पीओजेके: सड़क परियोजना 35 साल बाद भी अधूरी, कई गांव अलग-थलग पड़े

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 11-12-2024
PoJK: Road project incomplete even after 35 years, many villages isolated
PoJK: Road project incomplete even after 35 years, many villages isolated

 

मुजफ्फराबाद. पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) में एक महत्वपूर्ण सड़क परियोजना 35 साल से अधूरी पड़ी है, जिससे गांव प्रमुख परिवहन संपर्क से अलग-थलग पड़ गए हैं.

टीएनएन स्टोरीज ने बताया कि शुरुआत में बांदी सैयदान और आस-पास के गांवों को श्रीनगर हाईवे से जोड़ने के लिए बनाई गई यह सड़क अब जीर्ण-शीर्ण और अनुपयोगी स्थिति में है, जिससे इस पर निर्भर लोगों का दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.

स्थानीय लोगों ने बढ़ती निराशा व्यक्त की है, उन्होंने निर्वाचित अधिकारियों पर बार-बार वादे करने के बावजूद अपनी जिम्मेदारियों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है. बांदी सैयदान के निवासी मुहम्मद बशीर ने कहा, ‘‘सरकारी सहायता से इस सड़क परियोजना को शुरू हुए लगभग 35 साल हो गए हैं, फिर भी यह अधूरी और खराब स्थिति में है.’’ उन्होंने कहा कि इस निरंतर उपेक्षा के कारण क्षेत्र के राजनेताओं के प्रति गहरा अविश्वास पैदा हो गया है. ग्रामीणों का तर्क है कि सड़क के पूरा होने से चार प्रभावित गांवों में रहने वाले लगभग 6,000 से 7,000 लोगों को काफी लाभ होगा. एक अन्य ग्रामीण वहीद कियानी ने सड़क के पूरा होने के महत्व पर जोर दियारू ष्अगर यह सड़क ठीक से बनाई जाती है, तो यह इन गांवों के हजारों लोगों के जीवन को बदल देगी. हमने काफी इंतजार किया है.

इस सड़क परियोजना में देरी पीओजेके में एक अलग मुद्दा नहीं है. कई स्थानीय लोगों का मानना है कि यह सरकार की उपेक्षा और उदासीनता के व्यापक पैटर्न का हिस्सा है, जो लगातार क्षेत्र में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की जरूरतों को पूरा करने में विफल रही है. ग्रामीणों का तर्क है कि उनकी जरूरतों को लगातार अन्य प्राथमिकताओं के पक्ष में दरकिनार किया गया है, जिससे परित्याग की भावना गहरी हुई है.

पीओजेके में बुनियादी ढांचे की विफलता और उपेक्षा ने निवासियों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियों को जन्म दिया है. टूटी सड़कें, अविश्वसनीय बिजली और अपर्याप्त जल आपूर्ति आम समस्याएं हैं, जबकि स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाएं अक्सर उपलब्ध नहीं होती हैं.

कई क्षेत्रों में, आवश्यक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में देरी हो रही है या उन्हें पूरी तरह से छोड़ दिया गया है, जिससे समुदाय सबसे बुनियादी सुविधाओं से वंचित रह गए हैं. यह उपेक्षा न केवल आर्थिक विकास में बाधा डालती है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए निरंतर निराशा और कठिनाई में भी योगदान देती है.