आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का पहला साल अब अपने अंतिम चरण में है और इस पूरे दौर को अगर तीन शब्दों में समेटा जाए तो वह हैं—टैरिफ, ट्रेड और टकराव। व्हाइट हाउस में दोबारा वापसी के साथ ही ट्रंप ने एक बार फिर उसी आक्रामक, तेज़ और विवादास्पद शैली में शासन किया, जिसने उनकी राजनीति को पहले कार्यकाल में भी अलग पहचान दी थी। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह एक ऐसा दौर रहा जिसमें प्रक्रिया से ज़्यादा गति, कूटनीति से ज़्यादा दबाव और सिद्धांतों से ज़्यादा सौदों को तरजीह दी गई।
दूसरे कार्यकाल के इस पहले साल में ट्रंप ने परंपरागत राष्ट्रपति आचरण को बार-बार चुनौती दी। कभी अदालतों तक पहुंचने वाले फैसले, तो कभी बिना पूर्व सूचना के लिए गए कड़े कदम—सब कुछ एक ‘काउबॉय डिप्लोमेसी’ की झलक देता रहा। उनका ‘अमेरिका फर्स्ट’ नारा अब सिर्फ़ चुनावी नारा नहीं रहा, बल्कि वैश्विक राजनीति में एक व्यवधानकारी हकीकत बन चुका है।
टैरिफ इस साल ट्रंप की सबसे बड़ी रणनीतिक हथियार बने। व्यापार असंतुलन, राजकोषीय घाटे और यहां तक कि भू-राजनीतिक तनावों को सुलझाने के लिए भी उन्होंने शुल्कों का इस्तेमाल किया। विदेशी मामलों के जानकार रॉबिंदर सचदेव के अनुसार, ट्रंप ने टैरिफ को चार उद्देश्यों के साथ अपनाया—पुरानी व्यापारिक ‘नाइंसाफ़ी’ को ठीक करना, सरकारी खजाने के लिए राजस्व जुटाना, घरेलू उद्योगों को राजनीतिक सहारा देना और विदेशी कंपनियों को अमेरिका में निवेश के लिए मजबूर करना। इस नीति से अमेरिका को कुछ ठोस आर्थिक लाभ भी मिले, हालांकि इसके दीर्घकालिक असर पर सवाल बने हुए हैं।
विदेश नीति के मोर्चे पर ट्रंप ने खुद को ‘पीस प्रेसिडेंट’ के रूप में पेश किया, लेकिन उनकी शांति कूटनीति भी अक्सर दबाव और धमकी पर आधारित रही। भारत, यूरोप, जापान और खाड़ी देशों के साथ बड़े निवेश समझौतों की घोषणाएं हुईं, जिनकी कुल राशि व्हाइट हाउस के मुताबिक खरबों डॉलर में है। इसके बावजूद आलोचकों का मानना है कि इस आक्रामक नीति ने अमेरिका के कई पारंपरिक साझेदारों को असहज किया और वैश्विक नेतृत्व की उसकी विश्वसनीयता को चोट पहुंचाई।
कुल मिलाकर, डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल का पहला साल तेज़ फैसलों, बड़े दावों और गहरे विवादों से भरा रहा है। आने वाले तीन साल यह तय करेंगे कि यह व्यवधानकारी शैली अमेरिका को मज़बूत करती है या उसे वैश्विक मंच पर और अकेला कर देती है।