यरूशलम/तेल अवीव
इज़रायल सरकार की गाज़ा शहर पर कब्ज़े की योजना के खिलाफ हज़ारों नागरिक सड़कों पर उतर आए। शनिवार को यरूशलम, तेल अवीव सहित कई शहरों में हुए इन प्रदर्शनों में गाज़ा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों के परिजन भी शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कब्ज़े की योजना बंधकों की जान को और ख़तरे में डाल देगी।
इज़रायली सुरक्षा कैबिनेट ने हाल ही में गाज़ा युद्ध को समाप्त करने के लिए पाँच नीतियों को मंज़ूरी दी, जिनमें गाज़ा पट्टी पर "सुरक्षा नियंत्रण" लेना भी शामिल है। सेना का दावा है कि वह गाज़ा शहर पर पूर्ण नियंत्रण के लिए तैयार है, लेकिन सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल इयाल ज़मीर ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को चेताया कि यह कदम "जाल में फँसने" जैसा होगा और जीवित बचे बंधकों के लिए घातक साबित हो सकता है।
बंधकों के परिवारों ने सरकार से तुरंत रिहाई के लिए कदम उठाने की मांग की। 350 से अधिक पूर्व सैनिकों ने नेतन्याहू के "राजनीतिक युद्ध" में भाग लेने से इनकार करते हुए आरोप लगाया कि यह न केवल बंधकों बल्कि गाज़ा के निर्दोष नागरिकों को भी ख़तरे में डाल रहा है।
जनमत सर्वेक्षणों में अधिकांश इज़रायली हमास के साथ समझौते के जरिए युद्ध समाप्त करने और बंधकों की रिहाई के पक्ष में हैं। संयुक्त राष्ट्र, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा सहित कई देशों ने इज़रायल की योजना की निंदा की है, जबकि जर्मनी ने सैन्य निर्यात रोकने की चेतावनी दी है।
संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि गाज़ा पर पूर्ण कब्ज़ा फ़िलिस्तीनी नागरिकों और बंधकों—दोनों के लिए "विनाशकारी परिणाम" ला सकता है। इस योजना पर चर्चा के लिए रविवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक होने वाली है।