नबीहा रहमान की बहुमुखी प्रतिभा के पीछे छिपा है नंबरों का रहस्य

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
नबीहा रहमान की बहुमुखी प्रतिभा के पीछे छिपा है नंबरों का रहस्य
नबीहा रहमान की बहुमुखी प्रतिभा के पीछे छिपा है नंबरों का रहस्य

 

स्मिता भट्टाचार्य / जोरहाट

10 साल और 9 महीने की नबीहा रहमान एक विलक्षण प्रतिभा की धनी हैं, जो हर उस प्रतियोगिता में स्कोर करती हैं, जिसमें वह भाग लेती हैं. एक शोकेस में प्रदर्शित 100 से अधिक ट्राफियां, पदक और लगभग एक दीवाल पर लगे प्रमाण पत्र उनकी कामयाबी की गवाही देते हैं. प्रभावशाली टैली केवल चार वर्षों में बढ़ी. नबीहा गाती हैं, नृत्य करती हैं, कुरान की आयतों का पाठ करती हैं और अपनी कक्षा में अव्वल आती है और कुंगफू (सब जूनियर स्तर) में जिला विजेता के रूप में एक औसत पंच भी पैक करती है. 

अंकशास्त्री शायद उनकी असाधारण प्रतिभा का श्रेय उनकी जन्मतिथि को देंगे. उनका जन्म 11.11.2011 को शिवसागर जिले के नजीरा में ईस्ट पॉइंट अस्पताल के 111वें नंबर कमरे में हुआ था. उनके डॉक्टर दिलीप गोगोई ने उसके माता-पिता पिता सैयद मोइनुर रहमान और मां नफिया हक को भी बताया था कि वह उस दिन जिले में पैदा होने वाली 11वीं लड़की थीं.

माता-पिता के लिए यह पर्याप्त था कि उनकी बेटी का जन्म हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के लिए एक पवित्र दिन हुआ था, उस दिन रास पूर्णिमा थी, जिसे हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है और शुक्रवार के नाते वह भी इस्लाम में एक शुभ दिन माना जाता था. इसके अलावा यह राष्ट्रीय शिक्षा दिवस भी था.

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उनके पिता ने उसे जिकिर प्रतिपादक नसीरुद्दीन अहमद के पास शांति और सद्भाव के सूफी गीत सीखने के लिए भेजा था. जिकिर प्रतियोगिता में नजीरा के सभी लड़कियों के समूह में उनकी पहली भागीदारी तब हुई, जब वह केवल छह वर्ष की थीं. समूह को प्रथम पुरस्कार मिला था.

उनकी यात्रा के बारे में बताते हुए सैयद रहमान ने कहा कि अगले साल, यानी 2018 में उन्होंने तय किया कि नबीहा लगभग पांच से सात लड़कियों वाले समूह का नेतृत्व करेंगी, जो पहले अलग-अलग जगहों से संबंधित थीं, लेकिन अब सभी नजीरा से संबंधित हैं. वह सभी जिकिर प्रतियोगिताओं में पहला या दूसरा पुरस्कार प्राप्त करती है.

4 दिसंबर, 2021 को उन्हें मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के सामने शंकरदेव कलाक्षेत्र में अपने समूह के साथ एक जिकिर करने के लिए आमंत्रित किया गया था, इस अवसर पर सैयद अब्दुल मलिक की पुण्यतिथि का अवलोकन किया गया, जिसमें तीन दिवसीय जिकिर कार्यशाला का आयोजित हुई.

रहमान ने कहा कि बाद में उन्होंने और अन्य लोगों ने भी कार्यशाला में भाग लिया. इससे पहले उन्होंने कॉटन कॉलेज में एक कार्यक्रम में प्रस्तुति दी थी.

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जिकिर के अलावा उन्होंने नोबिजी और हजरत मोहम्मद पर भाषण प्रतियोगिताओं में कुरान की आयतों को पढ़ने में पुरस्कार प्राप्त किया है जो इस्लाम पर विज्ञान के प्रभाव को इंगित करते हैं, उन्हें चारादेव ग्लोबल न्यूज द्वारा आयोजित एक अखिल असम ऑनलाइन कविता पाठ प्रतियोगिता में दूसरा पुरस्कार भी मिला है.

कैब पथ प्रतियोगिताओं में कुछ और पुरस्कार प्राप्त हुए. रहमान ने कहा, ‘‘ऑनलाइन कविता पाठ प्रतियोगिता में यह उनका पहला प्रयास था और उन्हें यह भी सिखाया गया था कि महिला द्वारा स्वर में कैसे व्यक्त किया जाए, क्योंकि उस समय महामारी के कारणा लॉकडाउन था.’’ 

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रहमान ने कहा कि उनकी बेटी ने मुर्दा गोसल प्रतियोगिताओं में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जिसमें उन्हें दफनाने से पहले एक महिला के शरीर की सफाई के नियमों का प्रदर्शन करना होता है. रहमान ने कहा, ‘‘जटिल अनुष्ठानों में सही स्थानों पर अत्तर और काफूर का प्रयोग होता है, जो हाथ पहले उठाना, शरीर की सही क्रम में सफाई, चेहरा, मुंह धोना, सामने, पीछे, हाथ, पैर गुदा मार्ग सहित की क्रिया और बिस्मिल्लाह लिखना.’’

उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि इस अनुष्ठान को केवल महिलाएं ही कर सकती हैं, अगर एक महिला की मृत्यु हुई है.  अपनी प्रसिद्धि के प्रसार के साथ, नबीहा को इस साल जून में ऑल इंडिया रेडियो, डिब्रूगढ़ द्वारा भी एक जिकिर रिकॉर्ड करने और मंजू घरफालिया द्वारा रचित कविता, स्वाधीन का पाठ करने के लिए आमंत्रित किया गया था.

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रहमान ने कहा कि मार्शल आर्ट में उनका प्रवेश तब हुआ, जब वे नजीरा से लगभग 5 किमी दूर चोकीमुख में खेल देखने गए. रहमान ने कहा, ‘‘उन्हें हेमंत सर और कुतुबुद्दीन अहमद सर द्वारा अशिहारा कराटे स्कूल की चालें सिखाई गई थीं.

नजीरा में उन्होंने पहली बार एक रजत और जिला खेलों में एक स्वर्ण जीता था. बोर्डिंग फील्ड, शिवसागर में आयोजित उत्तर पूर्व प्रतियोगिता में, जहां उन्होंने अच्छी पिटाई की और उसने तीसरा स्थान हासिल किया.

हमें कुछ भी उम्मीद नहीं थी और हम कार्यक्रम स्थल से चले गए थे. उनके शिक्षक ने उसे हमारे घर पर पदक दिया.’’ आशिहारा कराटे एक स्ट्रीट फाइट शैली है, जहां खिलाड़ियों को वास्तविक रक्षा रणनीतियों में विरोधियों से निपटना होता है.

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नबीहा हर काम पूरे उत्साह के साथ करती हैं. इन सबका असर उसकी पढ़ाई पर नहीं पड़ता और वह हर परीक्षा में 96 से 98 प्रतिशत अंक पाती है. वह अपने स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों में भी भाग लेती है. नबीहा का कहना है कि उन्हें बिहू नृत्य और बिहू पहनावा पसंद है. यहां तक कि जब वह जिकिर गाती हैं, तब भी वह कहती हैं कि उन्हें असमियाक गामोसा से बनी पोशाक और सिर के कपड़े पहनना पसंद हैं. अपनी उम्र के किसी भी बच्चे की तरह, नबीहा को भी अलग-अलग वेशभूषा में तैयार होना और फैशनिस्टा की तरह खुद को तैयार करना पसंद है.

वह कार्टून, धारावाहिक भी देखती हैं और विशेष रूप से डरावनी फिल्में देखने का शौक रखती है और हर दूसरे घर की तरह जब भी कोई क्रिकेट मैच होता है, तो टीवी रिमोट के लिए पिता और बेटी के बीच झगड़ा होता है. गौरतलब है कि सैयद मोइनुर रहमान असम क्रिकेट बोर्ड के अंपायर हैं.

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एक दुर्लभ अवसर पर नबिहा हाल ही में दरगांव में आयोजित दूसरी आशिहारा स्टेट कराटे चैंपियनशिप में हार गईं. उनके प्रतिद्वंद्वी एक राष्ट्रीय खिलाड़ी ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ दिया, लेकिन इससे वह विचलित नहीं हुईं.

नबीहा ने अपनी चाल को बेहतर बनाने और अगली बार जीतने की कसम खाई है. उनके माता-पिता ने उन्हें ‘जहां तक चाहें उड़ने के लिए पंख देने’ का फैसला किया है, भले ही समाज अपने समुदाय की एक लड़की को मार्शल आर्ट में ले जाने के बारे में कुछ कहता रहे.