यमान अल-जवाहिरी की मौत के बाद मुसीबत में तालिबान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 05-08-2022
यमान अल-जवाहिरी की मौत के बाद मुसीबत में तालिबान
यमान अल-जवाहिरी की मौत के बाद मुसीबत में तालिबान

 

आवाज द वॉयस /वाशिंगटन

अल-कायदा नेता और 9/11 हमलों के मास्टरमाइंड, अयमान अल-जवाहिरी के अमेरिकी ड्रोन हमले में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मारे जाने के बाद तालिबान के लिए समस्या खड़ी हो गई है. इस घटना के बाद जहां अमेरिका ने तालिबान नीति के पुनर्मूल्यांकन का इरादा जाहिर किया है. वहीं तालिबान आतंकवादी संगठनों के संदेह के घेरे में आ गया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने सोमवार को खुलासा किया कि उनके ड्रोन हमले ने अल-जवाहिरी को मार  गिराया.मध्य पूर्व संस्थान के एक अनिवासी विद्वान जाविद अहमद ने द हिल में लिखा,इसके साथ ही जिहादियों का तालिबान के प्रति विश्वास डगमगा गया है. इससे पहले वे

कई वर्षों तक अफगानिस्तान के प्रमुख शहरों, पाकिस्तान, ईरान और यहां तक कि चीन में सुरक्षित पनाह लेते रहे हैं. कुछ मामलों में पिछली सरकार में वरिष्ठ अफगान अधिकारियों ने अपने अज्ञात मेहमानों को रखने के लिए अस्पष्ट समूहों और पात्रों को अपनी संपत्ति पट्टे पर दी थी.

हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, पाकिस्तानी तालिबान और इस्लामिक स्टेट के विभिन्न जिहादियों ने लंबे समय तक पड़ोसी देशों में स्लीपर सेल की हैसियत से काम किया. लेख में बताया गया कि अलकायदा के सर्वोच्च नेता को काबुल में राष्ट्रपति भवन से एक मील के दायरे में रखने का निर्णय तालिबान के साथ उसके बहुस्तरीय गठबंधन की ताकत को दर्शाता है.

जबकि वाशिंगटन यह मानता है कि अलकायदा अफगानिस्तान के विशाल जिहादी परिदृश्य में एक सांख्यिकीय बाहरी बन गया है.लेखक के अनुसार कुनार प्रांत के पूर्वी भाग में अल-कायदा की उपस्थिति इतनी स्पष्ट रही है कि स्थानीय लोगों ने भी उन जिलों की पहचान कर ली है.

उत्तरपूर्वी अफगानिस्तान में, साझेदारी का व्यावसायिक पक्ष एक व्यापक सोने की तस्करी अभियान में शामिल रहा है जिसमें संयुक्त तालिबान और अलकायदा खुद को स्थानीय व्यापारियों के रूप में प्रस्तुत करते रहे हैं.

दोहा में यूएस-तालिबान वार्ता के दौरान, अलकायदा के नेताओं ने तालिबान कट्टरपंथियों पर आरोप लगाया था कि वे द्विपक्षीय समझौते की आड़ में उनका सौदा कर रहे हैं.तालिबान पहले से ही अपनी सरकार की मान्यता के लिए संघर्ष कर रहा है. अब अल-जवाहिरी की मौत से नई समस्या पैदा हो गई है. अल-कायदा को तालिबान के वादे पर संदेह हो गया है.