पाकिस्तान: बलूच नेताओं के अपहरण के ख़िलाफ़ इस्लामाबाद में 36वें दिन भी धरना जारी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 21-08-2025
Pakistan: Protest continues for the 36th day in Islamabad against the kidnapping of Baloch leaders
Pakistan: Protest continues for the 36th day in Islamabad against the kidnapping of Baloch leaders

 

इस्लामाबाद([पाकिस्तान)

मानवाधिकार संगठन बलूच यकजाहती कमेटी (BYC) ने बुधवार को घोषणा की कि उसका धरना-प्रदर्शन लगातार 36वें दिन भी इस्लामाबाद स्थित नेशनल प्रेस क्लब के सामने जारी है।

BYC के अनुसार, अपहृत बलूच नेताओं के परिजनों का विरोध लगातार जारी है। इनमें से कई बुज़ुर्ग महिलाएँ और छोटे बच्चे हैं, जिन्हें आश्रय से वंचित किया गया है और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है।

BYC ने ‘एक्स’ पर लिखा:“आज इस्लामाबाद धरने का 36वां दिन है। बुज़ुर्ग महिलाओं और छोटे बच्चों सहित पीड़ित परिवार, भीषण गर्मी, कड़ी निगरानी और लगातार उत्पीड़न के बावजूद नेशनल प्रेस क्लब के सामने बैठे हैं। एक महीने से अधिक समय से उन्हें आश्रय नहीं दिया गया, उन्हें प्रताड़ित किया गया और उस जगह से हटाया गया जो पीड़ितों की आवाज़ उठाने के लिए निर्धारित है। इसके बावजूद उनकी हिम्मत टूटी नहीं है। हर बीतता दिन उनके अटूट साहस और न्याय की सामूहिक मांग का सबूत है। उनका संघर्ष केवल अपने प्रियजनों के लिए नहीं बल्कि हर उस परिवार के लिए है जो जबरन गुमशुदगी से बर्बाद हुआ है।”

पाकिस्तान का बिगड़ता मानवाधिकार संकट

यह धरना पाकिस्तान के गहराते मानवाधिकार संकट को दर्शाता है। बलूच परिवारों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में हो रहे प्रदर्शनों ने प्रमुख शहरों को हिला दिया है और यह पाकिस्तान में जबरन गुमशुदगियों, फर्जी मुठभेड़ों और दण्ड से मुक्ति की गंभीर समस्या को उजागर करता है।

बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगी पिछले कई दशकों से एक गंभीर मानवाधिकार मुद्दा रहा है, जिसकी जड़ें क्षेत्र की लम्बी राजनीतिक और जातीय तनातनी में हैं। दशकों से बलूच राष्ट्रवादियों, छात्रों, कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को अधिक स्वायत्तता और अधिकारों की मांग करने पर निशाना बनाया जाता रहा है।

पाकिस्तानी सरकार लगातार इसमें अपनी संलिप्तता से इनकार करती रही है, लेकिन मामलों की पारदर्शी जाँच या समाधान करने में विफल रही है। हाल के वर्षों में शांतिपूर्ण प्रतिरोध – धरनों, मार्चों और अब सोशल मीडिया के माध्यम से – तेज़ हुआ है। BYC जैसे समूह इन परिवारों की आवाज़ बनकर सामने आए हैं, जो अपने प्रियजनों की सुरक्षित वापसी और दण्डमुक्ति की संस्कृति को समाप्त करने की माँग कर रहे हैं।