गोटखिंडी: जहां गणपति बप्पा और मस्जिद एक साथ बिखेरते हैं एकता की रौशनी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 04-09-2025
Gotkhindi: Where Ganpati Bappa and mosque together spread the light of unity
Gotkhindi: Where Ganpati Bappa and mosque together spread the light of unity

 

फजल पठान

कहा जाता है कि समाज को एकजुट करने और आपसी भाईचारा बढ़ाने के लिए स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक ने गणेशोत्सव की शुरुआत की थी.गणेशोत्सव के अवसर पर, महाराष्ट्र राज्य में धार्मिक एकता और सद्भाव के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं.लेकिन क्या आपने कभी मस्जिद में ही गणपति की स्थापना के बारे में सुना है?

मोहर्रम हो, ईद हो या गणेशोत्सव, महाराष्ट्र के सांगली ज़िले में हिंदू-मुस्लिम एकता के दर्शन हमेशा होते हैं.महाराष्ट्र में हिंदू-मुस्लिम भाई मिलकर बड़े उत्साह से त्योहार मनाते हैं.इससे जुड़ी कई परंपराएं हमें पूरे महाराष्ट्र में देखने को मिलती हैं.गोटखिंडी गांव में भी एक ऐसी ही अनोखी परंपरा है, जिसे हिंदू-मुस्लिम सद्भाव का एक अनूठा उदाहरण कहा जा सकता है.

सांगली ज़िले के वाळवा तालुका का गोटखिंडी गांव कई सालों से धार्मिक सद्भाव की विरासत को संजोए हुए है.यह गांव पूरे महाराष्ट्र में हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रदर्शन करने वाले गणेशोत्सव के लिए प्रसिद्ध है.

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मस्जिद के प्रवेश द्वार पर विराजते हैं गणपति

महाराष्ट्र में कई जगहों पर दरगाहों और मस्जिदों के परिसर में गणपति स्थापित किए जाते हैं.गणेशोत्सव के दौरान उनकी विधिवत पूजा भी होती है.गोटखिंडी की गणेशोत्सव परंपरा भी कुछ ऐसी ही है.यहां चार दशकों से भी ज़्यादा समय से गणेशोत्सव में गणपति की स्थापना मस्जिद के प्रवेश द्वार पर होती है.इस परंपरा का इतिहास भी दिलचस्प है.

इस बारे में जानकारी देते हुए, न्यू गणेश मंडल के सचिव राहुल कोकाटे कहते हैं, “43साल पहले, न्यू गणेश मंडल ने गोटखिंडी गांव के झुंझार चौक में हमेशा की तरह गणपति स्थापित किए थे.

लेकिन उस समय बहुत तेज़ बारिश हुई और मंडल द्वारा स्थापित गणपति की मूर्ति पर पानी टपकने लगा.तब, गणेश मंडल के ठीक पीछे स्थित मस्जिद के बड़े-बुज़ुर्ग मुस्लिम सदस्यों ने गणपति की मूर्ति को मस्जिद के अंदर लाकर रखने के लिए कहा.”

वह आगे बताते हैं, “मुस्लिम भाइयों के इस फैसले से गणपति की मूर्ति बारिश से बच गई.अगले साल, गांव में एक बैठक बुलाई गई.उस बैठक में यह तय हुआ कि आने वाले समय में गणपति की स्थापना मस्जिद के परिसर में ही की जाएगी.

दोनों समुदायों ने खुशी-खुशी इस फैसले को स्वीकार कर लिया.पहले मूर्ति की स्थापना मस्जिद के बाहरी हिस्से में होती थी.अब गणेश स्थापना मस्जिद के प्रवेश द्वार पर ही की जाती है.”

गणेशोत्सव में शामिल होते हैं मुस्लिम

गोटखिंडी के मुस्लिम समुदाय ने चार दशक पहले गांव के हिंदुओं को मदद और सहयोग का हाथ बढ़ाया था.गणेशोत्सव के दौरान मस्जिद के परिसर में गणपति की प्राणप्रतिष्ठा की अनुमति देकर उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता और धार्मिक सद्भाव का एक अनूठा प्रदर्शन किया.

इस गणेशोत्सव के लिए गांव का मुस्लिम समाज हर संभव मदद के लिए तैयार रहता है.गणेशोत्सव के दौरान भी मुस्लिम कार्यकर्ता सेवा के लिए तत्पर रहते हैं.कई बार गणपति की आरती के बाद प्रसाद बांटने का काम भी मुस्लिम भाई ही करते हैं.

गोटखिंडी की हिंदू-मुस्लिम एकता की परंपरा

इसी सांगली ज़िले के मिरज शहर में 2009 में गणेशोत्सव के दौरान ही एक बड़ा दंगा हुआ था.उस समय दोनों समुदायों के बीच बहुत तनाव पैदा हो गया था.लेकिन वहां से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोटखिंडी गांव में सब कुछ शांत था.दंगे के उस दौर में भी यहां की हिंदू-मुस्लिम एकता और धार्मिक सद्भाव बना रहा.

एक साथ मनाई अनंत चतुर्दशी और बकरी ईद

पिछले कुछ सालों में दो-तीन बार ऐसा हुआ जब बकरी ईद और अनंत चतुर्दशी एक ही दिन आ गए। बकरी ईद मुस्लिम भाइयों के प्रमुख त्योहारों में से एक है, तो अनंत चतुर्दशी हिंदुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जो गणेश विसर्जन का आखिरी दिन होता है.

इस स्थिति में, मुस्लिम समुदाय ने उस दिन बकरी ईद नहीं मनाई। मुस्लिम भाइयों ने कुर्बानी न देते हुए, यह त्योहार अनंत चतुर्दशी के बाद मनाया.मोहर्रम और गणेशोत्सव के बारे में जानकारी देते हुए सचिव राहुल कोकाटे बताते हैं, “1986 में और 2018-19में मोहर्रम और गणेशोत्सव के त्योहार एक साथ आए थे.इस समय भी हिंदू-मुस्लिम समुदाय ने मिलकर मोहर्रम के पंजों और गणपति की स्थापना एक ही स्थान पर की थी.”

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जागरूकता कार्यक्रमों के लिए हिंदू-मुस्लिम एक साथ

गणेशोत्सव महाराष्ट्र के प्रमुख त्योहारों में से एक है.इस त्योहार के अवसर पर, सार्वजनिक मंडल दस दिनों तक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं.समाज में जागरूकता फैलाने वाले कार्यक्रम करने के लिए न्यू गणेश मंडल के हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदायों के युवा बड़ी संख्या में एक साथ आते हैं.इस दौरान वे कंधे से कंधा मिलाकर गणेशोत्सव में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों को बड़े उत्साह के साथ संपन्न करते हैं.

गोटखिंडी के हिंदू और मुस्लिम समुदाय

यहां का मुस्लिम समुदाय हिंदू भाइयों के त्योहारों में हमेशा उत्साह के साथ शामिल होता है.इस बारे में गांव के मुस्लिम सदस्य कहते हैं, “त्योहार कोई भी हो, मंडल के सभी कार्यकर्ता एक-दूसरे के घर हक़ से जाते हैं.

त्योहारों के समय हमारे मन में यह भावना नहीं आती कि हम हिंदू हैं या हम मुस्लिम हैं.हम सब एक हैं, इसी भावना के साथ हम मिलकर विभिन्न त्योहार मनाते हैं.”गोटखिंडी के हिंदुओं और मुस्लिमों द्वारा चार दशकों से संजोई गई धार्मिक सद्भाव की यह परंपरा न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे देश के लिए एक आदर्श है.