रियाद,
सऊदी अरब ने कतर पर हुए इजराइल के हवाई हमले को “निर्दयी आक्रामकता” करार देते हुए सख्त निंदा की है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने बुधवार को शूरा काउंसिल को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों का मुकाबला करने के लिए क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की तत्काल आवश्यकता है।
मंगलवार को इजराइली अधिकारियों ने दोहा में हमास के राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाने की कोशिश की थी। इस हमले की सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोपीय संघ ने कड़ी आलोचना की है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे गाज़ा संघर्षविराम वार्ता पटरी से उतर सकती है।
क्राउन प्रिंस ने किंग सलमान की ओर से दिए गए वार्षिक संबोधन में कहा:
“हम कतर के साथ असीम समर्थन में खड़े रहेंगे और इसके लिए अपनी सभी क्षमताओं को समर्पित करेंगे। इजराइली सेना की आपराधिक कार्रवाइयों को रोकने और क्षेत्रीय स्थिरता की रक्षा करने के लिए वैश्विक स्तर पर ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।”
उन्होंने गाज़ा पर जारी हमलों को भी “क्रूरतापूर्ण और अमानवीय” बताया और कहा:
“फिलिस्तीनी जनता के अधिकार अटल हैं। गाज़ा की ज़मीन फिलिस्तीन की है, इसे किसी भी आक्रामकता या धमकी से छीना नहीं जा सकता। हमारा रुख साफ है – फिलिस्तीनियों के अधिकार की रक्षा करना और उसके उल्लंघन को रोकने के लिए निरंतर प्रयास करना।”
क्राउन प्रिंस ने 2002 में सऊदी अरब द्वारा शुरू की गई अरब शांति पहल को दो-राष्ट्र समाधान की दिशा में एकमात्र ठोस रास्ता बताया और कहा कि इसके चलते कई देशों ने आधिकारिक तौर पर फिलिस्तीन को मान्यता दी है। जुलाई में न्यूयॉर्क में आयोजित अंतरराष्ट्रीय उच्चस्तरीय सम्मेलन ने भी इस प्रक्रिया को नया बल दिया है।
उन्होंने सीरिया के संदर्भ में कहा कि सऊदी अरब ने वहां प्रतिबंध हटाने, क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा और अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण में सक्रिय योगदान दिया है। साथ ही उन्होंने लेबनान, यमन और सूडान में स्थिरता की भी आशा जताई।
आर्थिक मोर्चे पर क्राउन प्रिंस ने बताया कि सऊदी अरब अब तेल पर निर्भरता कम कर रहा है।
“हमारे इतिहास में पहली बार गैर-तेल गतिविधियों का हिस्सा 56% जीडीपी तक पहुंचा है, जो 4.5 ट्रिलियन रियाल (1.2 ट्रिलियन डॉलर) से अधिक हो चुका है। 660 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने सऊदी अरब को अपना क्षेत्रीय मुख्यालय चुना है, जो विज़न 2030 के लक्ष्य से भी आगे है।”
उन्होंने कहा कि इन उपलब्धियों ने सऊदी अरब को वैश्विक आर्थिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र बना दिया है और आने वाले समय में इसकी आर्थिक शक्ति और अधिक मज़बूत होगी।