आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष साझेदारी को नई ऊंचाई देने वाला महत्वाकांक्षी मिशन ‘निसार’ (NISAR - NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) अब लॉन्च के लिए तैयार है. इस संयुक्त उपग्रह मिशन का प्रक्षेपण 30 जुलाई को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से किया जाएगा. यह उपग्रह प्राकृतिक आपदाओं, कृषि गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी वैश्विक जानकारियों के संकलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
इस उपग्रह का विकास अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है. 'निसार' पहला ऐसा मिशन है जिसमें NASA और ISRO ने मिलकर पृथ्वी की निगरानी के लिए उन्नत दोहरी रडार प्रणाली विकसित की है. नासा ने इसमें L-बैंड रडार और इसरो ने S-बैंड रडार प्रणाली दी है.
इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने बताया कि "यह मिशन पृथ्वी की सतह में हो रहे बदलावों को रिकॉर्ड करने, आपदाओं की पूर्व चेतावनी देने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए उपयोगी साबित होगा."
कहां उपयोगी होगा ‘निसार’
भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात जैसी आपदाओं की निगरानी
कृषि भूमि, फसल पैटर्न और जल संसाधनों का आकलन
हिमखंडों की निगरानी और ध्रुवीय क्षेत्रों के अध्ययन
वनों की कटाई, जैव विविधता और भूमि उपयोग का विश्लेषण
वैश्विक तापमान और समुद्री सतह में हो रहे परिवर्तनों की जानकारी
निसार का डेटा वैश्विक रूप से सार्वजनिक किया जाएगा, जिससे दुनियाभर के वैज्ञानिक, शोधकर्ता और नीति-निर्माता इसका उपयोग कर सकेंगे। इस उपग्रह को GSLV Mk-II रॉकेट के माध्यम से कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
जलवायु अध्ययन में क्रांतिकारी कदम
निसार मिशन से प्राप्त जानकारी से उन क्षेत्रों में खास मदद मिलेगी जहां कीमती कृषि भूमि पर जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं का सीधा असर होता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह उपग्रह पृथ्वी की बदलती सतह पर मिलिमीटर स्तर तक की सटीक जानकारी उपलब्ध कराने में सक्षम है.
इस मिशन के जरिए भारत और अमेरिका की विज्ञान एवं तकनीकी साझेदारी को भी नई गति मिलेगी। इससे दोनों देशों को पृथ्वी पर हो रहे भूगर्भीय और पर्यावरणीय परिवर्तनों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी.
उल्लेखनीय है कि ‘निसार’ का लॉन्च 30 जुलाई को सुबह 9:15 बजे के आसपास निर्धारित है, और मौसम अनुकूल रहने पर इसे तय समय पर प्रक्षेपित किया जाएगा. यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष शक्ति को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर जलवायु चेतावनी प्रणाली को भी बेहतर बनाएगा.