काबुल
तालिबान ने मंगलवार को दावा किया कि पाकिस्तान और ईरान ने एक ही दिन में 3,000 से अधिक अफ़गान शरणार्थियों को जबरन देश से निकाल दिया। तालिबान के डिप्टी प्रवक्ता हमदुल्लाह फिटरत ने प्रवासी मामलों से जुड़े हाई कमीशन की रिपोर्ट साझा करते हुए बताया कि 580 अफ़गान परिवार, कुल 3,164 लोग, सोमवार को अफगानिस्तान लौटे।
फिटरत के अनुसार ये लोग स्पिन बोल्डक (कंधार), बह्रमचा (हेलमंद), इस्लाम क़ला (हेरात), पुल-ए-अब्रेशम (निमरोज़) और तोर्खम (नंगरहार) बॉर्डर पॉइंट्स से अफगानिस्तान लौटे।उन्होंने बताया कि 962 परिवारों (5,404 लोग) को उनके मूल क्षेत्रों में भेजा गया और 557 परिवारों को मानवीय सहायता दी गई। दूरसंचार कंपनियों ने 663 सिम कार्ड भी वितरित किए।
फिटरत ने बताया कि रविवार को भी 1,053 परिवार (4,834 लोग) जबरन लौटाए गए थे।
नवंबर में कई अफगान शरणार्थियों ने बताया कि पाकिस्तान की पुलिस लगातार छापेमारी, गिरफ्तारी और उगाही कर रही है। अफगान अखबार 8AM मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान में रहने वाले अफगान शरणार्थी मानवाधिकारों से वंचित, लगातार भय और चिंता में जी रहे हैं।
पिछले महीनों में तालिबान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच इस्लामाबाद ने अफ़गान शरणार्थियों पर दबाव बढ़ा दिया है। रिपोर्टों के अनुसार, कई इलाकों—खासकर इस्लामाबाद—में पुलिस और सिविल कपड़ों में घूमने वाले लोग शरणार्थियों को रोककर पैसे वसूल रहे हैं।
एक अफगान नागरिक ने बताया:“कभी पुलिस पकड़कर पैसे लेती है, और कभी सामान्य लोग पुलिस बनकर extortion करते हैं। हमें पता ही नहीं चलता कि कौन असली है और कौन नकली। जो पैसा दे देता है, उसे छोड़ दिया जाता है, बाकी को पुलिस पोस्ट ले जाया जाता है।”
एक अन्य शरणार्थी जुनैद ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्हें एक व्यक्ति ने रोका और खुद को पुलिस बताया।“उसने वीज़ा मांगा, पहचान पत्र नहीं दिखाया, फिर मुझे धमकाया और दो अन्य लोग आ गए। उन्होंने मुझे कार में बैठने को कहा। मुझे अपनी रिहाई के लिए 15,000 रुपये देने पड़े।”
शरणार्थियों के अनुसार, पाकिस्तान में उनकी कोई सुनवाई नहीं, कोई सुरक्षा नहीं और वे “अमानवीय परिस्थितियों” में रह रहे हैं।