इस्तांबुल
इस्तांबुल में ईरानी और यूरोपीय राजनयिकों के बीच शुक्रवार को चार घंटे चली अहम बैठक समाप्त हो गई। बैठक में तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उत्पन्न गतिरोध को सुलझाने के प्रयास किए गए और दोनों पक्षों ने आगे फिर से बैठक करने पर सहमति जताई।
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के प्रतिनिधि ईरान के वाणिज्य दूतावास में इकट्ठा हुए, जो पिछले महीने ईरान और इज़राइल के बीच हुए 12-दिवसीय युद्ध के बाद पहली बातचीत थी। इस संघर्ष के दौरान अमेरिका ने भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर निशाना साधे थे।
बैठक का केंद्रबिंदु 2015 में हटाए गए प्रतिबंधों को दोबारा लागू करने की संभावना था। उस समझौते के तहत ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर सीमाएं स्वीकार की थीं और अंतरराष्ट्रीय निगरानी का आश्वासन दिया था।
ईरान के उप विदेश मंत्री काज़ेम गरीबाबादी ने बताया कि बातचीत "गंभीर, स्पष्ट और विस्तृत" रही, जिसमें परमाणु मुद्दों और प्रतिबंधों को लेकर गहन चर्चा हुई और आगे की वार्ता पर सहमति बनी।
यूरोपीय पक्ष के एक राजनयिक ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि ईरान पर ‘स्नैपबैक’ प्रतिबंध फिर से लगाए जाने की संभावना अभी भी बनी हुई है। ‘स्नैपबैक’ का अर्थ है—यदि ईरान समझौते की शर्तों का पालन नहीं करता, तो पहले हटाए गए प्रतिबंध बिना किसी नई प्रक्रिया के तुरंत लागू हो सकते हैं।
राजनयिक ने आगे कहा कि प्रतिबंधों को टालने के लिए ईरान को एक प्रस्ताव दिया गया है, बशर्ते वह ईमानदारी से कूटनीतिक वार्ता करे, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ पूरा सहयोग दे, और अपने अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम के भंडार को लेकर फैली चिंताओं का समाधान करे।
यूरोपीय नेताओं ने स्पष्ट किया है कि यदि ईरान की ओर से कोई ठोस प्रगति नहीं हुई, तो अगस्त के अंत तक प्रतिबंध फिर से लागू कर दिए जाएंगे।
गरीबाबादी ने यह भी कहा कि ईरान की वार्ता में भागीदारी कुछ "महत्वपूर्ण सिद्धांतों" पर आधारित है, जिनमें सबसे अहम है—अमेरिका पर विश्वास की बहाली। उन्होंने कहा कि फिलहाल ईरान को अमेरिका पर कोई भरोसा नहीं है।
बृहस्पतिवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में गरीबाबादी ने चेतावनी दी कि यह वार्ता किसी सैन्य कार्रवाई के छिपे एजेंडे को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल नहीं की जानी चाहिए।
ईरान ने बार-बार चेतावनी दी है कि यदि उस पर फिर से प्रतिबंध लगाए गए, तो वह परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से खुद को अलग कर सकता है।
ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के एक प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा कि इज़राइल और अमेरिका के हालिया हमलों के बावजूद, देश का परमाणु कार्यक्रम "और अधिक मजबूती से उभरेगा और फलेगा-फूलेगा"।