वॉशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक कार्यालय (ODNI) अपने कर्मचारियों में बड़े पैमाने पर कमी करते हुए बजट में सालाना 700 मिलियन डॉलर से अधिक की कटौती करेगा। ट्रंप प्रशासन ने बुधवार को यह घोषणा की।
यह कदम उस कार्यालय के लिए बड़े पैमाने पर बदलाव है जो 18 खुफिया एजेंसियों के कार्यों का समन्वय करता है, जिनमें आतंकवाद-रोधी और जासूसी-रोधी विभाग शामिल हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले से ही खुफिया समुदाय की कई आकलनों से असहमत रहे हैं।
हाल ही में प्रशासन ने दर्जनों पूर्व और मौजूदा अधिकारियों की सुरक्षा मंजूरी भी रद्द कर दी और पिछले महीने 2016 के चुनावों में रूस के हस्तक्षेप से जुड़े कई गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक कर दिए।
राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबैर्ड ने बयान जारी करते हुए कहा,
“पिछले 20 वर्षों में ODNI अनावश्यक रूप से बड़ा और अक्षम हो गया है। खुफिया एजेंसियों में सत्ता के दुरुपयोग, गुप्त सूचनाओं के लीक और राजनीतिक इस्तेमाल की प्रवृत्ति बढ़ी है। हम इस पर रोक लगाएंगे।”
उन्होंने बताया कि कार्यालय के कर्मचारियों में 40% से अधिक की कमी की जाएगी। गबैर्ड ने कहा, “खुफिया तंत्र का राजनीतिक हथियारकरण खत्म करना और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराना ही अमेरिकी जनता का भरोसा वापस पाने की पहली शर्त है।”
इस कटौती का सबसे बड़ा असर फॉरेन मैलिग्न इन्फ्लुएंस सेंटर पर पड़ेगा, जिसे चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप और दुष्प्रचार रोकने के लिए बनाया गया था। अधिकारियों के मुताबिक, इसका काम “दोहराव वाला” हो गया था और इसकी मुख्य जिम्मेदारियां अब अन्य विभागों में समाहित कर दी जाएंगी।
यह बदलाव ऐसे समय में हो रहा है जब प्रशासन ने एफबीआई की विदेशी हस्तक्षेप जांच टीम और साइबर सुरक्षा एजेंसी के बजट में भी भारी कटौती की है। विदेश मंत्रालय ने भी हाल ही में दुष्प्रचार से निपटने वाला अपना विशेष कार्यालय बंद कर दिया था।
कांग्रेस में इस घोषणा पर प्रतिक्रियाएं पार्टी लाइनों पर बंटी रहीं।
रिपब्लिकन सीनेटर टॉम कॉटन ने कहा, “यह कदम ODNI को उसके मूल उद्देश्य की ओर लौटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को अधिक प्रभावी बनाने में सहायक होगा।”
वहीं डेमोक्रेट सीनेटर मार्क वॉर्नर ने चिंता जताई कि गबैर्ड का पिछला रिकॉर्ड खुफिया को राजनीतिक बनाने का रहा है और यह बदलाव कहीं राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर न कर दे।
यह केंद्र 2022 में बाइडेन प्रशासन ने स्थापित किया था ताकि रूस और अन्य देशों द्वारा चुनावों में दखल को रोका जा सके। इसने 2024 चुनावों से पहले पेंसिल्वेनिया में बैलेट जलाने का झूठा वीडियो उजागर किया था।
लेकिन गबैर्ड का कहना है कि यह केंद्र “चुनावों पर जरूरत से ज्यादा फोकस करता था” और पिछली सरकार ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दबाने और राजनीतिक विपक्ष को सेंसर करने के औजार के रूप में इस्तेमाल किया।
हालांकि खुफिया विशेषज्ञ एमर्सन ब्रुकिंग का मानना है कि यह केंद्र “फालतू नहीं, बल्कि दोहराव को खत्म करने के लिए बनाया गया था।”