ट्रम्प की एशिया वापसी और ईस्ट तिमोर की एंट्री पर केंद्रित आसियान शिखर सम्मेलन

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 25-10-2025
Preparations begin for historic ASEAN summit focused on Trump's return to Asia and East Timor's entry
Preparations begin for historic ASEAN summit focused on Trump's return to Asia and East Timor's entry

 

कुआलालंपुर (मलेशिया)

दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान (ASEAN) के विदेश मंत्रियों ने शनिवार को कुआलालंपुर में बैठक की, जो रविवार से शुरू होने वाले ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन की तैयारी के रूप में आयोजित की गई। इस वर्ष का सम्मेलन कई मायनों में विशेष है — पहली बार ईस्ट तिमोर (टिमोर-लेस्ते) को आसियान के 11वें सदस्य के रूप में आधिकारिक तौर पर शामिल किया जाएगा, और यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्हाइट हाउस में वापसी के बाद उनकी पहली एशिया यात्रा होगी।

रविवार से शुरू होने वाला वार्षिक आसियान सम्मेलन दो दिनों तक चलेगा, जिसमें चीन, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया, रूस, दक्षिण कोरिया और अमेरिका सहित कई देशों के शीर्ष नेता भाग लेंगे। इस बार चर्चा के केंद्र में क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और समुद्री विवादों से जुड़े मुद्दे रहेंगे।

ट्रम्प की वापसी और अमेरिका की नई भूमिका

ट्रम्प 2017 के बाद पहली बार आसियान बैठक में शामिल हो रहे हैं। यह उनकी दूसरी राष्ट्रपति अवधि में एशिया की पहली यात्रा है। अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान ट्रम्प मलेशिया के साथ नए व्यापार समझौतों का साक्षी बनने के साथ-साथ थाईलैंड और कंबोडिया के बीच युद्धविराम समझौते के विस्तार की अध्यक्षता भी करेंगे। यह समझौता जुलाई में कुआलालंपुर में आसियान की मध्यस्थता और ट्रम्प के दबाव में हुआ था।

सिंगापुर स्थित आईएसईएएस–युसोफ इशाक इंस्टीट्यूट की विश्लेषक जोआन लिन के अनुसार, “ट्रम्प की उपस्थिति अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रत्यक्ष क्षेत्रीय जुड़ाव का दुर्लभ अवसर है। यह दिखाता है कि वाशिंगटन अभी भी इंडो-पैसिफिक रणनीति में आसियान को महत्वपूर्ण मानता है।”

उन्होंने कहा, “ट्रम्प का यह दौरा केवल नीति नहीं, बल्कि दृश्यता (visibility) का प्रयास है। वह खुद को वैश्विक ‘डीलमेकर’ के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं, जबकि उनके घरेलू टैरिफ निर्णयों ने क्षेत्र के कई सहयोगियों को असहज किया है।”

कुआलालंपुर में सख्त सुरक्षा इंतज़ाम

ट्रम्प की यात्रा को लेकर कुआलालंपुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कई संगठनों ने फिलिस्तीन नीति को लेकर विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति होगी, लेकिन शिखर बैठक में किसी प्रकार की बाधा नहीं आने दी जाएगी।

अनवर ने कहा कि भले ही ट्रम्प की नीतियों को लेकर कुछ लोग असहमति रखते हों, लेकिन “गाज़ा में संघर्षविराम कराने में ट्रम्प की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता, जो सामान्य परिस्थितियों में लगभग असंभव था।” मलेशिया फिर भी फिलिस्तीन मुद्दे पर अपनी आपत्तियाँ सीधे ट्रम्प के समक्ष रखेगा।

ईस्ट तिमोर की आसियान में एंट्री — ऐतिहासिक क्षण

इस वर्ष का शिखर सम्मेलन आसियान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। 26 वर्षों बाद संगठन में एक नया सदस्य शामिल हो रहा है। ईस्ट तिमोर, जिसने 2011 में सदस्यता के लिए आवेदन किया था, अब आधिकारिक रूप से संगठन का हिस्सा बनेगा।

1.4 मिलियन की आबादी वाला यह छोटा लेकिन संघर्षशील देश कभी पुर्तगाली उपनिवेश था और 1975 में इंडोनेशिया के आक्रमण के बाद 24 वर्षों तक हिंसा और भूख से जूझता रहा। 1999 में संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में हुए जनमत संग्रह के बाद 2002 में इसे स्वतंत्रता मिली।

ईस्ट तिमोर की सदस्यता को क्षेत्रीय समावेशन की दिशा में एक प्रतीकात्मक और सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इससे देश को आसियान के मुक्त व्यापार समझौतों, निवेश और क्षेत्रीय बाज़ार तक पहुंच का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री अनवर ने कहा, “वे गरीब हैं, लेकिन उनमें संभावनाएँ हैं। आसियान समुदाय का कर्तव्य है कि हम ऐसे देशों को आगे बढ़ाएँ।”

क्षेत्रीय तनाव और म्यांमार संकट पर चर्चा

शिखर सम्मेलन में दक्षिण चीन सागर विवाद, म्यांमार का गृहयुद्ध और सीमा पार साइबर अपराध जैसे विषयों पर भी चर्चा होगी।

आसियान चीन के साथ अपग्रेडेड फ्री ट्रेड समझौते पर हस्ताक्षर करेगा और विवादित जलक्षेत्र के लिए लंबे समय से लंबित “आचार संहिता” (Code of Conduct) को लेकर बातचीत जारी रखेगा।

म्यांमार की स्थिति अब भी आसियान की एकता की सबसे बड़ी परीक्षा बनी हुई है। 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार के सैन्य नेताओं को शिखर बैठकों से दूर रखा गया है क्योंकि वे संगठन की पांच सूत्री शांति योजना पर अमल करने में विफल रहे हैं।

दिसंबर में म्यांमार में होने वाले चुनावों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने “न तो स्वतंत्र और न ही निष्पक्ष” बताया है। म्यांमार की सेना ने आसियान देशों को चुनाव पर्यवेक्षक भेजने का निमंत्रण दिया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करने से सैन्य शासन को वैधता मिल सकती है, जबकि इनकार करने पर म्यांमार और अधिक अलग-थलग पड़ सकता है।

सिंगापुर की विश्लेषक लिन ने कहा, “मुख्य सवाल यह है कि चुनाव के बाद क्या होगा — क्या आसियान भविष्य में भी म्यांमार के राजनीतिक प्रतिनिधियों को शिखर सम्मेलनों से बाहर रखेगा, अगर सेना खुद को वैध घोषित करती है?”

इस प्रकार, कुआलालंपुर का यह आसियान सम्मेलन न केवल ईस्ट तिमोर के नए सफर की शुरुआत है, बल्कि यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति-संतुलन, कूटनीतिक पुनर्संतुलन और अमेरिका की भूमिका के पुनर्निर्धारण का भी संकेतक माना जा रहा है।