Tripura: A disabled self-help group takes a step towards self-reliance by making clay lamps
नूरुल हक / अगरतला
त्रिपुरा के अमरपुर स्थित "सक्षम" स्वयं सहायता समूह ने दिव्यांगता को कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी ताकत बनाकर आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम की है. पद्मा जमातिया के नेतृत्व में इस समूह ने मात्र 50 हज़ार टका से शुरुआत कर मिट्टी के दीये और बाँस-रतन से बने उत्पाद तैयार करने का कार्य शुरू किया. दिवाली के अवसर पर वे हज़ारों हस्तनिर्मित दीये बनाकर अगरतला समेत पूरे राज्य में सप्लाई कर रहे हैं. प्रधानमंत्री के "आत्मनिर्भर भारत" और "वोकल फॉर लोकल" के संकल्प को साकार करते हुए, यह समूह समाज को दिखा रहा है कि कठिनाइयों के बावजूद आत्मविश्वास और मेहनत से जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है.
ग्रुप लीडर पद्मा जमातिया
कुछ लोग आँखों से देख नहीं सकते. कुछ बोल नहीं सकते, कुछ कानों से सुन नहीं सकते, और कुछ अपने पैरों पर ठीक से चल नहीं सकते. फिर भी, वे जीवन में पीछे नहीं रहना चाहते. वे आगे बढ़ना चाहते हैं और समाज को रोशनी की एक नई राह दिखाना चाहते हैं. त्रिपुरा के अमरपुर के आरडी ब्लॉक के अंतर्गत "सक्षम" सहायता समूह ऐसे ही कुछ दिव्यांग लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की नई दिशा दिखा रहा है.
प्रधानमंत्री के "आत्मनिर्भर भारत" और "वोकल फॉर लोकल" के नारे को ध्यान में रखते हुए, इस सक्षम सहायता समूह ने त्रिपुरा शासक के आजीविका मिशन के माध्यम से मात्र 50 हज़ार टका से अपनी यात्रा शुरू की. समूह की प्रमुख पद्मा जमातिया के नेतृत्व में, दिव्यांग सदस्यों ने बाँस और रतन के उत्पाद और मिट्टी के दीये बनाने का काम शुरू किया और जीविकोपार्जन का एक रास्ता खोज लिया.
दिवाली के दीये बनाते समय
फिलहाल, दिवाली से पहले वे खूबसूरत हस्तनिर्मित मिट्टी के दीये बनाकर उन्हें प्रदर्शनी में लगा रही हैं. दिवाली को ध्यान में रखते हुए, वे हज़ारों मिट्टी के दीये बना रही हैं और इन्हें त्रिपुरा की राजधानी अगरतला समेत पूरे राज्य में सप्लाई किया जा रहा है.
समूह की प्रमुख पद्मा जमातिया ने बताया कि उनके पास अब मिट्टी के दीयों के ढेरों ऑर्डर आ रहे हैं. वे इन्हें बनाने में दिन-रात जुटी हैं. हालाँकि वे अपनी आँखों से देख नहीं सकतीं, फिर भी उनके समूह की सदस्य मिट्टी के दीयों पर बेहद खूबसूरत डिज़ाइन बना रही हैं. लोग इनकी ओर सहज ही आकर्षित हो रहे हैं.
रोशनी के त्योहार दिवाली से पहले, सक्षम स्वयं सहायता समूह समाज को जीवन की तमाम कठिनाइयों को पार करके आगे बढ़ने की एक नई राह दिखा रहा है. वहीं, त्रिपुरा राज्य की मुख्यमंत्री ने भी इस स्वयं सहायता समूह की सदस्यों के कठिन संघर्ष और उनकी सफलता को अपने सोशल मीडिया पर साझा किया है.