आईएस-के के सामने बेबस हो गया है तालिबान

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
आईएस-के के सामने बेबस हो गया है  तालिबान
आईएस-के के सामने बेबस हो गया है तालिबान

 

नई दिल्ली. तालिबान अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट (आईएस) आतंकी समूह की खुरासान शाखा या आईएस-के के विस्तार को रोकने में नाकाम रहा है.

 
काबुल के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन ने यह बात कही है.
 
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को एक ब्रीफिंग के दौरान लियोन ने कहा कि कभी कुछ प्रांतों और काबुल तक सीमित, आईएस-के अब लगभग सभी प्रांतों में मौजूद है तथा और अधिक तेजी से सक्रिय हो रहा है.
 
आतंकी समूह की सक्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष से इस वर्ष तक हमलों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. आतंकी समूह की ओर से 2020 में जहां 60 हमलों की सूचना मिली थी, वहीं इस साल अब तक 334 हमले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनके लिए आईएस-के को जिम्मेदार ठहराया गया है या वास्तव में उसने खुद इन हमलों का दावा किया है.
 
लियोन ने कहा कि आईएस-के लगातार शिया समुदायों को निशाना बना रहा है. तालिबान जोर देकर कहता है कि वे आईएस-के के खिलाफ एक ठोस अभियान चला रहे हैं, लेकिन यह अभियान इस मायने में चिंताजनक है कि यह आईएस-के के संदिग्ध सदस्यों की गैर-न्यायिक हिरासत और हत्याओं पर बहुत अधिक निर्भर करता है. यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से अधिक ध्यान देने की जरूरत है.
 
संयुक्त राष्ट्र के राजदूत ने कहा कि सामान्य तौर पर अफगान लोग तालिबान के वास्तविक अधिकार के भविष्य के इरादों के बारे में आशंकित हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अफगान नागरिक निश्चित रूप से इसलिए भी बेहद चिंतित हैं, क्योंकि अफगान आबादी को लकवाग्रस्त अर्थव्यवस्था के बारे में, पैसे निकालने में असमर्थता और सर्दियों और आने वाले महीनों के दौरान खुद को और अपने बच्चों को खिलाने में सक्षम नहीं होने का डर है.
 
इसके अलावा देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी अंकुश लगने से चिंता बढ़ गई है. नागरिकों द्वारा किए जाने वाले प्रदर्शनों और अन्य प्रयासों की भी सीमाएं निर्धारित की जा चुकी हैं. मीडिया आउटलेट कभी-कभी वित्तीय कारणों से और कभी-कभी वास्तविक अधिकारियों द्वारा उनके प्रकाशनों और प्रसारणों की सामग्री पर प्रतिबंधों के कारण बंद होते रहते हैं. 
 
लियोन ने कहा कि यह स्थिति निरंतर अंतर-जातीय तनाव और हिंसा, अल्पसंख्यक समुदायों को लक्षित करके जबरन बेदखली की रिपोर्ट के साथ अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए चिंता को जन्म देती है.
 
लियोन ने कहा कि हालांकि समग्र सुरक्षा स्थिति में वास्तव में सुधार हुआ है, क्योंकि संघर्ष काफी हद तक समाप्त हो गया है.