नई दिल्ली
बांग्लादेश में अवामी लीग की सरकार के इस्तीफे और निवर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना के निर्वासन को मुस्लिम स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में मुस्लिम स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया यानी एमएसओ के चेयरमैन डॉ. शुजात कादरी ने कहा कि बांग्लादेश एक विकासशील देश रहा है और पिछले दो दशकों में उसने भारत के साथ अभूतपूर्व सहयोग किया, यही कारण है कि बांग्लादेश में शेख हसीना की अगुवाई वाली सरकार के दौरान अपने देश के विकास दर को 10% तक छुआ.
कोरोना में जब दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष कर रही थी तब भी बांग्लादेश के विकास दर सकारात्मक था.
कादरी ने कहाकि बांग्लादेश में शेख हसीना कट्टरवादी जमातों और उसकी राजनीतिक सहयोगी बीएनपी के कट्टरवादी एजेंडे से लड़ रही थीं.
उन्होंने कहा कि हसीना देश में नौजवानों को मुख्य धारा में लाने और देश के तकनीकी विकास के लिए कार्य कर रही थी. पिछले चुनाव में उन्होंने जनता का एक बार फिर स्पष्ट बहुमत हासिल करने में सफलता प्राप्त की लेकिन वह राजनीतिक प्रतिशोध की वजह से अमेरिकन डिप्लोमेसी का शिकार हो गई.
इतना ही नहीं बांग्लादेश के बारे में मीडिया के लगातार फेक नेगेटिव और अमेरिकन लॉबी के उकसावे की वजह से देश में एक नकली आंदोलन खड़ा किया गया और आखिरकार उन्हें देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी.
शुजात कादरी ने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता भारत के लिए शुभ संकेत नहीं है. खासकर भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों और पश्चिम बंगाल की राजनीति पर इसका सीधा असर पड़ेगा.
उन्होंने कामना की कि बांग्लादेश में जल्द से जल्द शांति स्थापना हो और नए सिरे से राष्ट्रीय असेंबली के चुनाव कराए जाएं और अवामी लीग को भी चुनाव में भाग लेने की अनुमति मिलनी चाहिए.