भारत-अरब संबंध 2025: रणनीतिक सहयोग को सुदृढ़ करने का वर्ष

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-12-2025
India-Arab Relations 2025: A Year to Strengthen Strategic Cooperation
India-Arab Relations 2025: A Year to Strengthen Strategic Cooperation

 

डॉ. एम.डी. मुदस्सिर क़मर

भारत और अरब जगत के संबंध विविधतापूर्ण और बहुआयामी रहे हैं। ये हज़ारों वर्षों पुराने सांस्कृतिक संबंधों, व्यापारिक संपर्कों और लोगों के बीच संवाद पर आधारित हैं। सदियों तक अरब व्यापारी और यात्री भारत आते रहे और मालाबार तट के समुदायों के साथ गहरे संबंध स्थापित किए। उन्होंने भारतीय मसालों, लोककथाओं और ज्ञान प्रणालियों को दुनिया तक पहुँचाया। मध्यकाल में भी धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंध जारी रहे, जब कई भारतीय व्यापारिक समुदायों ने मस्कट में अपने केंद्र स्थापित किए। ब्रिटिश शासन के दौरान खाड़ी क्षेत्र के अरब व्यापारी नियमित रूप से भारत आते थे और कई ने मुंबई को अपने व्यापार का केंद्र बनाया। भारत और अरब दुनिया के साझा औपनिवेशिक अनुभवों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान दोनों को करीब लाया। इन अनुभवों ने मिस्र, सीरिया, इराक और अल्जीरिया सहित अरब दुनिया में कई राष्ट्रवादी आंदोलनों को भी प्रेरित किया।

भारत की स्वतंत्रता के बाद, भारत ने नव-स्वतंत्र अरब देशों के साथ धीरे-धीरे राजनयिक और मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए। शीत युद्ध काल की भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद भारत–अरब संबंध फले-फूले, जब भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन के माध्यम से तीसरी दुनिया के एक नेता के रूप में उभरा। इस दौरान मिस्र, इराक और सीरिया के साथ भारत के संबंध उदाहरणीय रहे। भारत ने फ़िलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय और स्वतंत्र राज्य की स्थापना के अधिकार का मज़बूती से समर्थन किया। 1980 के दशक में बड़ी संख्या में भारतीय खाड़ी देशों में तेल उद्योग में काम करने गए, जहाँ सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात भारतीय प्रवासी श्रमिकों के प्रमुख गंतव्य बने।

शीत युद्ध के बाद की अवधि में भारत की विदेश नीति के पुनर्संतुलन ने अरब दुनिया के साथ संबंधों में नई गतिशीलता लाई। अपने “विस्तारित पड़ोस” के साथ जुड़ाव को प्राथमिकता देते हुए, भारत ने खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों के साथ संबंधों में सुधार किया। व्यापार, व्यवसाय, तेल आयात और भारतीय श्रमिक प्रवासन भारत–खाड़ी संबंधों के मुख्य स्तंभ बने। धीरे-धीरे समुद्री डकैती, संगठित अपराध और आतंकवाद जैसे साझा खतरों के चलते रक्षा और सुरक्षा सहयोग भी बढ़ा। 21वीं सदी में भारत–अरब संबंध और सुदृढ़ हुए और कई उच्चस्तरीय कूटनीतिक एवं राजनीतिक आदान-प्रदान हुए।

2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन के बाद, नई दिल्ली ने अरब दुनिया के साथ संबंधों को बेहतर और मज़बूत बनाने के लिए विशेष प्रयास किए। अगस्त 2015 में संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा प्रधानमंत्री मोदी की किसी अरब देश की पहली यात्रा थी, जिसने खाड़ी क्षेत्र और व्यापक अरब दुनिया के साथ मज़बूत सहयोग की आधारशिला रखी। व्यापार और निवेश, रक्षा और रणनीतिक सहयोग, तथा उग्रवाद, आतंकवाद और संगठित अपराध से निपटने पर विशेष ज़ोर दिया गया। इसके परिणामस्वरूप भारत–अरब संबंध राजनीतिक, कूटनीतिक, रणनीतिक, रक्षा, सुरक्षा, आर्थिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में तेज़ी से आगे बढ़े।

2025: एक संक्षिप्त दृष्टि

2025 भारत–अरब संबंधों के लिए एक और महत्वपूर्ण वर्ष रहा। इस दौरान कई अहम द्विपक्षीय यात्राएँ हुईं। प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अनेक अवसरों पर क्षेत्र का दौरा किया। नई दिल्ली ने भी कई प्रमुख अरब राजनीतिक, सैन्य और व्यापारिक नेताओं की मेज़बानी की, जो भारत के प्रति अरब दुनिया के बढ़ते महत्व को दर्शाता है।

राजनीतिक और कूटनीतिक संपर्क

2025 में भारत और अरब दुनिया के बीच कई उच्चस्तरीय राजनीतिक और कूटनीतिक बैठकें हुईं। 22–23 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री मोदी की सऊदी अरब यात्रा विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। यह उनकी तीसरी सऊदी यात्रा थी (पूर्व में 2016 और 2019)। इस दौरान व्यापार, ऊर्जा, निवेश, राजनीतिक, रणनीतिक, सुरक्षा और रक्षा सहयोग पर व्यापक चर्चा हुई। सांस्कृतिक संबंध भी मज़बूत रहे, विशेषकर हज और उमरा में भारतीयों की बड़ी भागीदारी के माध्यम से।

दिसंबर 2025 में प्रधानमंत्री मोदी ने जॉर्डन (15–16 दिसंबर) और ओमान (17–18 दिसंबर) का दौरा किया। जॉर्डन की यह पहली आधिकारिक यात्रा थी, जो भारत–जॉर्डन राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुई। प्रधानमंत्री ने किंग अब्दुल्ला द्वितीय से मुलाकात की, भारत–जॉर्डन व्यापार मंच को संबोधित किया और पेट्रा के ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया।

ओमान यात्रा भी महत्वपूर्ण रही, जहाँ दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) पर हस्ताक्षर किए—यूएई के बाद खाड़ी क्षेत्र के किसी देश के साथ भारत का दूसरा मुक्त व्यापार समझौता। इस दौरान समुद्री सुरक्षा, उच्च शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग पर कई समझौते हुए।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 2025 में दो बार यूएई का दौरा किया—जनवरी में मिडिल ईस्ट रायसीना डायलॉग में मुख्य भाषण देने और दिसंबर में भारत–यूएई संयुक्त आयोग व रणनीतिक संवाद की सह-अध्यक्षता करने के लिए।

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर भारतीय कार्रवाई के बाद, भारत ने कई सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल अरब देशों में भेजे, जिन्होंने आतंकवाद पर भारत का पक्ष स्पष्ट किया।

आर्थिक संबंध

वित्त वर्ष 2024–25 में भारत–अरब व्यापार 226.43 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जो भारत के कुल विदेशी व्यापार का लगभग 19.5% है। यूएई, सऊदी अरब, इराक और क़तर भारत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में शामिल हैं। अप्रैल 2022 से सितंबर 2025 के बीच अरब देशों से भारत में 31.34 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया, जिसमें यूएई और सऊदी अरब प्रमुख रहे।

खाड़ी देशों में कार्यरत भारतीय प्रवासियों द्वारा भेजी जाने वाली धनराशि भी बेहद महत्वपूर्ण है। वित्त वर्ष 2024–25 में भारत को कुल 135 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला, जिसमें से 25–30% खाड़ी देशों से आया। भारत अपनी 35–40% तेल और गैस आवश्यकताएँ अरब दुनिया से पूरी करता है, जिससे ऊर्जा सुरक्षा संबंधों का एक अहम आधार बनी रहती है।

रक्षा और सुरक्षा सहयोग

2025 में रक्षा और सुरक्षा सहयोग और मज़बूत हुआ। यूएई, मिस्र, सऊदी अरब, ओमान, मोरक्को, जॉर्डन और अल्जीरिया के साथ सैन्य सहयोग, संयुक्त अभ्यास, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी प्रयास, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा।

सांस्कृतिक और जन-जन संपर्क

शिक्षा, स्वास्थ्य, फ़िल्म, संगीत, खेल, पर्यटन और विरासत संरक्षण के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा। बड़ी संख्या में अरब छात्र भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जबकि भारतीय स्वास्थ्य पेशेवर अरब देशों में कार्यरत हैं। भारतीय सिनेमा, संगीत और खेल आयोजनों की अरब दुनिया में लोकप्रियता 2025 में और बढ़ी।

2025 में भारत–अरब संबंध साझा दृष्टि और पारस्परिक हितों के कारण और अधिक सुदृढ़ हुए। वैश्विक भू-राजनीतिक परिवर्तनों ने इन संबंधों को नई ऊर्जा दी। व्यापार, निवेश, ऊर्जा सुरक्षा और प्रवासी समुदाय के साथ-साथ अब खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, जलवायु, पर्यावरण और सांस्कृतिक सहयोग भी भारत–अरब संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभ बन गए हैं। वर्ष 2025 ने भारत–अरब संबंधों के समृद्ध इतिहास और उज्ज्वल भविष्य की एक और झलक प्रस्तुत की।

डॉ. एम.डी. मुदस्सिर क़मर,एसोसिएट प्रोफेसर,सेंटर फ़ॉर वेस्ट एशियन स्टडीज़, जेएनयू, नई दिल्ली