सेराज अनवर / पटना
जाबिर अंसारी, बिहार से कराटे की दुनिया का एक उभरता सितारा ! इनकी निरंतर सफलता नेे बिहार वासियों का सीना गौरवान्वित से चैड़ा कर दिया है. कम उम्र में सूबे के एक छोटे से इलाके जमुई के इस लाल ने मेडल का अंबार लगा दिया है.पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती पर पटना में आयोजित राजीव गांधी मेमोरियल कराटे चैंपियनशिप में जाबिर ने अपने जौहर से रजत पदक पर कब्जा किया.पटना कॉलेज से उर्दू में स्नातक की पढ़ाई कर रहे जाबिर अंसारी ने देश-विदेश में कई पदक अर्जित किए हैं.
जाबिर की उपलब्धियां
जाबिर ने जनवरी 2015 से कराटे के मैदान में कदम रखा.तब से लगातार अपने वर्ग में ( - 75 किलोवर्ग ) 5 बार बिहार राज्य चैंपियन का ख्तिाब जीतने के साथ 5 बार राष्ट्रीय स्तर पर राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. इसमें दो बार 2017 और 2018 में राज्य के लिए पदक भी हासिल किया.
बिहार सरकार 2 बार खेल दिवस पर खेल रत्न से जाबिर को सम्मानित कर चुकी है. इसके अलावा जाबिर ने चार बार देश का प्रतिनिधित्व किया. 2017 में श्रीलंका में आयोजित दक्षिण एशियाई कराटे प्रतियोगिता में अपने देश के लिए रजत पदक जीता है. जाबिर. 2018 में चीन , थाईलैंड और 2019 में तुर्की में देश का प्रतिनिधित्व भी किया. 2018 में इंडोनेशिया में आयोजित एशियाई खेलों में भारत के संभावित कराटे खिलाड़ियों में शामिल हो कर प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया था .
कई सारे ओपन प्रतियोगिता में राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय विजेता रह चुके हैं. इसी सप्ताह राज्य कराटे संघ के बैनर तले राजीव गांधी की जयंती पर आयोजित राजीव गांधी मेमोरियल कराटे प्रतियोगिता में जाबिर ने 6 राउंड के बाद 7 वें राउंड में 1 पॉइंट से हार कर रजत पदक पर कब्जा किया. इस प्रतियोगिता में बिहार के 150 खिलाड़ियों नें हिस्सा लिया था.जाबिर सीनियर वर्ग में 40 खिलाड़ी में शामिल थे. इसी वर्ष आयोजित ओपन बिहार कराटे प्रतियोगिता में जाबिर अपने वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहे थे.
कौन है जाबिर अंसारी ?
जाबिर अंसारी बिहार के नक्सल प्रभावित जिला जमुई के रहने वाले हैं. मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले जाबिर को बचपन से ही कराटे का शौक है..इनके पिता इम्तियाज अंसारी झाझा प्रखंड के तुम्बापहाड़ गांव स्थित स्कूल में एक साधारण शिक्षक हैं. जिस पर पूरा परिवार आश्रित है.जाबिर 4 भाई बहन में सबसे बड़े हैं. जाबिर कुमिते ( लड़ाई ) में महारत रखते हैं. कठिन परिश्रम और कई परीक्षाओं से गुजरने के बाद किसी खिलाड़ी को कुमिते का खिताब मिलता है.
जाबिर ने ओलम्पिक कराटे के लिए 259 वां रैंक ला कर सबको चैंका दिया था.टोक्यो में संपन्न ओलंपिक खेल में बिहार का नेतृत्व करते हुए अंतरराष्ट्रीय कराटे खिलाड़ी जाबिर अंसारी को पूरे विश्व में 259 वां रैंक मिला था.ओलंपिक खेलने के लिए क्वालीफाई रैंकिंग हासिल करनी होती है.
यदि जाबिर का अंडर 100 रैंकिंग होता तो ओलंपिक के लिए ट्रायल देते.इनके कोच पंकज कांबली का कहना है कि इसी तरह का प्रदर्शन रहा तो 2024 के ओलंपिक में देश के लिए जाबिर पदक जरूर लाएगा.जाबिर भी कहते हैं कि एशियाई खेलों, कॉमनवेल्थ गेम्सं और ओलम्पिक में देश के लिए पदक जीतना उनका लक्ष्य है.
अपनी थोड़ी सी सफलता में कोच पंकज कांबली का नाम लेना जाबिर नहीं भूलते.वह कहते हैं कि कई सारी कठिनाई से गुजर कर यहां तक पहुंचे हैं तो इसमें सबसे बड़ा हाथ मेरे कोच पंकज कांबली सर का है.बहुत अहम भूमिका हैं मेरी इस छोटी सीे कामयाबी में.
उन्होंने आर्थिक सहायता से लेकर हमारी हर तरह से मद्द की.कोलंबो जाने के लिए किराए का पैसे के लिए संघर्ष करने वाले जाबिर का हौसला इतना बुलंद है कि सोना जीतने का दावा करके निकला पर मामूली अंतर से फाइनल में श्रीलंका के खिलाड़ी से हार कर सिल्वर पदक ले सका.कठिनाइयों के बावजूद सफलता कदम चूमने लगी तो जाबिर के इरादे मजबूत होते गए.