नेपाल संकट के मोड़ पर, जनता की सत्ता की पहल शुरू : विशेषज्ञ

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 11-09-2025
Nepal is at the turning point of crisis, people's power initiative has started: Expert
Nepal is at the turning point of crisis, people's power initiative has started: Expert

 

कोलकाता

पड़ोसी देश नेपाल में बड़े पैमाने पर अशांति और सरकार के पतन ने हिमालयी राष्ट्र को ऐसे मोड़ पर ला दिया है, जहां राजनीतिक और सामाजिक हितधारक संविधान की वर्तमान रूपरेखा से परे समाधान खोजने पर विचार कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे देश में संघीय गणराज्य के वर्तमान प्रयोग को शुरू होने से पहले ही ठंडे बस्ते में डालने का खतरा पैदा हो गया है।

नेपाल का मौजूदा संविधान, जो केवल 10 साल पुराना है, 20 सितंबर 2015 को लागू हुआ था। इस संविधान ने देश को बहुदलीय लोकतंत्र के रूप में स्थापित किया और संवैधानिक राजशाही से संघीय गणराज्य की ओर संक्रमण का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और कई मंत्रियों के इस्तीफे के बाद देश में गंभीर राजनीतिक संकट गहराया है। राजधानी काठमांडू और अन्य क्षेत्रों में हिंसा भड़क उठी, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने ओली का निजी आवास और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, विदेश मंत्री अज़्जू राणा देउबा समेत अन्य नेताओं के घरों पर भी हमला किया।

युवाओं द्वारा सोशल मीडिया साइट्स पर प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को शुरू हुए आंदोलन, जिन्हें 'जनरेशन जेड आंदोलन' कहा गया, में कम से कम 19 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए। इसके बाद की घटनाओं में आदेशों की अवहेलना, लूटपाट, आगजनी और सरकारी संस्थानों पर हमले जैसी घटनाएँ हुईं।

नेपाल आधारित NGO मार्टिन चौतारी के वरिष्ठ शोधकर्ता रमेश पराजुली ने कहा कि वर्तमान संकट में हितधारक "असंवैधानिक समाधान" की ओर झुकाव रख सकते हैं। उनका कहना है कि संविधानिक मार्ग अब पटरी से उतर चुका है और संसद काम नहीं कर रही। देश को वर्तमान संकट से निकालने के लिए प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की मौजूदगी प्रशासनिक दृष्टि से अनुपस्थित है।

पराजुली के अनुसार, नेपाल के सामने वर्तमान में तीन विकल्प हैं: संविधान के भीतर समाधान, संविधान से थोड़ी विचलन करके समाधान, या संविधान को पूरी तरह से दरकिनार करके समाधान। उन्होंने कहा कि पहला विकल्प संभव नहीं लगता, जबकि दूसरा और अधिक संभावित है—संविधान से थोड़ी विचलन करते हुए अंतरिम सरकार बनाना और नए चुनाव की तैयारी करना।

साउथ एशियन विमेन इन मीडिया (SAWM) की नेपाल शाखा की उपाध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार नम्रता शर्मा ने कहा कि बिना अंतरिम सरकार के चुनाव कराना असंभव है। जनरेशन जेड ने समानुपातिक प्रतिनिधित्व और संरचनात्मक बदलाव की मांग की है, और बिना अंतरिम सरकार के ये कार्य संभव नहीं होंगे।

लेखक और वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सीके लाल ने चेतावनी दी कि सरकार अगले कुछ समय तक "ऑटो-पायलट मोड" पर चल सकती है। उन्होंने कहा कि सबसे बुरा परिदृश्य यह होगा कि सेना देश को अपने हाथ में ले ले और लोकतांत्रिक व्यवस्था को दरकिनार कर दे।

पूर्व भारतीय राजदूत और राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर लोक राज बराल ने कहा कि राजनीतिक दलों को बैठक से बाहर रखना एक अस्थायी समाधान हो सकता है, ताकि जनता के क्रोध को कुछ हद तक शांत किया जा सके।

जनरेशन जेड के नेताओं ने किसी भी राजनीतिक दल के साथ संवाद करने से इंकार किया है। शर्मा के अनुसार, इस आंदोलन का उद्देश्य भ्रष्ट नेताओं को चेताना और देश को नेतृत्व देने के लिए नए, निष्पक्ष चेहरे सामने लाना है।

विशेषज्ञों का निष्कर्ष है कि नेपाल वर्तमान संकट में संवैधानिक ढांचे से परे विकल्प तलाश सकता है, और संघीय गणराज्य के प्रयोग का भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है।