2025 :शुभांशु शुक्ला ने 41 साल बाद दोहराया इतिहास

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 29-12-2025
2025: Shubhanshu Shukla repeats history after 41 years.
2025: Shubhanshu Shukla repeats history after 41 years.

 

dमलिक असगर हाशमी

“वह आया और छा गया”-अगर यह पंक्ति 2025 के भारत के किसी नायक पर सबसे सटीक बैठती है, तो वह नाम है ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला। अंतरिक्ष की असीम गहराइयों तक पहुँचकर उन्होंने न केवल इतिहास रचा, बल्कि करोड़ों भारतीयों के सपनों को भी नई ऊँचाई दी। साल के अंत में जब हम 2025 को विदा कर रहे हैं, तो यह स्वाभाविक है कि हम उस भारतीय को याद करें, जिसने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुँचकर भारत की मौजूदगी को एक बार फिर ब्रह्मांड के नक्शे पर दर्ज करा दिया।

dअंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बनकर इतिहास रच दिया और जब वे पृथ्वी पर लौटे, तो पूरा देश गर्व से भर उठा। एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन का अंतरिक्ष यान जब कैलिफ़ोर्निया के सैन डिएगो तट के पास प्रशांत महासागर में सुरक्षित उतरा, तो वह केवल एक सफल स्प्लैशडाउन नहीं था, बल्कि भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का ठोस प्रमाण भी था। भारतीय समयानुसार 15:01 बजे हुए इस लैंडिंग का सीधा प्रसारण लाखों लोगों ने देखा,आँखों में उम्मीद, चेहरे पर गर्व और दिल में रोमांच के साथ।

यह मिशन ह्यूस्टन स्थित निजी कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित था, लेकिन इसकी आत्मा अंतरराष्ट्रीय सहयोग में बसती थी। नासा, इसरो, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और स्पेसएक्स के संयुक्त प्रयास से Ax-4 को अंजाम दिया गया। मिशन की कमान पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन के हाथों में थी, जबकि पायलट की भूमिका ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने निभाई। उनके साथ पोलैंड के स्लावोश उज़्नांस्की-विस्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी इस ऐतिहासिक यात्रा का हिस्सा थे।

d26 जून को ISS पर पहुँचा यह दल मूल रूप से दो सप्ताह के प्रवास के लिए गया था, लेकिन मिशन कुछ दिन अतिरिक्त चला। इस दौरान चालक दल ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें से सात प्रयोग इसरो द्वारा डिज़ाइन किए गए थे। इन प्रयोगों का महत्व केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है,ये भारत के भविष्य के मानव अंतरिक्ष मिशनों की नींव मजबूत करने वाले अनुभव हैं। इसरो ने इस मिशन के लिए शुभांशु शुक्ला की सीट और प्रशिक्षण पर लगभग 5 अरब रुपये खर्च किए, जिसे एजेंसी भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक दीर्घकालिक निवेश मानती है।

यह यात्रा 1984 में राकेश शर्मा के सोयुज यान से अंतरिक्ष में जाने के 41 वर्षों बाद हुई। फर्क सिर्फ़ इतना था कि इस बार भारत न केवल एक प्रतिभागी था, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वालों में शामिल था। ISS से अपने विदाई भाषण में शुभांशु शुक्ला ने जो कहा, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गया। उन्होंने कहा कि भारत की मानव अंतरिक्ष यात्रा कठिन जरूर है, लेकिन शुरू हो चुकी है, और अगर संकल्प मजबूत हो तो सितारों को भी छुआ जा सकता है।

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उन्होंने राकेश शर्मा के ऐतिहासिक शब्दों को याद करते हुए उर्दू के प्रसिद्ध गीत “सारे जहाँ से अच्छा” का हवाला दिया और फिर अपने शब्दों में आज के भारत की तस्वीर खींची। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से देखने पर भारत महत्वाकांक्षी, निडर, आत्मविश्वासी और गर्व से भरा हुआ दिखाई देता है। यह महज़ भावुक वक्तव्य नहीं था, बल्कि उस आत्मविश्वास की अभिव्यक्ति थी, जो भारत के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और युवाओं की आँखों में चमक रहा है।

शुभांशु शुक्ला का यह सफर किसी एक दिन में तय नहीं हुआ। 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुक्ला ने 2006 में भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। मिग, सुखोई, जगुआर, हॉक और डॉर्नियर जैसे विमानों को उड़ाते हुए उन्होंने 2,000 घंटे से अधिक का उड़ान अनुभव हासिल किया। 2019 में इसरो से आया वह फोन कॉल उनके जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुआ, जिसके बाद उन्होंने रूस के स्टार सिटी स्थित यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कड़ी ट्रेनिंग ली।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 फरवरी 2024 को उन्हें गगनयान मिशन के लिए चयनित चार अंतरिक्ष यात्रियों में शामिल करते हुए देश के सामने पेश किया था। मार्च 2024 में ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नति ने उनके असाधारण योगदान पर मुहर लगा दी। Ax-4 मिशन में पायलट की भूमिका निभाकर उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय वायुसेना का एक फाइटर पायलट अंतरिक्ष में भी उतनी ही दक्षता से काम कर सकता है।

अंतरिक्ष में जाने से पहले शुभांशु शुक्ला ने कहा था कि वे केवल उपकरण और यंत्र नहीं, बल्कि अरबों भारतीयों की उम्मीदें और सपने अपने साथ ले जा रहे हैं। आज, उनकी सुरक्षित वापसी के साथ यह साफ़ हो गया है कि वे उन सपनों को और भी बड़ा करके लौटे हैं।

इसरो ने 2027 में गगनयान के ज़रिये भारत की पहली स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान, 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने की जो महत्वाकांक्षी योजनाएँ बनाई हैं, उनमें शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा एक मील का पत्थर बन चुकी है। 2025 का यह आकाशीय अध्याय आने वाले दशकों के लिए दिशा तय करता है—और इतिहास गवाह रहेगा कि इस अध्याय के केंद्र में एक नाम था, जिसने सचमुच आकर सब पर छा जाने का काम किया: शुभांशु शुक्ला