ग़ाज़ा में राहत सामग्री का इंतजार कर रहे फलस्तीनियों पर हमला, 51 की मौत, 200 से अधिक घायल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 18-06-2025
Palestinians waiting for relief supplies in Gaza attacked, 51 killed, over 200 injured
Palestinians waiting for relief supplies in Gaza attacked, 51 killed, over 200 injured

 

खान यूनिस/ग़ाज़ा

ग़ाज़ा पट्टी के खान यूनिस इलाके में उस समय मातम पसर गया जब राहत सामग्री के इंतजार में खड़े सैकड़ों फलस्तीनियों की भीड़ पर हुए हमले में कम से कम 51 लोग मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए। यह जानकारी ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय और एक स्थानीय अस्पताल ने दी।

ये लोग संयुक्त राष्ट्र और निजी व्यापारिक ट्रकों के ज़रिए आने वाली खाद्य सामग्री और अन्य जरूरी राहत सामान की बाट जोह रहे थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमला उस वक्त हुआ जब इजरायली सेना ने पास के एक घर पर हवाई हमला किया और इसके बाद भीड़ पर सीधी गोलीबारी शुरू कर दी।

इजरायली सेना का कहना है कि उन्होंने खान यूनिस में एक फंसे हुए राहत ट्रक के पास भीड़ को जमा होते देखा, और उस दौरान ‘‘कई लोग हताहत’’ हुए। सेना ने यह भी स्वीकार किया है कि गोलीबारी के दौरान बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं, और इस पूरी घटना की जांच की जा रही है।

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (UNOCHA) ने भी पुष्टि की कि जो लोग मारे गए या घायल हुए, वे सभी संयुक्त राष्ट्र के राहत काफिले से आने वाले खाद्य पैकेट्स का इंतजार कर रहे थे।

एक प्रत्यक्षदर्शी यूसुफ नोफल ने ‘एपी’ को बताया, “सेना की गोलीबारी शुरू होते ही लोग ज़मीन पर गिरते चले गए। हर तरफ खून फैला था। यह पूरी तरह नरसंहार है।” उन्होंने यह भी कहा कि सैनिकों ने उन लोगों पर भी गोलीबारी की जो जान बचाने के लिए भाग रहे थे।

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी मोहम्मद अबू केशफा ने बताया, “पहले एक जोरदार विस्फोट हुआ, उसके बाद मशीनगनों से गोलियां और टैंकों से गोले बरसाए गए। मैं बच गया, यह किसी चमत्कार से कम नहीं।”

घायल और मृतकों को नासिर अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां 51 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है। अस्पताल में घायलों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है और आपात सेवाएं लगातार प्रयासरत हैं।

यह घटना ऐसे समय हुई है जब ग़ाज़ा में इंसानी हालात पहले ही बदतर हो चुके हैं, और सीमित राहत सामग्री पर हजारों लोगों की ज़िंदगी टिकी हुई है।