वॉशिंगटन।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने पूर्व यूरोपीय संघ आयुक्त थियरी ब्रेटन सहित पांच यूरोपीय नागरिकों पर वीज़ा प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिका का आरोप है कि इन लोगों ने “संगठित प्रयासों” के ज़रिये अमेरिकी दृष्टिकोण को दबाने और अमेरिकी कंपनियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश की। इस फैसले ने अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच पहले से मौजूद डिजिटल नीतियों को लेकर तनाव को और बढ़ा दिया है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि यूरोप के कुछ विचारधारात्मक समूह लंबे समय से अमेरिकी प्लेटफॉर्म्स पर दबाव डालते रहे हैं, ताकि उन विचारों को दंडित किया जा सके जिनसे वे असहमत हैं। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि ट्रंप प्रशासन “सीमा से बाहर जाकर की जाने वाली सेंसरशिप” को अब बर्दाश्त नहीं करेगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका का आरोप है कि थियरी ब्रेटन ने यूरोपीय संघ के डिजिटल सर्विसेज़ एक्ट (DSA) का इस्तेमाल कर अमेरिकी टेक कंपनियों पर दबाव बनाया। विशेष रूप से यह दावा किया गया कि उन्होंने एलन मस्क के स्वामित्व वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स को धमकी दी थी, उस समय जब मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ चुनाव अभियान के दौरान एक साक्षात्कार किया था।
इस कदम पर यूरोपीय आयोग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने बयान जारी कर कहा कि वह अमेरिका के इस फैसले की कड़ी निंदा करता है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे बुनियादी लोकतांत्रिक मूल्य के खिलाफ मानता है। आयोग ने स्पष्ट किया कि यूरोपीय संघ एक खुला और नियम-आधारित बाज़ार है और उसे अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप आर्थिक गतिविधियों को नियंत्रित करने का संप्रभु अधिकार है। आयोग ने अमेरिकी अधिकारियों से इस फैसले पर औपचारिक स्पष्टीकरण भी मांगा है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी इस कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे “डिजिटल संप्रभुता को कमजोर करने की कोशिश” बताया। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ के डिजिटल नियम यूरोपीय संसद और परिषद द्वारा एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत अपनाए गए हैं और वे किसी तीसरे देश को निशाना बनाने के लिए नहीं हैं।
गौरतलब है कि हाल के महीनों में डिजिटल सर्विसेज़ एक्ट को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच तनाव बढ़ा है। हाल ही में यूरोपीय संघ ने एक्स पर विज्ञापन पारदर्शिता और यूज़र सत्यापन में खामियों को लेकर जुर्माना लगाया था। विश्लेषकों का मानना है कि वीज़ा प्रतिबंध का यह फैसला उसी पृष्ठभूमि में लिया गया है और आने वाले समय में यह ट्रांसअटलांटिक रिश्तों में और कड़वाहट ला सकता है।






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