आशा खोसा / राम कुमार/ नई दिल्ली
रात का एक बज रहा था. रियाजुद्दीन ने अपने फोन का ई-मेल बॉक्स चोक किया. देखा कि वह विश्व के सबसे हल्के सेटेलाइट के आविष्कारक के तौर पर चयनित हुए हैं, जिसे अमेरिका की नासा एजेंसी द्वारा लॉन्च किया जाएगा.’मैं उत्साहित था.’ रियाजुद्दीन ने कहा, जो 18 वर्षीय इंजीनियरिंग के छात्र हैं और चेन्नई से 36 किमी दूर तंजावुर स्थित करांथी कस्बा में रहते हैं. रियाजुद्दीन भाग कर अपने परिजनों के कक्ष में गए और उन्हें जगाकर यह खबर सुनाई.
युवा वैज्ञानिक रियाजुद्दीन के सेटेलाइट का वजन 33 ग्राम है. उन्होंने चेन्नई के एक अन्य छात्र रिफत शाहरुख और उनकी टीम के 64ग्राम वजन वाले सेटेलाइट का रिकॉर्ड तोड़ा. शाहरुख के सेटेलाइट को नासा ने 2018में किया था लॉन्च.
जब वह ’आवाज - द वॉयस’ से बात कर रहे थे, तब भी उनकी आवाज में ताजगी थी.वह एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने के उत्साह से भरे थे, जिसमें विश्व के 73 देशों के प्रतियोगियों ने अपने तकनीकी परियोजनाएं और आविष्कार प्रदर्शित किए थे.रियाजुद्दीन के प्रत्येक सैटेलाइट का वजन 33ग्राम है. उन्होंने अपने ऐसे दो सेटेलाइट से चेन्नई के ही एक दूसरे छात्र रिफत शाहरुख और उसकी टीम का रिकाॅर्ड तोड़ा है. उनके सेटेलाइट का वजन 64 ग्राम है. शाहरुख के सेटेलाइट को नासा ने 2018 में लॉन्च किया था.
दरअसल, रियाजुद्दीन बेताबी से परिणाम की घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे थे, क्योंकि पिछले वर्ष वह प्रतियोगिता के अंतिम चक्र में पिछड़ गए थे. उनका मॉडल अमेरिका में नासा द्वारा लॉन्च करने के लिए जहाज द्वारा भेजा न जा सका था.इस छोटे वैज्ञानिक ने बताया कि उसने अपने सेटेलाइट में कुछ बीजों का भी इस्तेमाल किया था, जिसे अंतिम चक्र में अस्वीकृत कर दिया गया था. आयोजकों ने बताया था कि वे उस मॉडल को अमेरिका कूरियर नहीं कर सकते.
सेटेलाइट का नाम ’कलामसेट’ रखा
चेन्नई के इन दोनों ही शोधार्थियों ने सेटेलाइट पर अंतरिक्ष स्थिति प्रभावों को जांचने के लिए विभिन्न पदार्थों के साथ परीक्षण किए थे. रिफत ने यूज्ड कार्बन और रियाजुद्दीन ने उससे भी हल्के मेटीरियल ’पॉलीथेरीमाइड थर्मोप्लास्टि रेजिन’ के साथ परीक्षण किया था.नासा इन प्रायोगिक सेटेलाइट की लॉन्चिंग का डाटा अपने मिशन और आगे के अनुसंधान के लिए उपयोग करता है.रियाजुद्दीन और रिफत दोनों पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित हैं. रिफत ने अपने सेटेलाइट का नाम ’कलामसेट’ रखा था, जिसे नासा ने कलाम के गुजरने के दो साल बाद लॉन्च किया था.जबकि रियाजुद्दीन अपने आराध्य के प्रति अभिभूत हैं.रियाजुद्दीन कहते हैं, ’देश के हम सभी युवक उनसे प्रेरित हैं. उनका जीवन, उनका चीजों के प्रति रवैया, उनका दर्शन, कार्य करने का ढंग और समर्पण, उनका सब कुछ मुझे प्रेरित करता है. वह असाधारण व्यक्तित्व थे.’
चेन्नई के रियाजुद्दी परिजनों के साथ
नासा ने चेन्नई के युवा वैज्ञानिक रियाजुद्दीन के सेटेलाइट मॉडल का किया चयन
उन्होंने दो सेटेलाइट बनाए हैं, जो अब तक के सबसे हल्के सेटेलाइट हैं
रियाज देश से बाहर जाने के बजाय यहीं अपना स्टार्टअप खोलना चाहते हैं
शस्त्र यूनिवर्सिटी ने उनके स्टार्टअप के लिए पांच लाख रुपए का अनुदान देने का दिया प्रस्ताव
पूर्व राष्ट्रपति कलाम की तरह रियाजुद्दीन रिलैक्स होने के लिए बजाते हैं पियानो
मिसाइल कार्यक्रम को धार दी
जनता के राष्ट्रपति कलाम का उपनाम देश के मिसाइल कार्यक्रम को धार देने की भूमिका के लिए ’मिसाइल मैन ऑफ इंडिया’ पड़ गया था. अन्य लोग उन्हें उनकी सादगी, परोपकारिता और देश प्रेम के लिए स्नेह करते थे. उनके सभी गुण और युवाओं को उनके गंभीर संदेश ने उन्हें युवा विजेताओं का आइकॉन बना दिया. वे भी तमिलनाडु से ही थे.रियाजुद्दीन मध्यम वर्गीय परिवार से हैं. उनके पिता शमशुद्दीन एयर कंडीशनिंग इंजीनियर हैं. वे अपना व्यवसाय शुरू करने से पहले नौकरी करते थे. रियाजुद्दीन ने चेन्नई से अपनी स्कूलिंग की, जहां उनके पिता ने 20वर्षों तक कार्य किया.
विज्ञान में जन्मजात रुचि
अपने पुत्र की उपलब्धि पर गर्व करते हुए शमशुद्दीन कहते हैं, ’जब वह प्राथमिक कक्षाओं में था, तब ही मैंने विज्ञान के लिए उसके अनुराग को नोटिस किया था. उसने स्कूल स्तर की विज्ञान प्रतियोगिताओं में सहभाग किया था. उसने कई पुरस्कार भी जीते थे. वह कहते हैं कि यद्यपि यह सब सामर्थ्य से बाहर था, लेकिन उन्होंने अपने बेटे की जन्मजात रुचियों के मद्देनजर उसे रोबाॅटिक्स की निजी प्रशिक्षण कक्षाओं में भर्ती करवा दिया था.रियाजुद्दीन चेन्नई की शस्त्र यूनिवर्सिटी में द्वितीय वर्ष के छात्र हैं. उन्हें यह याद नहीं कि उन्होंने विज्ञान में पहला प्रयोग कब किया था. उन्होंने बताया, ’मुझे कुछ खास याद नहीं, क्योंकि मैं हमेशा विज्ञान और आविष्कार के विचारों में डूबा रहता हूं.’
उसने अवार्ड प्राप्त करने वाले अपने दोनों सेटेलाइट का नाम विजन-1और विजन-2रखा है. वह उन्हें अंतर्राष्ट्रीय कूरियर सेवा से नासा भेजेंगे. इनकी लॉन्चिग के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया है. यदि कोरोना महामारी की स्थिति में सुधार हुआ, तो वह जाना पसंद करेगा.
मॉडल 11 मापदंडों पर देगा डाटा
उसके आविष्कार में अंतरिक्ष तकनीक में पॉलीथेरीमाइड थर्मोप्लास्टि रेजिन का इस्तेमाल शामिल है. नासा ने अंतरिक्ष में उनके सेटेलाइट के प्रभाव को देखने के लिए चयनित किया है. ऐसे सेटेलाइट को सब ऑरबिटल सेटेलाइट कहा जाता है, जो अंतरिक्ष में जाने और उसके बाद अलग होने के लिए बने होते हैं. इस अवधि में अंतरिक्ष में उस पर हुए प्रभावों के बारे में डाटा संग्रह किया जाता है.क्यूब आकार का उनका उपकरण नासा को 11 मापदंडों पर डाटा उपलब्ध करवाएगा. उससे मिलने वाले डाटा का उपयोग अंतरिक्ष, विमानन, रोबोटिक और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में किया जाएगा. उनके सेटेलाइट का साउंडिंग रॉकेट और जीरो-प्रेशर साइंटिफिक बलून कहे जाने वाली दो लॉन्च प्रणालियों पर आधारित दो वर्गों में चयन हुआ है. यह सेटेलाइट 100 ग्राम वजन से कम और सस्ते व आम उपलब्ध पुर्जों से बने सेटेलाइट के वर्ग में शामिल है.नवोन्मेष की खोज में नासा प्रति वर्ष 11-18 आयु वर्ग के स्कूली छात्रों के लिए ’क्यूब्स इन स्पेस’ नाम की वैश्विक प्रतियोगिता आयाजित करता है.
चेन्नई में युवा विज्ञानियों के लिए अच्छा माहौल है
यह महज संयोग है कि सेटेलाइट डिजायन के दोनों युवा विजेता चेन्नई से हैं. इस बारे में रियाजुद्दीन कहते हैं कि चेन्नई में कई इंस्टीट्यूट हैं, जो वर्कशॉप आयोजित करते हैं और छात्रों को रोबाॅटिक्स और अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्रों में परीक्षण और आविष्कार की जानकारी देते हैं.वे कहते हैं, ’चेन्नई युवा विज्ञानियों को सर्वोत्कृष्ट परिवेश उपलब्ध करवाता है.’उन्होंने कहा कि आईएनआरओ लैब औद्योगिक रोबोटिक्स के साथ काम करती हैं. उन्होंने उन्हें और अन्य छात्रों को तकनीक और उसकी एप्लीकेशंस में बड़ा एक्सपोजर दिया है.
मूल्यों के प्रति सच्चे
रियाजुद्दीन कहीं दूर देश जाकर बसने के सपने नहीं देख रहे हैं, बल्कि उनकी देश में ही स्टार्टअप शुरू करने की योजना है, जो विज्ञान और तकनीक में आविष्कार के लिए युवा विज्ञानियों को अवसर देगा.
स्टार्टअप के लिए 5 लाख का अनुदान
शस्त्र यूनिवर्सिटी ने रियाजुद्दीन को उसके स्टार्टअप के लिए 5लाख रुपए का ऊष्मायन अनुदान देने का प्रस्ताव दिया है. रियाजुद्दीन केवल तकनीक के बारे में नहीं सोचते, फर्सत में हों तो पियानो बजाना नहीं भूलते. लगभग उसी तरह, जैसे उनके मेंटर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जब डयूटी पर नहीं होते तो रुद्र वीणा बजाया करते थे.