाम बेटियों के लिए प्रेरणा है जो समाज के संकीर्ण विचारों और पारंपरिक बंधनों को तोड़ते हुए अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष करती हैं.हबीबा की सफलता ने यह भी सिद्ध कर दिया कि समाज में बदलाव की शुरुआत घर से ही होती है, जहां से हर बच्चे के सपने को पंख मिलते हैं.
परिवार का संघर्ष और प्रेरणा
हबीबा के परिवार का इतिहास भी प्रेरणा से भरा हुआ है.हबीबा के चाचा, अब्दुल्ला बुखारी, तोपखाना बाजार स्थित मदरसा तजवीद उल क़ुरआन के प्रमुख हैं.उनका यह मदरसा 1949 से कार्यरत है और हबीबा के चाचा की मेहनत और लगन का ही परिणाम है कि हबीबा को शिक्षा के क्षेत्र में अवसर मिले.
हबीबा की दादी के बारे में कहा जाता है कि वह एक बेहद धार्मिक महिला थीं, जिनकी शिक्षा की दिशा में गहरी रुचि थी.उनका मानना था कि शिक्षा एक महिला को अपने पैरों पर खड़ा कर सकती है और यही सिद्धांत हबीबा ने अपनाया.
हबीबा बुखारी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंगेर से प्राप्त की, और फिर अपनी इंटरमीडिएट और लॉ की पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से की.बचपन से ही उनका सपना था कि वह एक दिन जज बनेंगी, और इस उद्देश्य के साथ उन्होंने कड़ी मेहनत की.हबीबा ने पटना हाई कोर्ट में रहकर अपनी तैयारी की, जहां उन्होंने कानून, केस स्टडी और करंट अफेयर्स पर गहन अध्ययन किया.
कड़ी मेहनत और साधनहीनता के बावजूद सफलता
हबीबा की सफलता को लेकर कई तरह के सवाल उठ सकते थे, लेकिन उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष ने सारे सवालों का जवाब दिया.वह एक ऐसे परिवार से आती हैं, जहां संसाधनों की कमी थी.उनके पिता की तनख़्वाह इतनी कम थी कि परिवार का पालन-पोषण भी मुश्किल था, लेकिन फिर भी उनके पिता ने अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए हर संभव प्रयास किया.
हबीबा ने कभी भी हार नहीं मानी, और आर्थिक तंगी के बावजूद अपनी पढ़ाई जारी रखी.उन्होंने ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की.यह कहानी उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है जिनके पास संसाधनों की कमी होती है.हबीबा ने सिद्ध कर दिया कि अगर इरादा मजबूत हो तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है.
बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा: कठिन यात्रा
बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा राज्य की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है.इस परीक्षा को पास करना कोई आसान काम नहीं है.इसके लिए गहरे कानूनी ज्ञान, विश्लेषणात्मक सोच, और महीनों की अनुशासित तैयारी की आवश्यकता होती है.
हबीबा के लिए यह परीक्षा और भी कठिन थी क्योंकि उनके पास बेहतरीन कोचिंग की सुविधा नहीं थी.लेकिन फिर भी उन्होंने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ अपनी तैयारी की.उन्होंने कानून की अवधारणाओं, केस स्टडी और करंट अफेयर्स पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपना अध्ययन कार्यक्रम तैयार किया और लगातार मेहनत करते हुए सफलता हासिल की.
हबीबा की सफलता केवल उनके परिवार के लिए ही गर्व की बात नहीं है, बल्कि यह पूरे बिहार राज्य के लिए गर्व की बात है.उनकी सफलता साबित करती है कि अगर एक लड़की का मनोबल ऊंचा हो और वह ठान ले, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकती है.
सामाजिक दृष्टिकोण और बधाई संदेश
हबीबा की सफलता पर सोशल मीडिया पर बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई है.उनकी सफलता को देखकर लोग यह मानने लगे हैं कि महिलाएं अब हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं.यह सफलता न्यायिक सेवा में महिला भागीदारी को बढ़ावा देने का संकेत देती है, और यह भविष्य में और अधिक महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी.
परिवार और समाज का समर्थन
हबीबा की सफलता पर उन्हें बधाई देने वालों में कारी हुसैन अख्तर नदवी, मोहम्मद एहतेशाम आलम, इरफान अहमद, डॉक्टर वहाबुद्दीन, आमिर अली, डॉक्टर फ़ाज़ अहमद, मुफ्ती अताउल्लाह बुखारी, शाह नजम नजमी, हजरत मौलाना सैयद शाह फखर आलम, हुसैन सज्जादा, हाफिज अताउर रहमान, फ़ज़्लुल्लाह बुखारी, मौलाना ओबेद मज़ाहरी, मास्टर अब्दुल माजिद समेत अन्य कई प्रमुख हस्तियां शामिल हैं। इन सभी ने हबीबा के संघर्ष और सफलता को सराहा और उन्हें शुभकामनाएं दीं.
हबीबा बुखारी की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.उन्होंने अपने संघर्ष, समर्पण और साहस के साथ न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया बल्कि पूरे समाज को यह संदेश दिया कि महिलाओं के लिए कोई भी रास्ता बंद नहीं होता.
हबीबा बुखारी का यह सफर हमें यह सिखाता है कि अगर किसी के पास संघर्ष करने की इच्छा हो, तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है.उनकी सफलता एक प्रेरणा है, जो हर लड़की और महिला को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है.