सेना प्रमुख की भूटान यात्रा: भारत-भूटान रक्षा सहयोग को मिलेगा नया आयाम

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 30-06-2025
Army Chief's visit to Bhutan: India-Bhutan defence cooperation will get a new dimension
Army Chief's visit to Bhutan: India-Bhutan defence cooperation will get a new dimension

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

भारत के नए सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी सोमवार को एक चार दिवसीय यात्रा पर भूटान पहुंचे हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और सुदृढ़ बनाना है. यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक तनाव और चीनी सैन्य गतिविधियों में तेजी देखी जा रही है, विशेषकर डोकलाम क्षेत्र में.
 
जनरल द्विवेदी की इस यात्रा को भारत-भूटान संबंधों में नए भरोसे और सहयोग के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। वे इस दौरान भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से मुलाकात करेंगे और रॉयल भूटान आर्मी के चीफ ऑपरेशन ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल बाटू शेरिंग के साथ उच्चस्तरीय बातचीत करेंगे.
 
डोकलाम पर फिर चर्चा के संकेत

भारत और भूटान दोनों के लिए रणनीतिक रूप से अहम डोकलाम पठार एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है. साल 2017 में डोकलाम ट्राई-जंक्शन पर भारत और चीन के बीच 73 दिनों का सैन्य गतिरोध हुआ था, जिसे लेकर भारत ने चीन के निर्माण कार्य का कड़ा विरोध जताया था. उस समय भूटान ने स्पष्ट किया था कि डोकलाम उसका हिस्सा है, और भारत ने भी भूटान के दावे का समर्थन किया.
 
अब जबकि भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद पर बातचीत का सिलसिला तेज हुआ है, भारत इस पर करीबी निगरानी रख रहा है. विशेषज्ञ मानते हैं कि डोकलाम को लेकर कोई भी नया समझौता भारत की सुरक्षा नीतियों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में सेना प्रमुख की यात्रा को इन पहलुओं से जोड़कर देखा जा रहा है.
 
सामरिक सहयोग को मिलेगा बल

सेना प्रमुख की इस यात्रा में सामरिक सहयोग, सैन्य प्रशिक्षण, इंफ्रास्ट्रक्चर साझा परियोजनाएं और रक्षा संबंधी तकनीकी आदान-प्रदान जैसे मुद्दे प्राथमिकता में हैं। भूटान-भारत सीमा क्षेत्र में सड़क निर्माण, संचार नेटवर्क और लॉजिस्टिक सपोर्ट को लेकर भी सहयोग बढ़ाया जा सकता है.
 
जनरल द्विवेदी भूटान की राजधानी थिम्पू में भूटानी अधिकारियों के साथ मिलकर क्षेत्रीय सुरक्षा के बदलते परिदृश्य पर विचार करेंगे. साथ ही, रॉयल भूटान आर्मी के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम, संयुक्त सैन्य अभ्यास, और बॉर्डर इंटेलिजेंस साझा करना जैसे विषयों पर भी विस्तृत चर्चा होगी.
 
पाकिस्तान और चीन की पृष्ठभूमि में यात्रा अहम

सेना प्रमुख की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की थी। वहीं, चीन लगातार डोकलाम और अरुणाचल के क्षेत्रों में सैन्य गतिविधियों को बढ़ा रहा है। इन दोनों देशों की गतिविधियों ने भारत की रणनीतिक योजना को और अधिक सक्रिय और सतर्क बना दिया है.
 
भूटान और चीन के बीच 400 किलोमीटर लंबी सीमा पर वर्षों से विवाद चला आ रहा है। वर्ष 2021 में दोनों देशों ने विवाद सुलझाने के लिए तीन-चरणीय रोडमैप पर सहमति जताई थी. 2023 में भूटान के तत्कालीन विदेश मंत्री टांडी दोरजी की बीजिंग यात्रा के दौरान सीमा विवाद को लेकर चर्चाएं तेज हुईं.
 
नई दिल्ली इस पर करीबी नजर रखे हुए है क्योंकि यह भारत के रणनीतिक हितों से सीधा जुड़ा हुआ है, खासकर डोकलाम ट्राई-जंक्शन पर। अगर चीन और भूटान के बीच किसी प्रकार का समझौता होता है तो वह भारत के लिए नए सुरक्षा समीकरण खड़े कर सकता है.
 
फरवरी में भूटानी सैन्य प्रमुख की भारत यात्रा

इससे पहले, फरवरी 2025 में रॉयल भूटान आर्मी के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बाटू शेरिंग भारत आए थे. उस समय उन्होंने जनरल द्विवेदी, एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह के साथ बातचीत की थी। यह यात्रा इस बात का संकेत थी कि भारत और भूटान के बीच रणनीतिक संवाद लगातार जारी है.
 
सेना प्रमुख की यह भूटान यात्रा सिर्फ एक औपचारिक सैन्य दौरा नहीं बल्कि भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा रणनीति का अहम हिस्सा है. डोकलाम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में चीन की बढ़ती मौजूदगी और भूटान-चीन सीमा विवाद के संभावित समझौतों के बीच भारत का यह कदम न केवल सामरिक मजबूती को दर्शाता है. बल्कि यह कूटनीतिक स्पष्टता और सतर्कता की भी पहचान है.
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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