मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस: सुप्रीम कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी करने के हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 24-07-2025
Mumbai train blast case: Supreme Court stays High Court's decision to acquit all 12 accused
Mumbai train blast case: Supreme Court stays High Court's decision to acquit all 12 accused

 

 

 

 

 

नई दिल्ली,

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 12 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले पर गुरुवार को रोक लगा दी है।

हालांकि, न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने स्पष्ट किया कि आरोपियों को फिलहाल दोबारा जेल भेजने का कोई सवाल नहीं उठता। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को नजीर (precedent) के रूप में नहीं माना जाए

सुप्रीम कोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को नोटिस जारी कर महाराष्ट्र सरकार की अपील पर जवाब मांगा है। मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता राज्य सरकार की ओर से पेश हुए।

महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें सभी दोषियों को तकनीकी आधारों पर बरी कर दिया गया था, विशेष रूप से एक आरोपी से आरडीएक्स की बरामदगी को सिर्फ इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि जब्त सामान को एलएसी सील से नहीं सील किया गया था

राज्य सरकार का कहना है कि मकोका कानून की धारा 23(2) के तहत पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया था, जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और सरकारी गवाह अनामी रॉय द्वारा दी गई मंजूरी भी शामिल थी। फिर भी हाईकोर्ट ने इन साक्ष्यों की वैधता पर सवाल उठाए।

गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा और “यह विश्वास करना कठिन है कि उन्होंने ही यह अपराध किया”।

इससे पहले, विशेष अदालत ने 12 में से 5 आरोपियों को मौत की सजा और 7 को उम्रकैद सुनाई थी। इन पांच में से एक आरोपी की 2021 में मृत्यु हो गई थी।

गौरतलब है कि 11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात अलग-अलग स्थानों पर विस्फोट हुए थे, जिनमें 180 से अधिक लोगों की जान गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे।

इस केस की जांच महाराष्ट्र एंटी टेरेरिज्म स्क्वाड (ATS) ने की थी। ATS ने दावा किया था कि आरोपी प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्य थे और उन्होंने पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर साजिश रची थी।

हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल एटीएस बल्कि पूरे अभियोजन तंत्र के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।