अमेरिका और चीन के बीच स्टॉकहोम में व्यापार वार्ता, ट्रंप-शी शिखर बैठक की तैयारी शुरू

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 28-07-2025
US-China trade talks in Stockholm, preparations begin for Trump-Xi summit
US-China trade talks in Stockholm, preparations begin for Trump-Xi summit

 

 

वाशिंगटन

अमेरिका और चीन के शीर्ष अधिकारी जब स्टॉकहोम में मुलाकात करेंगे, तो विशेषज्ञों के अनुसार वे कम से कम मौजूदा टैरिफ (शुल्क) स्तर को बनाए रखने पर सहमत हो सकते हैं। इसके साथ ही, साल के अंत में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित शिखर बैठक के लिए आधार तैयार किया जाएगा।

तीसरी वार्ता, बढ़ती उम्मीदें

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट और चीनी उप-प्रधानमंत्री हे लिफेंग इस साल तीसरी बार बातचीत करेंगे। यह बैठक स्वीडन की राजधानी में हो रही है — ऐसे समय पर जब ट्रंप ने चार महीने पहले चीनी वस्तुओं पर आयात कर 145% तक बढ़ा कर वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी थी।

ट्रंप ने शुक्रवार को स्कॉटलैंड रवाना होने से पहले कहा, “हमारे पास चीन के साथ एक समझौते की रूपरेखा है।”

बेसेंट ने एमएसएनबीसी को बताया कि जिनेवा और लंदन की पिछली बैठकों के बाद अमेरिका 30% और चीन 10% टैरिफ पर टिके हुए हैं, जो ट्रंप के दूसरे कार्यकाल से पहले तय दरों के अतिरिक्त हैं। उन्होंने कहा, “अब हम आर्थिक संतुलन की दिशा में दूसरे मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं।”

चीनी पक्ष की उम्मीदें

वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने कहा, “बीजिंग को उम्मीद है कि इस बैठक से ‘कम गलतफहमियां और अधिक सहयोग’ सामने आएगा।”

स्टॉकहोम वार्ता में दोनों पक्ष शिखर बैठक में की जाने वाली प्रमुख घोषणाओं की रूपरेखा तय कर सकते हैं। इसमें चीन की औद्योगिक अधिकता, फेंटानिल के निर्माण में प्रयुक्त रसायनों पर नियंत्रण की कमी जैसे मुद्दे शामिल होंगे।

फेंटानिल विवाद की जड़

इस व्यापार विवाद की शुरुआत फेंटानिल नामक ड्रग से जुड़ी चिंता के कारण हुई। फरवरी में ट्रंप ने चीन पर 10% टैरिफ लगाया था, जिसमें मार्च में और 10% जोड़ा गया। जवाब में चीन ने कोयला, एलएनजी और कृषि उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिए।

जिनेवा और लंदन में दोनों देशों ने 100% से ऊपर के टैरिफ से वापसी की, लेकिन अमेरिका ने 20% ‘फेंटानिल’ टैरिफ को बनाए रखा। चीन ने भी 10% टैरिफ जारी रखा।

संरचनात्मक सुधार पर चर्चा की संभावना

अमेरिका-चीन बिजनेस काउंसिल के अध्यक्ष शॉन स्टीन ने कहा कि स्टॉकहोम बैठक संरचनात्मक सुधार जैसे अमेरिकी कंपनियों को चीन में बाज़ार पहुंच देने जैसे मुद्दों पर बातचीत का पहला वास्तविक अवसर हो सकती है।

बीजिंग की मांगें और वाशिंगटन की चिंताएं

स्टिमसन सेंटर की सुनी युन के अनुसार, बीजिंग इस बैठक में 20% फेंटानिल संबंधी शुल्क हटाने की मांग कर सकता है। जुलाई में चीन ने फेंटानिल से जुड़ी दो रासायनिक सामग्रियों पर सख्त नियंत्रण लगाया, जो अमेरिका के दबाव का परिणाम माना जा रहा है।

टैरिफ घटने की उम्मीद कम

टेनियो कंसल्टिंग के गैब्रिएल विल्डाओ का मानना है कि स्टॉकहोम में कोई टैरिफ नहीं हटाया जाएगा, लेकिन अंतिम व्यापार समझौते में कुछ राहत संभव है। उन्होंने कहा कि टैरिफ शायद जापान, इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ हुए समझौतों की तरह 15-20% के बीच रहेंगे।

चीन की वैश्विक ताकत और अमेरिका की प्रतिक्रिया

अमेरिकी जनगणना ब्यूरो के अनुसार, अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा 2018 में $418 अरब से घटकर $295.5 अरब रह गया है। वहीं, चीन ने नए वैश्विक बाज़ार हासिल किए हैं और पिछले साल उसका व्यापार अधिशेष लगभग $1 ट्रिलियन रहा — जो अमेरिका के पूरे व्यापार घाटे से बड़ा था।

चीनी प्रधानमंत्री ली च्यांग ने कहा, “कुछ लोगों को लगता है कि चीन की विनिर्माण क्षमता और मेहनती जनसंख्या से वैश्विक उत्पादन में असंतुलन पैदा हो रहा है। हम इस समस्या को समझते हैं।”

रूस-ईरान से ऊर्जा व्यापार भी चर्चा में

बेसेंट ने कहा कि स्टॉकहोम बैठक में चीन द्वारा रूस और ईरान से तेल की खरीद पर भी बात हो सकती है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इसके बदले चीन अमेरिका से कुछ सुरक्षा रियायतें, जैसे पूर्वी एशिया में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति कम करना और ताइवान व फिलीपींस को कम समर्थन देना, मांग सकता है। ये मांगें वाशिंगटन में राजनीतिक विरोध का कारण बन सकती हैं।

स्टॉकहोम वार्ता वैश्विक व्यापार, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी चुनावी राजनीति के बीच होने जा रही है। हालांकि किसी बड़ी सफलता की संभावना कम है, यह बैठक ट्रंप और शी के बीच एक निर्णायक शिखर वार्ता का रास्ता जरूर खोल सकती है।