बांग्लादेश में हिंदू नौजवानों की हत्या पर महाराष्ट्र के मुसलमानों में ग़ुस्सा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 29-12-2025
Muslims in Maharashtra are angry over the killing of Hindu youths in Bangladesh.
Muslims in Maharashtra are angry over the killing of Hindu youths in Bangladesh.

 

भक्ति चालक 

बांग्लादेश में दो हिंदू नौजवानों की भीड़ द्वारा हत्या (मॉब लिंचिंग) की घटनाओं ने महाराष्ट्र के मुस्लिम समाज को हिला कर रख दिया है। बांग्लादेश के मैमनसिंह ज़िले में 25 साल के दीपू चंद्र दास की हत्या करके उनके शव को हाईवे पर जला दिया गया। इसके सिर्फ़ 7 दिन बाद, राजबाड़ी ज़िले के पांगशा इलाक़े में भीड़ ने 29 साल के अमृत मंडल को पीट-पीट कर मार डाला।

इन अमानवीय घटनाओं पर पूरी दुनिया में ग़ुस्सा ज़ाहिर किया जा रहा है। भारत सरकार ने भी इस पर सख़्त ऐतराज़ जताया है। महाराष्ट्र के मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उलेमा ने 'आवाज़-द वॉइस मराठी' से बात करते हुए इन घटनाओं की कड़ी निंदा की है और इसे इस्लाम की सीख के ख़िलाफ़ बताया है।

'सद्भाव मंच जन आंदोलन' के महाराष्ट्र समन्वयक इब्राहिम ख़ान ने कहा, "एक मुसलमान होने के नाते, मैं बांग्लादेश में दो हिंदू नौजवानों की हत्या की सख़्त लफ़्ज़ों में निंदा करता हूं। मुस्लिम-बहुल देश होने की वजह से वहां के मुसलमानों की यह ज़्यादा ज़िम्मेदारी है कि वे दुनिया के सामने इस्लाम की सही तस्वीर पेश करें।"

उन्होंने आगे कहा, "इस्लाम में अल्पसंख्यकों के हक़ों की हिफ़ाज़त पर बहुत ज़ोर दिया गया है। इस्लामिक इतिहास में इसके सैकड़ों उदाहरण मिलते हैं। इसलिए बांग्लादेश में जो हुआ, उसे मज़हब के नाम पर कभी सही नहीं ठहराया जा सकता। बांग्लादेश को दुनिया के सामने एक मिसाल पेश करनी चाहिए कि इस्लामी तरीक़े से अल्पसंख्यकों की हिफ़ाज़त कैसे की जाती है।"

हड़पसर (पुणे) की गुलशन-ए-ग़रीब नवाज़ मस्जिद के इमाम, मौलाना मोहम्मद तौफ़ीक़ अशरफ़ी ने कहा, "भीड़ द्वारा दो बेगुनाह हिंदू नौजवानों की हत्या की ख़बर बेहद दुखद है। एक मस्जिद का इमाम होने के नाते, मैं इसका कड़ा विरोध करता हूं। जो कुछ हुआ है, वह इस्लाम और क़ुरान की सीख के बिल्कुल ख़िलाफ़ है।"

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "इस्लाम किसी भी मुसलमान को यह इजाज़त नहीं देता कि वह किसी बेगुनाह या अल्पसंख्यक को मारे या उस पर ज़ुल्म करे। मैं तहे दिल से अफ़सोस जताता हूं और इसकी निंदा करता हूं। मैं चाहता हूं कि हमारा देश भारत इस पर कार्रवाई करे और सियासी स्तर पर इसे रोकने की कोशिश की जाए।"

छत्रपति शिवाजी महाराज के सेक्रेटरी रहे क़ाज़ी हैदर के 13वें वंशज, क़ाज़ी सोहेल शेख ने कहा, "जब कोई मुसलमान ऐसा काम करता है, तो शर्म से सिर झुक जाता है। इस्लाम इंसानियत, अमन और भाईचारे का पैगाम देता है। बांग्लादेश की घटना बेहद निंदनीय है। धर्म कोई भी हो, सबसे पहले इंसानियत होती है। कोई भी धर्म किसी को मारने या हिंसा करने की सीख नहीं देता।"

अमन-ओ-इत्तेहाद ट्रस्ट के सेक्रेटरी दिलावर शेख ने कहा, "बांग्लादेश के बनने में भारत का बड़ा हाथ था, लेकिन लगता है कि वे भारत के एहसान भूल गए हैं। हिंदुओं के घरों पर हमले बढ़ गए हैं। मुस्लिम-बहुल देश होने के नाते वहां के मुसलमानों की ज़िम्मेदारी है कि वे इस्लाम का सही प्रतिनिधित्व करें। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि ये घटनाएं इस्लाम को कभी मंज़ूर नहीं हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "पैगंबर साहब के ज़माने का 'मीसाक़-ए-मदीना' (मदीना का समझौता) इस बात की सबसे बेहतरीन मिसाल है कि अल्पसंख्यकों की हिफ़ाज़त कैसे की जानी चाहिए। बांग्लादेश के हुक्मरानों को यह याद रखना चाहिए और मुजरिमों को सज़ा देनी चाहिए।"

इलाही फ़ाउंडेशन के पैगंबर शेख ने कहा, "बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ ये हरकतें पूरी तरह ग़लत हैं। भारत का मुस्लिम समाज बांग्लादेश के हिंदुओं के साथ मज़बूती से खड़ा है। उन पर होने वाले ज़ुल्म का किसी भी हाल में समर्थन नहीं किया जा सकता। इसे इंसानियत की नज़र से देखकर इसकी निंदा की जानी चाहिए।"

मिस फरहा चैरिटेबल फ़ाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. फरहा शेख ने कहा, "बांग्लादेश की इन अमानवीय घटनाओं से हमारा मन सुन्न हो गया है। ये सिर्फ़ ख़बरें नहीं हैं, बल्कि इंसानियत पर सीधा हमला है। धर्म के नाम पर ख़ून बहाना एक जुर्म है। इस्लाम इसे मान्यता नहीं देता। इस्लाम इंसान को इंसान के तौर पर देखता है, चाहे उसका धर्म या जात कुछ भी हो। हम भारतीय मुसलमान होने के नाते, ऐसी किसी भी हिंसा का कभी समर्थन नहीं करते।"

सामाजिक कार्यकर्ता अनवर शेख ने कहा, "भारत की पहचान मिल-जुल कर रहने (सह-अस्तित्व) की है। यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबने मिलकर देश बनाया है। इसलिए हम साफ़ कहते हैं कि हिंदू भाइयों पर होने वाली हिंसा हमें मंज़ूर नहीं है। आज चुप रहने का मतलब है नाइंसाफ़ी का साथ देना। दोषियों को सज़ा मिलनी ही चाहिए।"

कुल मिलाकर, बांग्लादेश की इन घटनाओं से भारतीय मुस्लिम समाज में गहरा ग़ुस्सा और बेचैनी है। सभी बुद्धिजीवियों ने एक स्वर में कहा है कि इस्लाम शांति और भाईचारे का धर्म है और इसमें बेगुनाहों की हत्या की कोई जगह नहीं है। उन्होंने मांग की है कि बांग्लादेश सरकार इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच करे, दोषियों को कड़ी सज़ा दे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस क़दम उठाए।