कनाडा में 'नेशनल सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस' , कट्टरपंथी ताक़तों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 30-06-2025
'National Security Conference' held in Canada, demand for strict action against radical forces arose
'National Security Conference' held in Canada, demand for strict action against radical forces arose

 

ओंटारियो (कनाडा)

 कनाडा इंडिया फाउंडेशन (CIF) ने TAFSIK (The Alliance to Fight Secessionism and International Khalistani Terrorism) के सहयोग से रविवार को “एकजुट होकर उग्रवाद के खिलाफ” विषय पर एक दिवसीय नेशनल सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। यह आयोजन वुडलैंड, ओंटारियो के पैरामाउंट इवेंटस्पेस में हुआ, जहां कनाडा भर से प्रमुख विशेषज्ञ और वक्ता शामिल हुए।

सम्मेलन में कट्टरपंथी विचारधाराओं, विदेशी दखल और इनसे कनाडा की आंतरिक सुरक्षा को हो रहे खतरों पर गंभीर विमर्श हुआ। वक्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई कि कनाडा की बहुसांस्कृतिक लोकतंत्र को विदेश से आयातित विभाजनकारी एजेंडे के ज़रिए कमजोर किया जा रहा है।

एयर इंडिया बम धमाके को याद करते हुए भावनात्मक अपील

सम्मेलन का प्रमुख विषय रहा 1985 का एयर इंडिया फ्लाइट 182 बम धमाका, जिसमें 329 लोगों की जान गई थी—ज्यादातर कनाडाई नागरिक। एविएशन विशेषज्ञ और लेखक संजय लाज़र, जिन्होंने इस हादसे में अपने पूरे परिवार को खोया था, ने कहा:“यह हमला सिर्फ एक विमान पर नहीं, बल्कि कनाडाई मूल्यों पर सीधा आघात था। 40 साल बाद भी हमें एक स्मारक लर्निंग सेंटर नहीं मिला। यह इतिहास कनाडा की शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाना चाहिए।”

आतंकवाद की मानवीय कीमत

‘ह्यूमन कॉस्ट ऑफ टेररिज्म’ सत्र में इंडो-कनाडाई और यहूदी समुदायों के अनुभव साझा किए गए। हाल ही में एक यहूदी स्कूल पर फायरिंग की घटना का जिक्र करते हुए एक वक्ता ने कहा,“यह खुफिया तंत्र की विफलता है या खतरनाक उदासीनता?”

इस्लामी नेटवर्क, खालिस्तानी तत्व और चरमपंथ

पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने बेबाकी से कहा,“कनाडा में मुस्लिम ब्रदरहुड, ISI समर्थित लोग, खालिस्तानी अलगाववादी और वामपंथी चरमपंथी खुलकर सक्रिय हैं। हमारी नीतियां पंगु हैं, लेकिन आज यहां मौजूद लोग उम्मीद की किरण हैं।”

पत्रकार वायट क्लेपूल ने कहा,“कनाडा एक ऐसा देश बन गया है जो अपने सहयोगियों जैसे भारत और इज़रायल को धोखा देता है। हम बार-बार ग़लत पक्ष का समर्थन करते हैं। देश को एक मज़बूत विदेश नीति की जरूरत है।”

उज्जल दोसांझ का तीखा बयान

पूर्व संघीय स्वास्थ्य मंत्री उज्जल दोसांझ ने कहा,“यह शायद पहला सार्वजनिक सम्मेलन है जहां इंडो-कनाडाई समुदाय में बढ़ते उग्रवाद की खुलकर बात हुई। यह समस्या अब उग्रवाद, ड्रग्स और इमीग्रेशन फ्रॉड के मेल से समाज के लिए घातक बन चुकी है।”

सामुदायिक भागीदारी और मीडिया की भूमिका

गुनीत सिंह ने सम्मेलन की समावेशिता की सराहना की और कहा,“यह सिर्फ भारत का मुद्दा नहीं है, यह कनाडा का मुद्दा है। अवैध इमीग्रेशन और उग्रवाद हम सभी को प्रभावित कर रहे हैं।”

वक्ताओं ने मुख्यधारा की मीडिया और संस्थानों की चुप्पी पर सवाल उठाए। एक वक्ता ने कहा,“जब कट्टरपंथी खुलेआम AK-47 लहराते हुए धमकियाँ देते हैं, तब भी RCMP (कनाडा की रॉयल माउंटेड पुलिस) चुप रहती है।”

बिल 63 पर बहस

बिल 63 पर भी चर्चा हुई, जिसे वक्ताओं ने "उदार आवाज़ों को दबाने और उग्रपंथियों को बचाने वाला कानून" बताया। एक वक्ता ने कहा,“ऐसे कानून सार्वजनिक विमर्श को कुचलते हैं, जबकि हमें खुले मंच की ज़रूरत है ताकि उग्रवाद को चुनौती दी जा सके।”

समाधान की मांग

सम्मेलन में केवल समस्या का चित्रण नहीं हुआ, बल्कि ठोस सुझाव भी सामने आए। जैसे—

  • इंटेलिजेंस एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय

  • कानून प्रवर्तन को अधिक अधिकार

  • इमीग्रेशन सुधार

  • मीडिया से डर छोड़कर सच बोलने की अपील

एक वक्ता ने कहा:“कनाडा के चार्टर ऑफ राइट्स का मकसद हिंसा या उग्रवाद की रक्षा करना नहीं, बल्कि मासूम और शांतिप्रिय नागरिकों की सुरक्षा करना है।”

निष्कर्ष और अगला कदम

सम्मेलन का समापन इस घोषणा के साथ हुआ कि पूरे कार्यक्रम की सिफारिशों पर आधारित एक विस्तृत रिपोर्ट कनाडाई सांसदों और सुरक्षा एजेंसियों को सौंपी जाएगी

रितेश मलिक, CIF के संस्थापक ने समापन में कहा:“अब चुप रहने का समय नहीं है। हमें वह कनाडा चाहिए जो पहले था, जो होना चाहिए और जो हम अपने बच्चों के लिए चाहते हैं।”