खान सर का मानवीय मिशन: पटना से पंजाब पहुँची मेडिकल टीम, बाढ़ पीड़ितों को मुफ्त इलाज

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 11-09-2025
Khan Sir's humanitarian mission: Medical team reaches Punjab from Patna, provides free treatment to flood victims
Khan Sir's humanitarian mission: Medical team reaches Punjab from Patna, provides free treatment to flood victims

 

आवाज़ द वॉयस/ नई दिल्ली।

पंजाब में आई भीषण बाढ़ ने हजारों परिवारों को उजाड़ दिया है. घर, खेत, सड़कें और दुकानें पानी में डूबने के बाद अब जब पानी उतर रहा है तो अपने पीछे बीमारियों और नई चुनौतियों का पहाड़ छोड़ गया है. खाने-पीने और बुनियादी सामान की आपूर्ति के बाद अब सबसे बड़ी ज़रूरत मेडिकल मदद की है. इसी ज़रूरत को पूरा करने के लिए देशभर से कई संगठन आगे आए हैं,जिनमें एम्स दिल्ली के डॉक्टर, लुधियाना के मेडिकल कॉलेज और जमीयत उलमा-ए-हिंद शामिल हैं. इन सबके बीच पटना के मशहूर शिक्षक खान सर ने जो कदम उठाया है, उसने उन्हें एक बार फिर चर्चा में ला दिया है.

खबर  है कि खान सर ने पंजाब के बाढ़ प्रभावित इलाकों में एक बड़ी मेडिकल टीम भेजी है, जो वहां के लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कर रही है. यह टीम उनके हाल ही में पटना में बनाए गए अस्पताल से रवाना की गई.

देशभर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले खान सर छात्रों में बेहद लोकप्रिय हैं. यूपीएससी और बीपीएससी जैसे कठिन एग्ज़ाम की तैयारी के लिए पटना में चलने वाले उनके क्लासरूम हमेशा खचाखच भरे रहते हैं.

छात्रों से मिलने वाली फीस से ही उन्होंने पटना में एक अस्पताल का निर्माण कराया. क्रिकेटर इरफान पठान ने इस अस्पताल को चार एंबुलेंस भी दान की थीं. यही अस्पताल अब पंजाब की बाढ़ में फंसे लोगों के लिए उम्मीद का सहारा बन गया है.

अस्पताल का उद्घाटन करने के कुछ ही घंटों बाद खान सर सबसे पहले पंजाब पहुँचे. उन्होंने अपनी मेडिकल टीम के साथ राहत कार्य की शुरुआत की. टीम ने तरनतारन, कपूरथला और फिरोजपुर जैसे प्रभावित ज़िलों में स्वास्थ्य शिविर लगाए. वहां लोगों को मुफ्त मेडिकल चेकअप, ज़रूरी दवाइयाँ और प्राथमिक इलाज उपलब्ध कराया गया.
 

इंसानियत सबसे बड़ा मकसद है

अपनी इस पहल के बारे में खान सर का कहना है,"अस्पताल खोलने का मक़सद कमाई करना नहीं, बल्कि इंसानियत की सेवा करना है. अगर मेरी टीम किसी गरीब का इलाज कर पाए, तो यही मेरी सबसे बड़ी सफलता होगी."

उनका यह बयान दिखाता है कि असली हीरो वही है, जो अपने नाम का इस्तेमाल सिर्फ शोहरत के लिए नहीं बल्कि ज़रूरतमंदों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए करता है.

पंजाब में चिकित्सा संकट

दरअसल, बाढ़ का पानी उतरने के बाद सबसे बड़ा खतरा संक्रामक बीमारियों का होता है. दूषित पानी और गंदगी से हैजा, टाइफाइड, डायरिया और त्वचा रोग तेजी से फैलते हैं.

ऐसे में मेडिकल सहायता की अहमियत और बढ़ जाती है. यही वजह है कि खान सर की टीम ने गांव-गांव जाकर हेल्थ कैंप लगाए. कई जगह उन्होंने नावों का इस्तेमाल करके दवाइयाँ और डॉक्टर पहुँचाए.

लुधियाना के डीएमसी मेडिकल कॉलेज और एम्स दिल्ली के डॉक्टर भी इस काम में जुटे हैं. जमीयत उलमा-ए-हिंद ने पहले ही राहत सामग्री की गाड़ियाँ भेजी थीं और अब उन्होंने दवाइयों और मेडिकल किट्स का बड़ा स्टॉक पंजाब पहुँचाया है. कलगीधर ट्रस्ट जैसे स्थानीय संगठनों ने भी कंबल, दवाइयाँ और खाने का सामान वितरित किया है.

बुजुर्गों और महिलाओं का योगदान

पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरे देश से लोग मदद कर रहे हैं. मेवात, बिहार और दिल्ली से राहत सामग्री भेजी जा रही है. कई जगह बुजुर्ग महिलाएँ अपने गहने और जमा पूंजी दान कर रही हैं. यह बताता है कि इंसानियत की कोई सीमा नहीं होती। खान सर की मेडिकल टीम भी इसी सिलसिले की एक मजबूत कड़ी बन गई है.
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पटना से पंजाब तक संदेश

खान सर के कदम का असर सिर्फ पंजाब तक सीमित नहीं है. यह एक संदेश है कि शिक्षा देने वाला शिक्षक जब समाज की सेवा में उतरता है तो उसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है.

छात्रों को पढ़ाना उनका पेशा है, लेकिन मानवता की सेवा उनका धर्म है. उनके इस कार्य ने लाखों युवाओं को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि पढ़ाई का असली मकसद केवल नौकरी पाना नहीं, बल्कि समाज को कुछ लौटाना भी है.

उम्मीद की किरण

बाढ़ ने पंजाब के लोगों के सामने अंधकार जरूर खड़ा कर दिया है, लेकिन खान सर और उनकी टीम जैसी पहलें उम्मीद की किरण साबित हो रही हैं. मुफ्त इलाज और दवाइयों की व्यवस्था ने न सिर्फ बीमारों को राहत दी है, बल्कि यह भरोसा भी दिलाया है कि संकट चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर हम सब मिलकर खड़े हों तो इंसानियत की जीत तय है.

खान सर का यह मानवीय मिशन इस बात की गवाही देता है कि असली सेवा वही है, जो बिना भेदभाव और बिना स्वार्थ के की जाए. पंजाब की बाढ़ त्रासदी ने कई दर्दनाक कहानियाँ लिखीं, लेकिन इसके बीच खान सर जैसे इंसानियत के सिपाही भी उभरे हैं, जिन्होंने दिखाया कि समाज को जोड़ने की सबसे मजबूत ताकत मानवता ही है.