काठमांडू
नेपाल ने गुरुवार को चीन के उस दावे को सख्ती से खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की हालिया चीन यात्रा के दौरान काठमांडू ने चीन की ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव (GSI) का समर्थन किया है।
नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय ने स्पष्ट किया कि नेपाल ने केवल ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव (GDI) का समर्थन किया है, न कि ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव (GSI) या ग्लोबल सिविलाइजेशन इनिशिएटिव (GCI) का। उन्होंने कहा,“चीन की पहल में से नेपाल ने केवल जीडीआई का समर्थन किया है और हम संयुक्त राष्ट्र के भीतर बने जीडीआई के ‘फ्रेंड्स ग्रुप’ का हिस्सा बने हैं। बाकी किसी पहल पर हमने न तो सहमति जताई है और न ही कोई समझौता किया है।”
नेपाल लंबे समय से गुटनिरपेक्ष विदेश नीति पर कायम है और उसने बार-बार कहा है कि जीएसआई उसकी नीति के विपरीत है क्योंकि यह एक रणनीतिक और सुरक्षा-आधारित गठबंधन है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने 30 अगस्त को कहा था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ओली की मुलाक़ात के बाद नेपाल ने जीडीआई, जीएसआई और जीसीआई तीनों पहलों का समर्थन किया है। लेकिन नेपाल के विदेश सचिव राय ने साफ कर दिया कि “नेपाल की नीति वही है जो सरकार तय करती है, चीन का दावा असत्य है।”
बीजिंग स्थित नेपाली दूतावास ने भी बैठक पर बयान जारी किया था, लेकिन उसमें जीएसआई के समर्थन का कोई उल्लेख नहीं था।
ध्यान रहे कि चीन ने अप्रैल 2022 में जीएसआई की घोषणा की थी, जिसके जरिए वह वैश्विक सुरक्षा का नया ढांचा पेश करना चाहता है। लेकिन नेपाल लगातार इसे ठुकराता रहा है और कहता रहा है कि यह उसकी स्वतंत्र विदेश नीति के विपरीत है।
अतीत में भी चीन नेपाल पर इस पहल को थोपने की कोशिश करता रहा है। कई मौकों पर चीनी राजनयिकों ने सार्वजनिक रूप से यह दावा किया कि नेपाल ने परियोजनाओं को बीआरआई (Belt and Road Initiative) में शामिल किया है, जबकि नेपाल ने कभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की।
पूर्व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के कार्यकाल में भी जीएसआई से जुड़े एक सम्मेलन में उनके संदेश भेजने को लेकर देश के भीतर आलोचना हुई थी। इसके अलावा विभिन्न स्तरों पर चीन के शीर्ष अधिकारियों ने कई बार नेपाली प्रतिनिधियों पर जीएसआई को स्वीकार करने का दबाव डाला, लेकिन हर बार नेपाल ने गुटनिरपेक्ष रुख को दोहराते हुए इससे दूरी बनाए रखी।